आशीष व्यास। मध्य प्रदेश में भाजपा-कांग्रेस इस बार राष्ट्रीय बहस को लेकर आमने-सामने हैं। मुख्यमंत्री कमल नाथ ने स्पष्ट रूप से कह दिया है कि नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी को प्रदेश में लागू नहीं किया जाएगा। संविधान की रक्षा के लिए कांग्रेस इस कानून का विरोध जारी रखेगी। भोपाल में विरोध-प्रदर्शन के बीच कांग्रेस ने ‘संविधान बचाओ- न्याय शांति यात्रा’ भी निकाली। भीड़ के उत्साह को देखते हुए मुख्यमंत्री यह कहने से भी नहीं चूके कि इस रैली के जरिये कांग्रेस देश के दिल से यह बताना चाहती है कि केंद्र सरकार देश को तोड़ना चाहती है, लेकिन हम भारत के संविधान और संस्कृति का सम्मान करते हुए इस कानून का पालन नहीं करेंगे।

दरअसल, मध्य प्रदेश में अपना एक साल पूरा कर चुकी कमल नाथ सरकार के लिए यह अवसर शक्ति-प्रदर्शन का भी था। सरकार के साथ कांग्रेस भी यह चाहती थी कि शांति मार्च के जरिये मध्य प्रदेश में पार्टी की उपस्थिति का संदेश पूरे देश में जाए। इस रणनीति पर काम करने के लिए वरिष्ठ नेताओं की पूरी टीम काफी समय पहले से सक्रिय हो गई थी। राजधानी में हुई पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों की बैठक में क्षेत्रीय स्तर के अनेक नेताओं को भीड़ जुटाने की जिम्मेदारी दी गई थी।

पार्टी का प्रयास यह भी था कि प्रदेश के अलग-अलग इलाकों से पुराने कांग्रेसी इस शांति मार्च में भागीदारी करें। इसके पीछे पार्टी की सोच थी कि कांग्रेसी विचारधारा का प्रचार-प्रसार पूरे प्रदेश में किया जा सके। स्वयंसेवी संस्थाओं, महिला संगठनों से लेकर प्रदेश के बड़े सामाजिक संगठनों को भी भागीदारी के लिए आमंत्रित किया गया था। इससे कुछ दिन पहले भी राजधानी के इकबाल मैदान में धरना-प्रदर्शन किया जा चुका है। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी कहा था कि जो भारतीय संविधान को मानते हैं, वे इस कानून को लागू नहीं होने देंगे।

कांग्रेस के इस आक्रामक रवैये के जवाब में भाजपा भी मैदान संभालते नजर आ रही है। इस बार नई रणनीति यह है कि योजनाबद्ध तरीके से कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है, ताकि तार्किक रूप से अपनी बात जनता तक पहुंचाई जा सके। जन-जुड़ाव की इस नई कोशिश को एक जनवरी से अभियान के रूप में शुरू किया जा रहा है और आगामी पखवाड़े में प्रदेश के पांच लाख परिवारों से सीधे जुड़ने का लक्ष्य रखा गया है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी कह चुके हैं कि सीएए पर जिस तरह भ्रम फैलाया जा रहा है उसे दूर करने के लिए भाजपा प्रदेश में घर-घर जाकर जनजागरण करेगी।

भाजपा के इस वरिष्ठ नेता ने कांग्रेस को जवाब देते हुए इस बात पर जोर दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कानून बनाकर बापू का सपना साकार किया। देश विभाजन के बाद महात्मा गांधी ने कहा था कि पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू, सिख और अन्य अल्पसंख्यक अगर वहां न रहना चाहें, तो भारत आ सकते हैं। माना जा सकता है कि प्रादेशिक मुद्दों पर एक दूसरे का विरोध कर रहे दोनों प्रमुख दल आने वाले समय में राष्ट्रीय बहस पर एक दूसरे के खिलाफ मोर्चा संभालेंगे। 

क्या राम से रूठ गया है राज 

लगता है राम वन गमन पथ भी अब राजनीतिक वादों-इरादों पर निर्भर हो गया है। भगवान राम 14 साल के वनवास के दौरान मध्य प्रदेश में जहां-जहां से गुजरे थे, भाजपा और कांग्रेस की सरकारें पिछले 16 वर्षो में उन्हें चिन्हित करने और खोजने में विफल रही है। पूर्ववर्ती शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने विस्तृत योजना बनाकर इसे अपनी महत्वाकांक्षी योजनाओं में शामिल किया था, लेकिन निर्णायक परिणाम सामने नहीं आ पाए। बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भी अपने वचन-पत्र में राम वन गमन पथ खोजने का एलान किया था। लेकिन अब तक कागजों में भी कोई कार्ययोजना नहीं बनी है।

पौराणिक मान्यता है कि हजारों साल पहले त्रेता युग में 14 साल के वनवास के दौरान भगवान राम, सीता और लक्ष्मण के साथ मौजूदा मध्य प्रदेश में सतना जिले के चित्रकूट से दाखिल होकर अमरकंटक और छत्तीसगढ़ होते हुए रामेश्वरम की ओर रवाना हो गए थे। इस दौरान वे सतना, रीवा, पन्ना, छतरपुर, शहडोल और अनूपपुर जिलों की सीमा से निकले थे। प्रदेश सरकार यह दावा कर रही है कि पर्यटन विकास के लिए इस योजना पर गंभीरता से काम किया जा रहा है। ‘थीम पार्क’ और कार्ययोजना का निर्माण अंतिम दौर में है। अब देखना केवल यह बाकी है कि बजट की कमी का सामना कर रही कांग्रेस सरकार कब तक और कितना पैसा राम के नाम पर खर्च करेगी?

(लेखक मध्य प्रदेश नई दुनिया के संपादक हैं)

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