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450 साल पहले शाही रसीद हुआ करता था पासपोर्ट, जानें कब और कैसे हुई इसके मॉर्डन रूप की शुरुआत

विदेश की यात्रा करना हर किसी का ख्वाब होता है। ऐसे में किसी दूसरे देश जाने के लिए सबसे पहले अगर किसी चीज की जरूरत होती है तो वह पासपोर्ट है। इसके बिना विदेश जाना लगभग नामुमकिन होता है। वर्तमान में अलग-अलग देशों की यात्रा करने के लिए पासपोर्ट का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसकी शुरुआत कब और कैसे हुई।

By Harshita Saxena Edited By: Harshita Saxena Published: Wed, 28 Feb 2024 05:52 PM (IST)Updated: Wed, 28 Feb 2024 05:52 PM (IST)
क्या आप जानते हैं कैसे हुए पासपोर्ट की शुरुआत

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। विदेश घूमना हम में से कई लोगों का सपना होता है। अपने इस सपने को पूरा करने के लिए लोगों को कई सारी चीजें करनी पड़ती हैं। इन सभी चीजों में सबसे ज्यादा जरूरी पासपोर्ट है, जिसके बिना दूसरे देश जाना लगभग नामुमकिम होता है। यह विदेशों में हमारी पहचान होता है। पासपोर्ट के बिना दूसरे देश में हमारी कोई पहचान नहीं है। यही वजह है कि इन दिनों लगभग हर व्यक्ति के पास पासपोर्ट है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर इस पासपोर्ट की शुरुआत कब और कैसे हुई।

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पासपोर्ट का मतलब क्या है?

पासपोर्ट एक फ्रेंच शब्द है, जिसका मतलब किसी पोर्ट से गुजरने या पास होने के लिए अनुमति देना होता है। सन 1464 में इस शब्द की बड़े स्तर पर व्याख्या की गई और तब इसका मतलब होता था, सुरक्षा प्रदान करने वाला एक ऐसा दस्तावेज, जो किसी भी व्यक्ति को बिना किसी रोकटोक के सीमाओं को पार करने और आने-जाने की आधाकारिक अनुमति देता है। पुराने समय में पासपोर्ट राजा-महाराजाओं के दौर से लेकर प्रथम विश्वयुद्ध तक बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होने वाला एक शाही अनुमति पत्र हुआ करता था।

450 साल पहले मिलता है जिक्र

पासपोर्ट के इतिहास की बात करें तो इसका जिक्र ईसा से करीब साढ़े चार सौ साल पहले हिब्रू साहित्य में मिलता है। इस साहित्य के मुताबिक जब फारस के राजा ने नेहेमियाह नाम के एक अधिकारी को जूडिया भेजा, तो उसे एक रसीद दी थी। इस रसीद में अलग-अलग देशों के सरदारों से अनुरोध किया गया था कि नेहेमियाह की यात्रा में मदद करें।

दरअसल, उस दौरान हवाई यात्रा का कोई साधन नहीं होता था, तो गंतव्य तक पहुंचने के लिए विभिन्न देशों से होकर गुजरना पड़ता था, जहां हर देश की सीमा पर पहरेदार होते थे। ऐसे में यह रसीद पासपोर्ट की तरह काम करती थी। इस रसीद को ही पासपोर्ट का शुरुआती प्रारूप माना जाता है। इसके अलावा मध्य युग में इस्लामी खिलाफत में सिर्फ उन्हीं लोगों को देश के अलग-अलग हिस्सों में यात्रा करने की अनुमति थी, जिनके पास जका और जिज्वा की रसीद होती थी। यह भी एक तरह का पासपोर्ट ही हुआ करता था।

कैसे हुई आधुनिक पासपोर्ट की शुरुआत

वर्तमान में दूसरे देश जाने के लिए इस्तेमाल होने वाला पासपोर्ट उस रसीद से काफी अलग है। सही मायने में पासपोर्ट की शुरुआत करने का क्षेय इंग्लैंड के राजा हेनरी V को दिया जाता है। सबसे पहले उन्होंने ने ही ऐसे आइडेंटिटी कार्ड की शुरुआत की थी, जिसे मौजूदा समय में पासपोर्ट के नाम से जाना जाता है। पासपोर्ट के जैसे एक दस्तावेज का जिक्र साल 1414 के संसदीय अधिनियम में भी मिलता है।

यूरोप में 19वीं सदी में जब रेलमार्ग का विस्तार हुआ, तो इससे यात्राएं भी काफी बढ़ गई। इस दौरान एक देश से दूसरे देश तक जाने वाले यात्रियों के पास अपनी पहचान बताने के लिए कोई दस्तावेज नहीं थे। ऐसे में पासपोर्ट को भी आधिकारिक रूप से यात्रियों की पहचान माना गया और इस तरह यह दूसरे देश में सफर करने वाले लोगों की पहचान बताने वाला दस्तावेज बन गया। साल 1914 में पहले विश्वयुद्ध के दौरान पासपोर्ट को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी माना गया।

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Picture Courtesy: Freepik


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