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प्रोटीन डाइट है सही चॉइस

बेहद मृदु बोलने और हर समय मुस्करा कर पेश आने वाले पीआर मैनेजर की लाइफ काफी बिजी होती है। कभी क्लाइंट से मिलना तो कभी इवेंट मैनेजमेंट करना। भागदौड़ भरी जिंदगी की रफ्तार में यह अपने लिए कितना समय निकाल पाते हैं, जाना है दिल्ली डिजायर ने। साथ ही, इनकी लाइफस्टाइल को दुरुस्त करने के लिए ली है डाइटीशियन की सलाह।

By Edited By: Published: Mon, 26 Aug 2013 11:26 AM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
प्रोटीन डाइट है सही चॉइस

बेहद मृदु बोलने और हर समय मुस्करा कर पेश आने वाले पीआर मैनेजर की लाइफ काफी बिजी होती है। कभी क्लाइंट से मिलना तो कभी इवेंट मैनेजमेंट करना। भागदौड़ भरी जिंदगी की रफ्तार में यह अपने लिए कितना समय निकाल पाते हैं, जाना है दिल्ली डिजायर ने। साथ ही, इनकी लाइफस्टाइल को दुरुस्त करने के लिए ली है डाइटीशियन की सलाह।

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लाइफस्टाइल एक पीआर एग्जीक्यूटिव की

दिनचर्या : मैं सुबह 8 बजे उठती हूं। मुझे ऑफिस में बैठकर भी काम करना होता है और हर तीसरे दिन फील्ड पर भी जाना होता है। मीटिंग्स के कारण कई बार खाना भी समय पर नहीं होता। अकसर गाड़ी में बैठकर खाना खाना पड़ता है।

ब्रेकफस्ट : सुबह 8.45 बजे 1 ग्लास दूध पीती हूं। एक स्टफ्ड परांठा घर से पैक कराकर ऑफिस ले जाती हूं और 10.30 बजे तक खा लेती हूं।

लंच : लगभग 2 बजे तक खाना खाती हूं। जिसमें आमतौर पर 2 चपाती, चावल, सब्जी और दाल होते हैं।

स्नैक्स : शाम 4 बजे के आसपास कोई फल खाती हूं। बीच में कभी-कभी चाय पी लेती हूं।

डिनर : लगभग 8-8.30 बजे तक डिनर में चपाती, दाल, सब्जी या चावल+सब्जी खाती हूं। उसके बाद कुछ टीवी देखती हूं। बातें करती हूं। रात 12 बजे तक सो जाती हूं।

डाइट में प्रोटीन का बैलेंस होना जरूरी है। इसलिए दालें, राजमा, छोले, बींस मशरूम आदि अपने खाने में पर्याप्त मात्रा में शामिल करना चाहिए।

-ब्रेकफस्ट में एक प्रोटीन प्रोडक्ट जैसे स्प्राउंट्स/ बेसन का चीला या पनीर, 1 ग्लास दूध, दलिया या कॉर्नफ्लेक्स होना चाहिए। साथ में सीरियल प्रोडक्ट जैसे ब्रेड, चपाती, उपमा या पोहा वगैरह।

-ब्रेकफस्ट और लंच के बीच लंबा गैप है इसलिए कोशिश करें कि इस बीच स्प्राउट्स या कोई फल ले लें।

-डाइट में प्रोटीन का बैलेंस होना जरूरी है। इसलिए इन्हें दालें, राजमा, छोले, बींस मशरूम आदि अपने खाने में पर्याप्त मात्रा में शामिल करना चाहिए।

-1 ग्राम प्रोटीन प्रति बॉडी वेट लेना होता है। मसलन व़जन 40 किलो है तो प्रतिदिन प्रोटीन 40 ग्राम जरूरी है। इसलिए वजन के मुताबिक प्रोटीन की मात्रा बढ़ा सकती हैं। इससे एनर्जी लेवल बना रहता है, थकावट नहीं होती।


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