जम्मू-कश्मीर में चुनाव, पीएम मोदी के बयान से जगी उम्मीदें
Election in Jammu and Kashmir जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की तैयारियों को इसलिए भी बल मिला है क्योंकि हाल में संपन्न लोकसभा चुनावों में जम्मू के साथ-साथ कश्मीर के लोगों ने भी बढ़-चढ़कर मतदान में भाग लिया। इससे यही स्पष्ट हुआ कि घाटी के लोग मुख्यधारा में शामिल होने को तैयार हैं और वे लोकतांत्रिक प्रक्रिया की महत्ता भी समझ चुके हैं।
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर श्रीनगर पहुंचे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह कहकर जम्मू-कश्मीर के लोगों की उम्मीदें जगाने का काम किया कि यहां के पूर्ण राज्य के दर्जे को बहाल किया जाएगा। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की तैयारियों का भी उल्लेख किया। इन तैयारियों का संकेत चुनाव आयोग की ओर मतदाता सूचियां ठीक करने की घोषणा से भी मिला था और भाजपा की ओर से चुनाव प्रभारी नियुक्त करने से भी। चूंकि सुप्रीम कोर्ट जम्मू-कश्मीर में इस वर्ष सितंबर के पहले तक विधानसभा चुनाव कराने के निर्देश दे चुका है, इसलिए यहां हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड के साथ ही चुनाव होने के आसार बढ़ गए हैं।
जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की तैयारियों को इसलिए भी बल मिला है, क्योंकि हाल में संपन्न लोकसभा चुनावों में जम्मू के साथ-साथ कश्मीर के लोगों ने भी बढ़-चढ़कर मतदान में भाग लिया। इससे यही स्पष्ट हुआ कि घाटी के लोग मुख्यधारा में शामिल होने को तैयार हैं और वे लोकतांत्रिक प्रक्रिया की महत्ता भी समझ चुके हैं। यह स्थिति बनी तो इसीलिए, क्योंकि एक ओर जहां कश्मीर में आतंक का असर कम हुआ है, वहीं दूसरी ओर लोकसभा चुनावों की प्रक्रिया निष्पक्षता से आयोजित की गई। इसका श्रेय चुनाव आयोग को भी जाता है और केंद्रीय सत्ता के साथ सुरक्षा बलों को भी।
नि:संदेह प्रधानमंत्री के कथन से यह स्पष्ट नहीं होता कि जम्मू-कश्मीर के पूर्ण राज्य के दर्जे की बहाली चुनाव के पहले होगी या बाद में। चूंकि मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर के पूर्ण राज्य के दर्जे को बहाल करने की प्रतिबद्धता कई बार व्यक्त कर चुकी है, इसलिए एक न एक दिन तो यह होना ही है, लेकिन उचित यह होगा कि विधानसभा चुनाव के बाद ही इस बारे में कोई फैसला लिया जाए। ऐसा इसलिए किया जाना चाहिए, क्योंकि एक तो जम्मू-कश्मीर को आतंकवाद से पूरी तरह मुक्ति नहीं मिली है और दूसरे विभाजनकारी अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद जो आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए थे, उनमें से कुछ अभी भी नहीं उठाए जा सके हैं।
उदाहरणस्वरूप पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के चलते कश्मीर से जो लाखों कश्मीरी हिंदू पलायन के लिए विवश हुए थे, वे अभी अपने घरों को लौटने में सक्षम नहीं। इसका मुख्य कारण उनकी सुरक्षा के लिए खतरा है। इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि कश्मीर में कश्मीरी हिंदुओं और देश के दूसरे हिस्सों से गए लोगों को रह-रहकर निशाना बनाया जाता रहता है। ऐसे में यह आवश्यक ही नहीं, बल्कि अनिवार्य है कि जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा प्रदान करने के पहले ऐसी स्थितियों का निर्माण किया जाए, जिससे जो कश्मीरी हिंदू अपने घरों को लौटना चाहते हैं, वे ऐसा करने में समर्थ रहें। इसके साथ ही यहां ऐसे उपाय भी अवश्य किए जाने चाहिए, जिससे अलगाव और आतंक के समर्थक चुनाव प्रक्रिया का लाभ न उठाने पाएं।