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हरियाणा न्यायिक पेपर लीक मामला: कार्यवाही समाप्त करने के लिए ट्रायल कोर्ट को मिला तीन माह का समय

दिल्ली हाई कोर्ट ने वर्ष 2017 में हरियाणा सिविल सर्विसेज ज्यूडीशियल प्रारंभिक परीक्षा के पेपर लीक से संबंधित मामले में कार्यवाही पूरी करने के लिए जिला अदालत को तीन माह का और समय दिया है। कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट को केवल गर्मी की छुट्टियों को छोड़कर तीन माह का और समय दिया जाता है। मामले को आगे की सुनवाई के लिए नौ सितंबर को सूचीबद्ध किया है।

By Ritika Mishra Edited By: Abhishek Tiwari Published: Sun, 05 May 2024 09:12 AM (IST)Updated: Sun, 05 May 2024 09:12 AM (IST)
पेपर लीक मामले में ट्रायल कोर्ट को मिला तीन माह का समय

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने 2017 हरियाणा सिविल सेवा (न्यायिक) प्रारंभिक परीक्षा के पेपर लीक से संबंधित मामले में कार्यवाही समाप्त करने के लिए जिला अदालत को तीन माह का समय और दिया है।

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न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने कहा कि अगर प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश जिनके समक्ष मुकदमा चल रहा है, मामले को दिन-प्रतिदिन के आधार पर सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करते हैं और केवल अपरिहार्य कारणों से पक्षों को स्थगन देते हैं तो ये बहुत सराहनीय होगा।

नौ सितंबर को होगी मामले में आगे की सुनवाई

कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट को केवल गर्मी की छुट्टियों को छोड़कर तीन माह का और समय दिया जाता है। कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को इस समय-सीमा के अंदर मामले का निपटारा करने का निर्देश दिया और मामले को आगे की सुनवाई के लिए नौ सितंबर को सूचीबद्ध किया है।

मामले में ट्रायल कोर्ट के न्यायाधीश ने हाई कोर्ट को एक पत्र सौंपा, जिसमें कहा गया कि मामले का रिकॉर्ड बहुत बड़ा है क्योंकि मुकदमे का सामना कर रहे आरोपितों के खिलाफ सात आरोपपत्र दायर किए गए हैं। ट्रायल कोर्ट के न्यायाधीश ने पत्र में कहा कि मामले में 19 आरोपित और 85 गवाह हैं, जो बचाव साक्ष्य के चरण में है और मामले के निपटारे के लिए कम से कम छह माह का समय मांगा।

आखिरी आदेश के बाद आगे बढ़ गया मामला

चंडीगढ़ की ओर से पेश विशेष लोक अभियोजक चरणजीत सिंह बख्शी ने दलील दी कि हाई कोर्ट के निर्देशों के बावजूद, मामले को दैनिक आधार पर नहीं उठाया गया और अदालत से ट्रायल कोर्ट को ऐसा करने का निर्देश देने का अनुरोध किया। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ट्रायल कोर्ट के न्यायाधीश के पत्र से पता चलता है कि आखिरी आदेश के बाद मामला आगे बढ़ गया है।

हाई कोर्ट ने जनवरी में ट्रायल कोर्ट से मामले की कार्यवाही में तेजी लाने और इसे दैनिक आधार पर निपटाने को कहा था। अदालत पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट रे पूर्व रजिस्ट्रार (भर्ती) बलविंदर कुमार शर्मा द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिन्होंने एक गवाह से जिरह के लिए दस्तावेजों को तलब करने के उनके आवेदन को खारिज करने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती दी है।

क्या है मामला

पेपर लीक से जुड़े मामले में 2017 में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट की एक शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी। पेपर लीक के बाद 2017 में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने बलविंदर कुमार शर्मा को निलंबित कर दिया था। अभियोजन पक्ष के अनुसार, प्रश्नपत्र अंतिम रूप दिए जाने से लेकर परीक्षा केंद्र तक भेजे जाने तक तत्कालीन रजिस्ट्रार (भर्ती) शर्मा के पास था।

यह आरोप लगाया गया था कि सह-अभियुक्त सुनीता, बलविंदर शर्मा की परिचित थी और शर्मा ने सुनीता को प्रश्न पत्र की एक प्रति दी थी, जिसने रुपये के बदले में इसे दूसरों को बांटा था। दे दिया था। 2021 में, सुप्रीम कोर्ट ने शर्मा के अनुरोध पर मामले को दिल्ली स्थानांतरित कर दिया था।


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