[ अमित शाह ]: हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने लाखों आशा, आंगनवाड़ी और एएनएम कार्यकर्ताओं से संवाद किया। ये सभी जमीनी स्तर पर सक्रिय हैं। इनके प्रयासों से समाज के गरीब तबके खासतौर से ग्रामीणों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। प्रधानमंत्री मोदी ने ऐसी सेवाओं के लिए उनकी प्रशंसा तो की ही, साथ ही उन्हें मिलने वाली मानदेय राशि को भी बढ़ाने का एलान किया। इससे उनका जीवन स्तर सुधरेगा और उन्हें और भी बेहतर काम करने का प्रोत्साहन मिलेगा।

पीएम मोदी तकनीकी प्रयोग से मोबाइल एप के माध्यम से अक्सर समाज के गुमनाम नायकों तक पहुंचते हैं। वह उन्हें यह जरूर बताते हैं कि देश के लिए वे बहुत महत्वपूर्ण हैं और राष्ट्र निर्माण में उनका अतुलनीय योगदान है। स्वास्थ्यकर्मियों से पहले शिक्षकों तक भी वह इसी माध्यम से पहुंचे और समाज में उनके योगदान के लिए आभार जताया। उन्होंने भाजपा के विभिन्न मोर्चों के कार्यकर्ताओं और दूसरे लोगों से भी बातचीत की। प्रधानमंत्री मोदी की इस विशेषता को मैं तब से देखता रहा हूं जबसे मुझे उनके सान्निध्य में कार्य करने का अवसर मिला।

संगठन या सरकार में काम कर रहे प्रत्येक व्यक्ति को वह निजी तौर पर न केवल प्रोत्साहित करते हैं, बल्कि उन्हें उनकी महत्ता का आभास भी कराते हैं। दूसरों की सेवा को समर्पित लोगों के प्रयासों को सम्मान देने का उनका यह गुण अद्भुत है। इससे खुद उनके सेवाभाव का भी पता चलता है। हर क्षण वह एक बेहतर भारत बनाने के प्रयास में जुटे रहना चाहते हैं। यह एक श्रेष्ठ संगठन और उसके महत्वपूर्ण कार्यकर्ता की विशेष पहचान है। आखिरकार संगठन और संस्थाएं उन्हीं लोगों से बनती हैं जो व्यक्तिगत हितों के ऊपर अपनी सामूहिक सोच को प्राथमिकता देते हैं। ऐसे त्याग को जब समाज के विशिष्ट जनों की स्वीकृति मिलती है तो जनसामान्य का भी मनोबल बढ़ता है। एक संगठन या संस्था की शक्ति इसी में छिपी होती है।

अस्सी और नब्बे के दशक से ही मेरा उनके साथ लंबा और आत्मीय जुड़ाव रहा है। संगठन को आगे ले जाने के उनके स्वाभाविक गुण से हमें काफी कुछ सीखने को मिला। वह न सिर्फ लोगों को संगठन के लिए नि:स्वार्थ भाव से काम करने के लिए प्रेरित करते रहे, बल्कि छोटी-छोटी बातों का भी पूरा ध्यान रखते। जैसे हमारे कई कार्यक्रमों का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन से होता है। दीप में रुई की बत्ती का उपयोग होता है। अगर उसे पहले से ही घी में डुबोकर रखा जाए तो वह तुरंत जल जाती है, लेकिन अगर वही बत्ती सूखी रहे तो अतिथि को उसे जलाने में थोड़ा समय लगता है। वह इतनी छोटी-छोटी बारीकियों का भी पूरा ध्यान रखते हैं।

वर्ष 2001 में वह गुजरात के मुख्यमंत्री बने और उन्होंने स्वयं को एक बेहतरीन प्रशासक के के रूप में स्थापित किया। गुजरात सरकार में दूसरे लोगों ने उनकी इस कुशलता को आत्मसात किया। उन्होंने हमेशा ही कानून-व्यवस्था का विशेष ध्यान रखा है। वह न्याय और निष्पक्षता में विश्वास करते हैं और हमें सहज रूप से निर्भीक और निष्पक्ष होकर नियमों के अनुसार कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

पीएम मोदी के चार वर्षों के कार्यकाल में कई बेहतरीन और अनुकरणीय कार्य हुए हैं। बड़े स्तर पर सोचना और फिर उसे जमीनी स्तर पर लागू करने की उनकी क्षमता बेजोड़ है। यह उनका ही चिंतन और दर्शन है कि समाज के अंतिम व्यक्ति के लिए कई योजनाएं शुरू हुईं। जैसे देश के प्रत्येक परिवार के पास एक बैंक खाता। आज जनधन योजना के तहत 32 करोड़ से अधिक बैंक खाते खोले जा चुके हैं। वह गरीब महिलाओं के जीवन को धुएं से मुक्त करना चाहते थे। यही सोच उज्ज्वला योजना का आधार बनी जिसके तहत गरीब महिलाओं को पांच करोड़ से अधिक गैस कनेक्शन मुफ्त दिए गए।

