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सनसनी नहीं, देश में जो कुछ अच्छा हो रहा है वह भी खबर है : प्रकाश जावड़ेकर

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने पत्रकारिता के छात्रों को सलाह दी कि वे अनावश्यक सनसनी और टीआरपी केंद्रित पत्रकारिता के जाल में फंसने की बजाय स्वस्थ पत्रकारिता के गुर सीखें और समाज में जो कुछ अच्छा काम हो रहा है उसे भी समाचार मानकर लोगों तक पहुंचाएं।

By JP YadavEdited By: Published: Mon, 23 Nov 2020 02:53 PM (IST)Updated: Mon, 23 Nov 2020 02:53 PM (IST)
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर की फाइल फोटो।

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। 'पत्रकारिता एक जिम्मेदारी है, दुरुपयोग का साधन नहीं। आपकी स्टोरी में यदि दम है, तो उसके लिए किसी नाटक अथवा सनसनी की जरुरत नहीं है। समाज में अच्छी खबरें इतनी हैं, लेकिन दुर्भाग्य से उन्हें कोई दिखाता नहीं है।' केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ये बातें भारतीय जन संचार संस्थान के शैक्षणिक सत्र 2020-21 का सोमवार को ऑनलाइन माध्यम से उद्घाटन के दौरान कहीं। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने पत्रकारिता के छात्रों को सलाह दी कि वे अनावश्यक सनसनी और टीआरपी केंद्रित पत्रकारिता के जाल में फंसने की बजाय, स्वस्थ पत्रकारिता के गुर सीखें और समाज में जो कुछ अच्छा काम हो रहा है उसे भी समाचार मानकर लोगों तक पहुंचाएं।

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शिक्षा जगत में बदलाव का स्वागत हो

छात्रों से रूबरू होने के दौरान प्रकाश जावड़ेकर ने यह भी कहा कि डिजिटल तकनीक के माध्यम से शिक्षा में हो रहे व्यापक बदलाव का हम सभी को स्वागत करना चाहिए और उसका भरपूर लाभ उठाना चाहिए। रचनात्मक पत्रकारिता को स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि जब से सरकार ने खाद की नीम कोटिंग शुरू की, तब से खाद की कालाबाजारी रुकी है। रेलवे का कोई गेट अब ‘अनमैन’ नहीं रहा, इसलिए दुर्घटनाएं बंद हो गई हैं। स्वच्छता की दृष्टि से भी रेलवे में बहुत सुधार हुआ है। पांच हजार रेलवे स्टेशन आज वाई-फाई से जुड़े हैं। करीब 100 नए एयरपोर्ट देश में शुरू हुए हैं, जिनका लाभ लाखों लोग ले रहे हैं। क्या ये सभी खबरें नहीं हैं?

मीडिया की आजादी लोकतंत्र का महत्वपूर्ण आयाम

प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि पत्रकारिता का पहला मंत्र यह है कि जीवन के सभी क्षेत्रों में लोगों के जीवन को प्रभावित करने वाली सारी घटनाएं खबर हैं, जो ठीक से लोगों तक पहुंचानी हैं। मीडिया की आजादी लोकतंत्र का महत्वपूर्ण आयाम है। इसे संभालकर रखना है। पत्रकार के रूप में आप सभी पक्ष-विपक्ष को सुनें, परंतु समाज को अच्छी दिशा में ले जाने के लिए ही हमारी पत्रकारिता काम करे। टीआरपी रेटिंग को ध्यान में रखकर जो पत्रकारिता हो रही है, वह सही रास्ता नहीं है। 50 हजार घरों में लगा मीटर 22 करोड़ दर्शकों की राय नहीं हो सकता। हम इसका दायरा बढाएंगे, ताकि इस बात का पता चल सके कि सही मायने में लोग क्या देखते हैं और क्या देखना चाहते हैं।

वहीं, आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि एक शिक्षक के लिए उसके विद्यार्थियों से प्रिय कोई चीज नहीं होती। विद्यार्थियों की सफलता ही किसी संस्थान, उसके शिक्षकों और उसके प्रबंधकों की सफलता है। हमारी पूरी कोशिश है कि हम विद्यार्थियों को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान कर सकें।

इस अवसर पर आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी, अपर महानिदेशक श्री के. सतीश नम्बूदिरिपाड सहित आईआईएमसी के सभी केंद्रों के संकाय सदस्य एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।

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