हंगामे की भेंट चढ़ा दिल्ली विधानसभा सत्र का पहला दिन, बुलाए गए मार्शल
विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि 'आप' सरकार की वजह से सीलिंग हो रही है। सरकार 351 सड़कों को अधिसूचित करे। उन्होंने कहा कि 'आप' सरकार सिर्फ घड़ियाली आंसू बहाने का ड्रामा कर रही है।
नई दिल्ली [जेएनएन]। दिल्ली विधानसभा के तीन दिवसीय शीतकालीन सत्र की शुरुआत हंगामे के साथ हुई।दिल्ली में चल रही सीलिंग की कार्रवाई से व्यवसायियों की नाराजगी का खौफ दिल्ली विधानसभा सत्र में दिखा। इस पर विधानसभा सत्र के पहले दिन हंगामा होता रहा। सत्ता पक्ष और विपक्ष सीलिंग का विरोध कर एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते रहे। मगर पूरे दिन की कार्यवाही में नतीजा शून्य निकला। इस सीलिंग के हल के प्रयासों पर तो चर्चा ही नहीं हुई। सदन के सदस्य एक दूसरे पर आरोप ही लगाते रहे।
वेल में आ गए सत्ता पक्ष के विधायक
दिल्ली विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष चौ. प्रेम सिंह को श्रद्धांजलि देने के बाद आगे की कार्यवाही होने से पहले ही सत्ता पक्ष के विधायक साथ लाई गई तख्तियां लेकर खड़े हो गए और सीलिंग को लेकर शोर-शराबा करने लगे। वे इसके लिए तीनों नगर निगमों पर आरोप लगाने लगे। भाजपा के खिलाफ तरह-तरह के नारे लगाए गए। इसके पीछे भ्रष्टाचार भी बताया गया। हंगामा करते हुए सत्ता पक्ष के विधायक वेल में आ गए।
आवाज नहीं सुनी जा सकी
उधर, विधानसभा में विपक्ष की भूमिका निभा रहे भाजपा के चारों विधायक भी अपनी सीटों पर खड़े होकर सत्ता पक्ष पर आरोप लगाते रहे। मगर कम संख्या होने के कारण उनकी आवाज नहीं सुनी जा सकी। हंगामा होने के चलते विधानसभा अध्यक्ष ने 15 मिनट के लिए सदन स्थगित कर दिया। दोबारा कार्यवाही शुरू होते ही हंगामा होने लगा। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने फिर से 15 मिनट के लिए कार्यवाही स्थगित की।
वेल में पहुंच गए विपक्षी
इसके बार जब सदन शुरू हुआ तो सत्ता पक्ष के सदस्य शांत होकर अपनी-अपनी सीटों पर बैठ गए। मगर विपक्ष अपनी बात पर अड़ा रहा। विपक्ष की मांग थी कि 351 सड़कों को अधिसूचित नहीं किए जाने पर सदन में नियम 54 के तहत चर्चा हो। सरकार बताए कि इन सड़कों को अधिसूचित क्यों नहीं किया गया। जिससे इन सड़कों पर कारोबार करने वालों को बचाया जा सके। अपनी मांग करते हुए विपक्ष के सदस्य अध्यक्ष के सामने वेल में पहुंच गए। हंगामा नहीं रुका तो 15 मिनट के लिए फिर से सदन स्थगित हुआ।
बुलाए गए मार्शल
सदन की कार्यवाही शुरू होने पर फिर से विपक्ष ने जोरदार ढंग से अपनी मांग उठाई। हंगामा नहीं रुका तो इस बार 25 मिनट के लिए सदन स्थगित हुआ। इसके बाद जब सदन शुरू हुआ तो फिर से विपक्ष ने अपनी मांग दोहराई। विधानसभा अध्यक्ष ने इस बार वेल में आए विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता सहित चारों सदस्यों को मार्शल बुलाकर बाहर करा दिया।
कन्वर्जन शुल्क का हिसाब
इसके बाद सत्ता पक्ष की ओर से सीलिंग पर जो चर्चा हुई, उसमें भी सीलिंग रोके जाने के लिए समाधान नहीं खोजे गए। सत्ता पक्ष के विधायकों का सीलिंग को लेकर नगर निगमों द्वारा भ्रष्टाचार किए जाने के आरोप पर अधिक जोर रहा। सत्ता पक्ष के विधायकों ने जमा किए गए कन्वर्जन शुल्क का हिसाब मांगा। निगम में सत्तासीन भाजपा से तीनों महापौर व तीनों निगम आयुक्तों तक को सदन में तलब किए जाने की मांग की गई।
कपिल मिश्रा ने रखी है सुशील गुप्ता के मुद्दे पर चर्चा की मांग
पूर्व मंत्री व 'आप' विधायक कपिल मिश्रा ने विधानसभा सदन में 'आप' द्वारा राज्यसभा में भेजे गए सुशील गुप्ता पर चर्चा कराए जाने की मांग रखी है। उन्होंने इस बारे में दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल को पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने कहा है कि सुशील गुप्ता को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं, इसलिए इस मामले पर सदन में चर्चा होनी चाहिए।
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