विवेक देवराय/आदित्य सिन्हा : यह मोदी सरकार के मौजूदा कार्यकाल का आखिरी पूर्ण बजट था। तमाम लोगों ने इसी वजह से उम्मीद लगाई होगी कि मतदाताओं को लुभाने के लिए इसमें कर्ज माफी और मुफ्त उपहारों जैसी रेवड़ियां बांटने के लिए सरकार अपने खजाने का मुंह खोल देगी। ऐसे लोगों को निराशा ही हुई होगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट से स्पष्ट है कि सरकार की प्राथमिकता तात्कालिक लाभ न होकर भविष्य पर केंद्रित है। राजनीतिक दबाव के बावजूद सरकार ने वित्तीय अनुशासन को लेकर प्रतिबद्धता व्यक्त की है।

बजट दर्शाता है कि सरकार के लिए देश का भविष्य ही सर्वोपरि है। यह 1988-89 में आए एनडी तिवारी के उस ‘सिंदूर बजट’ के बिल्कुल उलट है, जो सिंदूर और काजल जैसी वस्तुओं पर प्रतीकात्मक कर रियायतों के चलते सुर्खियों में रहा था। यह बजट वास्तव में महिलाओं और युवाओं के सशक्तीकरण एवं प्रगति को समर्पित है। अमृत काल की ओर कूच करती सरकार देश को 2047 तक विकसित बनाने की राह तैयार कर रही है। भविष्य में निवेश करने वाला यह नए भारत का बजट है जो देश की नियति से साक्षात्कार कराने की प्रक्रिया में उसकी संभावनाओं को भुनाने के लिए तैयार किया गया है।

बजट में ‘सप्तर्षि’ के रूप में सरकार की सात प्राथमिकताओं का दर्शन झलकता है। पहली प्राथमिकता समावेशी विकास की है। विगत नौ वर्षों से सरकार ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका प्रयास’ की अवधारणा के अनुरूप कार्य कर रही है। सरकार कृषि के लिए डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर और अन्य गतिविधियों के जरिये किसानों को समृद्ध बनाना चाहती है। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए पशुपालन, मत्स्य पालन और डेरी पर फोकस रखते हुए कृषि कर्ज का दायरा बढ़ाकर 20 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है। मोटे अनाजों को दिया प्रोत्साहन किसानों के लिए लाभदायक होने के साथ ही पोषण की पूर्ति करने में भी सहायक होगा।

लोगों को रेवड़ियों के भरोसे राज्य पर आश्रित करने के बजाय सरकार लोगों को कौशल प्रदान कर उनके सशक्तिकरण पर ध्यान दे रही है। बजट में शिक्षा, स्वास्थ्य और कौशल विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। जैसे कि 157 नए नर्सिंग कालेज स्थापित किए जाएंगे। फार्मास्युटिकल्स में शोध एवं नवाचार को बढ़ावा देने के साथ ही शिक्षकों के प्रशिक्षण का नया ढांचा तैयार किया जाएगा। बच्चों और किशोरों के व्यक्तित्व निर्माण में मददगार नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी बनाई जाएगी। इसकी सुविधा का लाभ कहीं से भी उठाया जा सकेगा।

दूसरी प्राथमिकता अंतिम छोर तक पहुंच सुनिश्चित करने की है। इसके लिए सरकार दूर-दराज के दुर्गम और अल्पविकसित क्षेत्रों तक आवश्यक सुविधाएं पहुंचाने की दिशा में प्रयासरत है। इसमें जनजाति जैसे वंचित वर्गों के क्षेत्रों को वरीयता देने की बात कही गई है। आकांक्षी विकास खंड कार्यक्रम में स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण और अन्य पहलुओं के आधार पर 500 विकास खंड शामिल किए हैं। जो गरीब कैदी जमानत राशि या हर्जाने की राशि चुकाने में अक्षम हैं, उन्हें वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।

तीसरी प्राथमिकता दीर्घकालिक इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में निवेश से जुड़ी है। सरकार ने इस दिशा में पूंजीगत व्यय में 33 प्रतिशत की भारी बढ़ोतरी कर 10 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया है। यह वृद्धि को बल देने, रोजगार सृजन करने और निजी निवेश को साधने में सहायक होगा। इसमें राज्यों को प्रोत्साहन के लिए केंद्र ने उन्हें 50 वर्षों के लिए 1.3 लाख करोड़ रुपये के ब्याज मुक्त कर्ज की पेशकश की है। रेलवे के लिए अभी तक का सर्वाधिक 2.40 लाख करोड़ रुपये का पूंजीगत आवंटन हुआ है। वहीं 75,000 करोड़ रुपये के निवेश से 100 महत्वपूर्ण परिवहन इन्फ्रा परियोजनाएं तैयार की जाएंगी। वायु परिवहन संपर्क को बेहतर बनाने के लिए भी 50 अतिरिक्त एयरपोर्ट और हेलीपोर्ट के साथ ही अन्य संबंधित सुविधाएं विकसित की जाएंगी।

चौथी प्राथमिकता भारत से जुड़ी संभावनाओं को भुनाने की है। सरकार सुशासन, परिवहन, जवाबदेह प्रशासन और नागरिक कल्याण को लेकर प्रतिबद्ध है। कारोबारी सुगमता के लिए सरकार ने 39,000 अनुपालनों को घटाने और 3,400 विधिक प्रविधानों को गैर-आपराधिक प्रवृत्ति का बनाया है। पांचवीं प्राथमिकता सतत विकास के लिए हरित वृद्धि सुनिश्चित करने की है। इस दिशा में कार्बन उत्सर्जन और जीवाश्म ईंधन आयात पर निर्भरता घटाने के लिए 19,700 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। ऊर्जा संक्रमण और नेट-जीरो लक्ष्य की पूर्ति के लिए 35,000 करोड़ का प्रविधान किया है।

छठी प्राथमिकता के तहत युवाओं की क्षमताओं को नया आयाम देने के लिए सरकार ने पीएम कौशल विकास योजना 4.0, स्किल इंडिया डिजिटल प्लेटफार्म और नेशनल अप्रेंटिसशिप प्रमोशन स्कीम जैसी तमाम पहल की हैं। अब आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस यानी एआइ और रोबोटिक्स जैसी आधुनिक तकनीकों में भी युवाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा। उन्हें भत्ते प्रदान करने के साथ ही नियोक्ताओं के साथ भी जोड़ा जाएगा।

सातवीं प्राथमिकता उस वित्तीय क्षेत्र से जुड़ी है, जिसका सशक्त स्वरूप विकसित भारत के लिए अत्यंत आवश्यक है। वित्तीय सुधारों और तकनीकी उन्नयन ने वित्तीय समावेशन बढ़ाने के साथ बेहतर सुविधाएं दी हैं। बजट में एमएसएमई के लिए क्रेडिट गारंटी योजना के कायाकल्प के साथ ही नेशनल फाइनेंशियल इन्फार्मेशन रजिस्ट्री और वित्तीय क्षेत्र नियमनों को सरल किया है। कुल मिलाकर बजट से स्पष्ट है कि सरकार अगले 25 वर्षों में देश को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए पूरी तरह कटिबद्ध है।

(देवराय प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष और आदित्य सिन्हा प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद में अपर निजी सचिव (अनुसंधान) हैं)