पार्टी अध्यक्ष के तौर पर मैंने प्रधानमंत्री मोदी की बड़ी सोच और उसे लागू करने की दृढ़ इच्छाशक्ति से प्रेरित होकर कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं ताकि देशहित में हमारा योगदान संवेदनशील और व्यावहारिक रूप से धरातल पर दिखे। पीएम मोदी की एक अन्य विशेषता यह है कि वह किसी भी घटना या मुद्दे पर सीमित संदर्भ से नहीं सोचते, बल्कि उस पर संस्थागत दृष्टिकोण से विचार करते हैं। मुद्दा चाहे कहीं का हो, उसे व्यक्तिगत स्तर पर सुलझाने का प्रयास अच्छा है, लेकिन भारत जैसे विशाल देश के लिए यह काफी नहीं है। वहीं, जब आप संस्थागत तरीका अपनाते हैं तो उसमें स्थायित्व आने के साथ ही वह व्यापक भी हो जाता है।

उदाहरण के लिए भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग को ही लेते हैं। प्रधानमंत्री मोदी की ईमानदारी और सत्यनिष्ठा पर कोई विवाद नहीं है और इसे उनके कई विरोधी भी स्वीकार करते हैं। उन्होंने चुप बैठने के बजाय भारत को बेहतर कानूनों और संस्थाओं से नई ताकत दी जिससे ईमानदारी का माहौल बन रहा है और पारदर्शिता बढ़ रही है। कालेधन के खिलाफ मुहिम, बेनामी संपत्ति कानून, कालेधन को छिपाने के लिए विदेशों में बनाई गई संपत्ति जब्त करने के लिए मनी लांड्रिंग रोकथाम संशोधन कानून, भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम और नौकरियों में इंटरव्यू खत्म करने जैसी पहल में यह नजर भी आता है।

हमारे इर्दगिर्द ईमानदारी का समर्थन करने वाला एक अनुकूल माहौल तैयार किया जा रहा है। इसीलिए, प्रधानमंत्री मोदी के लिए कोई घटना या व्यक्ति महत्वपूर्ण नहीं, बल्कि संस्थाएं अधिक महत्वपूर्ण हैं। आदरणीय अटल जी भी एक ऐसे नेता थे जिन्होंने कई संस्थागत सुधार किए और विकास को पटरी पर लाकर अर्थव्यवस्था में जान फूंकी। उनके नेतृत्व में सड़क, टेलीकॉम, शिक्षा जैसे क्षेत्रों को नई ऊर्जा मिली।

अटल जी के नेतृत्व की वजह से भाजपा की पहचान गुड गवर्नेंस यानी सुशासन वाली पार्टी की बनी और इसे पार्टी विद ए डिफरेंस कहा जाने लगा। इसी तरह, पीएम मोदी के नेतृत्व में ग्रामीण सड़कें भी दोगुनी गति से बन रही हैं और उससे भी ज्यादा रफ्तार से हाईवे का निर्माण किया जा रहा है। अब गरीबों के घरों में बिजली और एलपीजी पहुंच रही है, स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए करोड़ों शौचालय बनाए जा रहे हैं और कुपोषण के खिलाफ भी मोर्चा खोला जा चुका है।

आयुष्मान भारत जैसी योजना स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में बहुत बड़ी गेमचेंजर साबित होने वाली है। ऐसा विकास सिर्फ एक या दो राज्यों या क्षेत्रों तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे देश में हो रहा है। पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों को पहली बार रेल नेटवर्क से जोड़ा गया है। पहली बार देश के लगभग हर घर में बैंक खाता है। यह गवर्नेंस में एक अहम बदलाव है जिससे भाजपा में लोगों का भरोसा बढ़ा है। जब लोग बीजेपी के ‘इलेक्शन मशीन’ होने की बात करते हैं तो दरअसल यह विकास है जो बीजेपी की ‘इलेक्टोरल मशीन’ है।

पीएम मोदी ने ‘सबका साथ सबका विकास’ के विजन को आत्मसात कर भाजपा को उन क्षेत्रों में भी बड़ी ताकत बनाने में मदद की जहां पार्टी की मौजूदगी न के बराबर थी। अगर भाजपा और उसके सहयोगी दलों को जनता एक के बाद एक राज्यों में चुन रही है तो इसकी वजह सुशासन है जिसे पीएम मोदी ने सफलतापूर्वक स्थापित किया है। यही कारण है कि आज न्यू इंडिया की ‘कैन डू’ यानी ‘कर सकते हैं’ की भावना हर तरफ गूंज रही है।

[ लेखक भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं ]