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Coronavirus: बीमारी से लड़ना है डटकर जीना भी है, योजनाबद्ध तरीके से करना होगा काम

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स के निदेशक हितेश वैद्य ने बताया कि शहर के अलग-अलग हिस्से में कार्यालयों और प्रतिष्ठानों का सर्वे करना होगा ताकि यह पता चल सके कि कहां पर किस समय कितनी संख्या में कर्मचारी पहुंचते हैं और उससे उस दौरान यातायात पर कितना दबाव पड़ता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 23 Sep 2020 02:03 PM (IST)Updated: Wed, 23 Sep 2020 02:13 PM (IST)
Coronavirus: बीमारी से लड़ना है डटकर जीना भी है, योजनाबद्ध तरीके से करना होगा काम
अनलॉक के चरण बढ़ते गए..जनता सड़कों पर बढ़ती गई। फाइल फोटो

नई दिल्‍ली, संतोष कुमार सिंह। कोविड-19 महामारी और उसके परिणामस्वरूप हुए लॉकडाउन ने लोगों की जिंदगी बदल कर रख दी है। कोरोना काल ने लाखों लोगों को पहली बार घर से काम करने के लिए प्रेरित किया है। इतना ही नहीं, इस महामारी ने सभी नियोक्ताओं को काम के सिलसिले में लचीला दृष्टिकोण अपनाने के लिए भी मजबूर कर दिया है। फिर चाहे वह घर से काम करना हो, कार्यालय के समय में परिवर्तन करना हो या कोई और विकल्प। बदलती परिस्थितियों में हर पहलू पर सोच-विचार करने की जरूरत है।

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महामारी के दौर में कार्य संस्कृति में काफी बदलाव आया है। इस बदलाव से दिल्ली-एनसीआर सहित अन्य शहरों में सड़क जाम और वायु प्रदूषण जैसी समस्या हल करने में भी मदद मिलेगी। हालांकि इस दिशा में और बेहतर तरीके से काम करने की जरूरत है। अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही हमें सुविधाजनक कार्य समय के अनुरोध बहुतायत से मिल रहे हैं। घर से काम की संस्कृति को बढ़ावा मिल रहा है। वर्क फ्रॉम होम कर्मचारियों के लिए सुविधाजनक व्यवस्था है, क्योंकि इससे उन्हें लंबी यात्र नहीं करनी पड़ती है।

ट्रैफिक में फंसने की समस्या का भी सामना नहीं करना पड़ता है। लेकिन इस प्रकार की कामकाज की आदत टीम-उन्मुख वातावरण के लिए एक बड़ा नुकसान भी है। इसके अलावा यह कार्यालय और घर के बीच की रेखा को धुंधला कर देता है। साथ ही नियोक्ता और कर्मचारी दोनों को इंटरनेट की कमजोर कनेक्टिविटी, प्रौद्योगिकी, डिजिटल साक्षरता और ग्राहक गोपनीयता जैसी समस्याओं से भी जूझना पड़ रहा है।

सर्वे कर समय में कर सकते हैं बदलाव : नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स के निदेशक हितेश वैद्य ने बताया कि यह व्यवस्था ज्यादा मुश्किल नहीं है। बस दृढ़ इच्छा शक्ति और योजनाबद्ध तरीके से इस दिशा में काम करने की जरूरत है। नियोक्ताओं को अपने प्रबंधन के तरीके में बदलाव लाना होगा। इस तरह से समय में बदलाव करना होगा कि ज्यादा से ज्यादा कार्यबल का सदुपयोग हो और वह भी अलग-अलग समय में। इसके लिए नियोक्ता को पूरी योजना तैयार करनी होगी। शहर के अलग-अलग हिस्से में कार्यालयों और प्रतिष्ठानों का सर्वे करना होगा, ताकि यह पता चल सके कि कहां पर किस समय कितनी संख्या में कर्मचारी पहुंचते हैं और उससे उस दौरान यातायात पर कितना दबाव पड़ता है।

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