क्षमा शर्मा

केरल में अखिला से हादिया बनी युवती का मसला इन दिनों चर्चा में है। केरल हाईकोर्ट ने शफी जहां नाम के युवक से उसकी शादी को लव जिहाद मानकर निरस्त कर दिया था। मसला सर्वोच्च न्यायालय आया तो वहां हादिया ने कहा कि वह अपनी आजादी चाहती है और अपने पति के पास जाना चाहती है। उसके मुताबिक वह अपनी मर्जी से मुसलमान बनी है और फिलहाल अपनी पढ़ाई पूरी करना चाहती है। एक स्त्री की नजर से देखें तो उसे अपना धर्म और अपना पति चुनने का पूरा अधिकार है। हादिया का मसला इसलिए अधिक चर्चा में आया, क्योंकि उसके माता-पिता ने आरोप लगाया था कि उसे बहला-फुसलाकर उसका धर्म परिवर्तन कराया गया है। उन्होंने इसे लव जिहाद कहा। एनआइए का कहना है कि उसके पास इसके प्रमाण हैं कि शफी जहां पापुलर फ्रंट अॅाफ इंडिया की स्त्री शाखा से पूछ रहा था कि अगर वह धर्म परिवर्तन कराए तो उसे कितने पैसे मिलेंगे। इस पर स्त्री शाखा में काम करने वाली ने कहा कि पैसे नहीं डॉलर्स मिलेंगे। पापुलर फ्रंट वही संगठन है जिसके एक कार्यकर्ता ने एक अध्यापक का हाथ काट दिया था।

हादिया के बयानों को आधार बनाकर यह कहा जा रहा है कि एनआइए का काम देश की सुरक्षा करना है न कि लोगों की निजी जिंदगी में झांकना। ऐसे बोल जो लोग बोले उनमें प्रमुख थे-औवैसी, वारिस पठान और ऐसे ही अन्य लोग, जिनका तीन तलाक के मामले में सुर घोर स्त्री विरोधी था। अपने धर्म का मसला हो तो वहां सब कुछ जायज, लेकिन दूसरों से हर आजादी और अधिकार चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के एक नामी वकील ने कहा कि हादिया का कहना है कि उसने इस्लाम इसलिए अपनाया कि वह एक बेहतर धर्म है।

धर्मो और उनके अनुयायियों के बीच नफरत फैलाने का यह एक अजमाया हुआ तरीका है कि खुद को महान और दूसरे को खराब बताओ। केरल में धर्म परिवर्तन आज का मुद्दा नहीं है। पिछले से पिछले विधानसभा चुनावों में सीपीएम के एक वरिष्ठ नेता ने कहा था कि मुसलमान हमारी लड़कियों का धर्मातरण कराकर शादी कर लेते हैं। इस भाषण में ऐसी भी बातें थीं जिन्हें शायद आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ वाले भी कहना पसंद नहीं करेंगे। नई बात यह है कि केरल की वामपंथी सरकार ने उच्चतम न्यायालय में एनआइए की बातों का समर्थन किया यानी एनआइए अगर अखिला को हादिया बनाने में जबरिया धर्म परिवर्तन मानती है तो वहां की सरकार भी ऐसा ही मान रही है, जबकि इसी सरकार ने अक्टूबर में एनआइए की रिपोर्ट को अस्वीकार किया था। कुछ समय पहले मेरा कोचीन और तिरुअनंतपुरम जाना हुआ। दोनों जगहों पर वामपंथियों ने ही बताया कि पेट्रो डॉलर आने से यहां बड़ी-बड़ी किलेनुमा मस्जिदें बनने लगी हैं। धर्म परिवर्तन सिर्फ मुसलमान ही नहीं करा रहे, ईसाई भी करा रहे हैं। केरल में बड़ी संख्या में माता-पिता इससे चिंतित हैं कि उनके बच्चे किसी के चंगुल में न फंस जाएं।

हादिया के मसले पर बहस से ऐसा लगा, मानो परिवार वाले अपने बच्चों के सबसे बड़े दुश्मन हों। कहा गया कि इसकी चर्चा पूरी दुनिया में है और लोग हम पर हंस रहे हैं। सालों पहले केरल की मशहूर लेखिका कमला दास ने धर्म परिवर्तन करके अपना नाम सुरैय्या रखा था। जब उनसे कारण पूछा गया तो उनका कहना था कि हिंदू धर्म बहुत उदार है। मैं इतनी उदारता नहीं ङोल सकती। उन्होंने पर्दे को औरत के लिए अच्छा भी बताया था और साथ ही यह भी कहा था कि जबसे उन्होंने धर्म बदला है तब से बड़े-बड़े मुसलमान नेता, अभिनेता उन्हें बधाइयां दे रहे हैं। इसी तरह केरल की एक यूनिवर्सिटी के एक वाइस चांसलर का कहना था कि लोगों की इस्लाम में दिलचस्पी बढ़ रही है। पहले यहां औरतें बुर्का नहीं पहनती थीं, अब पहनने लगी हैं। तमिलनाडु में रहने वाली एक प्रसिद्ध संगीतकार की मां से एक फकीर ने कहा कि अगर वह धर्म परिवर्तन कर लें तो उनकी सब मुसीबतों का अंत हो सकता है और उन्होंने सपरिवार धर्म बदल लिया। आज उनका बेटा एक नामी संगीतकार है।

भारत में धर्म परिवर्तन आज से नहीं हो रहा है। सदियों से हो रहा है। एक समय में कश्मीर पूरा हिंदू ही था। आखिर धर्म परिवर्तन होता क्यों है? इसका मूल कारण गरीबी और जात-पांत है। लोग धर्म परिवर्तन के खिलाफ कानून बनाने की मांग कर रहे हैं, पर अगर हिंदू संगठन चाहते हैं कि कोई हिंदुओं का धर्म परिवर्तन न कराए तो वे यह सोचें कि इसके लिए वे क्या कर रहे हैं? जात-पांत की दीवार तोड़ने में उनकी क्या भूमिका है? तमाम योजनाओं के बावजूद गरीबी क्यों बढ़ती ही जाती है? जब तक ये दोनों कारक मौजूद हैं, किसी कानून से धर्म परिवर्तन को रोकना मुश्किल है। वैसे भी धर्म निजी आस्था और पसंद का सवाल है। जबरिया कोई किसी को अपने यहां बनाए नहीं रख सकता। अगर हादिया का जबरन धर्म परिवर्तन हुआ है तो सोचना होगा कि ऐसा कैसे हो सका? क्यों कोई लड़की माता-पिता को पहचानने से भी इन्कार करेगी?

(लेखिका साहित्यकार एवं स्तंभकार हैं)