कुशल कोठियाल। उत्तराखंड की सियासी फिजा में भी पिछले कई दिनों से नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) तारी है। विरोध के इस अभियान में मंचों पर कांग्रेस नेता छाए रहे। भारतीय जनता पार्टी देर से ही सही, लेकिन नियोजित ढंग से समर्थन में उतरी। अब समर्थन में भी जुलूस, प्रदर्शन और रैलियों का दौर चल रहा है। घर-घर जा कर लोगों को नागरिकता संशोधन कानून की हकीकत से अवगत कराने का काम चल रहा है। कांग्रेस अपने राष्ट्रीय नेतृत्व की घोषणा के अनुसार सीएए के विरोध में माहौल गरमाने की कोशिश कर रही है, लेकिन जब भीड़ की ओर देख रहे हैं तो एक उसमें केवल एक खास तबका ही शामिल होता दिख रहा है। प्रदेश के सामाजिक और राजनीतिक हालात के जानकार कांग्रेसियों का तो यह मानना भी है कि केंद्रीय कानून के विरोध में जुट रही इस भीड़ को देख कर ज्यादा खुश होने की आवश्यकता नहीं है।

कांग्रेस के सियासी बैंक 

प्रदेश में मुस्लिम समुदाय तो पहले से ही कांग्रेस के सियासी बैंक में जमा रहा है। इनके बूते सड़कों पर उतर कर कहीं पार्टी राज्य में ध्रुवीकरण को तो मजबूत नहीं कर रही। विरोध में आयोजित एक रैली में समाज के अन्य तबकों को शामिल करने के लिए प्रदेश नेतृत्व ने नागरिकता संशोधन कानून के साथ मंहगाई के मुद्दे को साझा किया, तब जा कर बस्तियों से कुछ भीड़ जुट पाई। पार्टी ने रणनीति के तहत प्रदेश में रह रहे नेपालियों को भी सीएए और एनआरसीसी का भय दिखा कर सड़कों पर उतारने के कोशिश की, लेकिन ऐसा लगता है कि अपेक्षित परिणाम नहीं मिलने पर इस मुहिम को छोड़ दिया है। उधर भाजपा सीएए जैसे मुद्दे को देश के साथ अपनी सियासत के अनुकूल भी मान रही है।

घरवापसी का रास्ता साफ 

भारतीय जनता पार्टी से बर्खास्त विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन अपनी हरकतों के कारण विवादों में रहते आए हैं। करीब छह माह पहले तमंचे पर डिस्को वाला वीडियो वायरल क्या हुआ, पार्टी को अंतिम और कड़ा फैसला लेना ही पड़ा। भारतीय जनता पार्टी के एक अन्य विधायक देशराज कर्णवाल के साथ उनकी मुकदमेबाजी काफी पुरानी है। अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति एक्ट में गिरफ्तारी से राहत देने से हाई कोर्ट ने इन्कार क्या किया, चैंपियन ने तुरंत दोस्ती का हाथ बढ़ा दिया। इधर एक विधायक कम होने के दर्द को महसूस कर रही प्रदेश भाजपा एवं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी सुलह कराने में बढ़-चढ़ कर भूमिका निभाई। इस प्रयास का परिणाम यह हुआ कि दोनों में सुलह हो गई। साझा प्रेस वार्ता में दोनों विधायक गले मिले व अपने-अपने मुकदमे वापस लेने का एलान भी किया। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने स्पष्टीकरण भी दिया कि फिलहाल चैंपियन को पार्टी में वापस लेने पर कोई विचार नहीं हो रहा है। वह मीडिया को यह भी याद दिला गए कि चैंपियन ने पिछले छह माह में कोई गलत हरकत नहीं की। छह माह तक अनुशासनहीता न करने से पार्टी में वापसी तो बनती ही है।

ठिठुरता पहाड़, पर्यटकों की बढ़ती आमद 

उत्तराखंड भी इन दिनों समूचे उत्तर भारत की भांति ठंड से ठिठुर रहा है। पहाड़ों ने बर्फ की सफेद चादर ओढ़ ली है, जिससे सैकड़ों गांव मुख्यधारा से कट से जाते हैं। ऐसे में दुश्वारियां बढ़ना स्वाभाविक है। इस बार जिस तरह ठंड की शुरुआत हुई है उससे फरवरी तक पहाड़ों में बर्फ की कई चादरें बिछने की उम्मीद है। पहाड़ों पर अच्छी बर्फबारी की सकारात्मक परिणिति भी है। चिलिंग प्वाइंट लंबा खिंचा तो सेव की मिठास बढ़ना भी तय है। बर्फ ठीक जमी तो गर्मियों में नदियों का बहाव भी खूब होगा। इससे सिंचाई ही नहीं, पानी से बनने वाली बिजली का उत्पादन भी बढ़ेगा। अब जब पर्यटन स्थलों पर बर्फ पड़ रही है, तो पर्यटकों की आमद में भी इजाफा हो रहा है। कुछ दिनों के लिए ही सही, राज्य में पर्यटन उद्योग भी शक्ल लेता हुआ दिख रहा है। साथ ही, सरकारी तंत्र के दावों व प्रबंधन की पोल भी खुल रही है। नैनीताल, मसूरी, चकराता, औली जैसे स्थानों पर क्षमता से अधिक सैलानी पहुंच रहे हैं, सड़कों पर घंटों जाम लग रहा है। राज्य में सुव्यवस्थित पर्यटन की कमी खलती है तो जिम्मेदारी प्रदेश सरकार व संबंधित महकमों की बनती ही है। हां या बात भी सही है कि पर्यटकों को ऐसे स्थानों की ओर रुख करने से पहले कम से कम यहां रहने की व्यवस्था तो सुनिश्चित कर ही लेनी चाहिए।

(लेखक उत्तराखंड के राज्‍य संपादक हैं)