दीवाली में घर का कोना-कोना रहे रोशन, इसके लिए लोग कुछ इस तरह कर रहे तैयारी
शालीमार बाग निवासी जवाहर मदान का कहना है कि कोरोना की वजह से हमने इस बार दीवाली मिलन कार्यक्रम नहीं रखा लेकिन घर की सजावट में कोई कमी नहीं रखी। दीपोत्सव का त्योहार नई ऊर्जा लेकर आता है और इस खुशी के मौके पर घर में खूब रोशनी करनी है।
जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली। महामारी के दौर में मन आशंकाओं से घिरा है लेकिन दीपोत्सव की खुशियों के बीच मन के किसी कोने में नई उम्मीद का प्रकाश फैला है। इसी उम्मीद की लौ के साथ लोग दीवाली का त्योहार मना रहे हैं। त्योहारों के उत्साह और उमंग के बीच खरीदारी भी जोरों पर है और यह दीवाली के एक दिन पूर्व की रात भी चलती रही।
घर में रोशनी खूब रहे इसके लिए लोग बाजार से लड़ियां खरीद रहे हैं। देसी लड़ियों को खूब पसंद किया जा रहा है क्योंकि इनमें की गई कारीगरी भी मन को लुभा रही है। अलग अलग आकार और रंगों से सजी यह लड़ियां लोगों के घर, बालकनी व पूजा स्थान को जगमगा रहे हैं। इसके साथ ही लड़ियों के बीच एक सुंदर लैंप हो तो क्या कहने..। लैंप की सजावट रंगीन कागजों और गत्तों से की गई है। स्वदेशी को बढ़ावा देते हुए लोग इन्हें ही प्राथमिकता दे रहे हैं। इस दीवाली का घर का कोई कोना अंधकार में न रहे इसके लिए लोगों को प्रयास पूरा है।
शालीमार बाग निवासी जवाहर मदान का कहना है कि कोरोना की वजह से हमने इस बार दीवाली मिलन कार्यक्रम नहीं रखा लेकिन घर की सजावट में कोई कमी नहीं रखी। दीपोत्सव का त्योहार नई ऊर्जा लेकर आता है और इस खुशी के मौके पर घर में खूब रोशनी करनी है। इसलिए देसी लड़ियों की खरीदारी की है।
पीतमपुरा निवासी पारुल ने बताया कि उन्होंने घर के लिए स्वदेशी लैंप की खरीदारी की है जिसकी खूबसूरती से वह काफी प्रभावित हैं। उनका मानना है कि दीवाली के मौके पर घर को दीपों से सजाने के साथ लाइटों का प्रबंध भी करने से रोशनी में कोई कमी नहीं रहती। रोशनी को देखकर मन भी रोशन हो जाता है।
प्रशांत विहार के राघवेन्दर सिंह के अनुसार कोरोना के कारण यह दीवाली थोड़ी कम रोशनी दे रही है लेकिन बच्चों और जीवन में नई खुशियों की कामना के साथ खरीदारी में कमी नहीं रखी।
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