18 साल पहले हिल गई थी दिल्ली, जानें- कैसे आतंकी हमलों को अंजाम देता है Jaish-e-Mohammed
स्पेशल सेल के अधिकारी का कहना है कि जैश पाकिस्तान से सटे भारत के सीमावर्ती इलाके में अकेले हमला करता है, लेकिन मुंबई, दिल्ली व पंजाब में अन्य आतंकी संगठनों संग उसने हमला किया है।
नई दिल्ली [राकेश कुमार सिंह]। आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद ने 13 दिसंबर 2001 को लश्कर-ए-तैयबा के साथ मिलकर भारतीय संसद पर बड़ा हमला किया था। भारतीय लोकतंत्र को थर्रा देने वाली उक्त घटना को याद कर आज भी लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। उस घटना के बाद से खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता के चलते जैश-ए-मुहम्मद दिल्ली में कोई दूसरी वारदात को अंजाम नहीं दे सका है। फिर भी बड़े हमलों के लिए कुख्यात इस आतंकी संगठन को लेकर दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल और सुरक्षा एजेंसियां हमेशा चौकस रहती हैं।
इस तरह आतंकी हमलों को अंजाम देता है जैश
स्पेशल सेल के वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि जैश पाकिस्तान से सटे भारत के सीमावर्ती इलाके में अकेले हमला करता है, लेकिन मुंबई, दिल्ली व पंजाब आदि में अन्य आतंकी संगठनों के साथ उसने हमला किया है। जैश जब किसी बड़े शहर के अंदर प्रवेश करता है तो एक छतरी के रूप में छोटे संगठनों के आतंकियों को पहले अपने साथ शामिल करता है। उन्हें पैसा, हथियार व प्रशिक्षण देने के बाद बड़ी घटना को अंजाम देता है।
आतंकियों के निशाने पर रही है दिल्ली
दिल्ली हमेशा से आतंकियों के निशाने पर रही है। पिछले दो दशक में दिल्ली में एक दर्जन आतंकी हमले हुए, जिनमें बड़ी संख्या में लोगों की जान गई। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल आतंकियों पर शिकंजा कसती भी रही है। 3 मई 2016 को स्पेशल सेल ने राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी व उत्तर प्रदेश एसटीएफ के सहयोग से पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश के दिल्ली मॉड्यूल के तीन आतंकियों साजिद, समीर व शाकिर अंसारी को गिरफ्तार किया था। साजिद मास्टरमाइंड था।
आतंकियों के मंसूबों पर फिरा पानी
दिल्ली-एनसीआर के बाजारों व शॉपिंग मॉल में बम विस्फोट करना चाहते थे। आतंकियों ने सभी तरह के इंतजाम कर लिए थे, लेकिन स्पेशल सेल ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया था। इन तीनों आतंकियों के संपर्क में रहे 13 संदिग्धों का भी पता लगा लिया था, जिनमें से एक उत्तर प्रदेश के देवबंद, एक लोनी व बाकी 11 दिल्ली के उत्तर-पूर्वी जिले के रहने वाले थे।
दिल्ली में दूसरी वारदात नहीं कर पाया जैश
केंद्रीय गृह मंत्रालय को इसकी जानकारी मिलने पर सनसनी फैल गई थी। मंत्रालय के निर्देश पर इन सभी 13 युवाओं की सेल ने कई महीने तक काउंसिलिंग करने के बाद हिदायत देकर छोड़ दिया था। 24 जनवरी को भी स्पेशल सेल ने राजघाट के पास से जैश के दो आतंकियों अब्दुल लतीफ व हिलाल अहमद भट्ट को गिरफ्तार किया था। उनके पास से दो हैंड ग्रेनेड, एक पिस्टल व 26 कारतूस बरामद हुए थे। उन्होंने दिल्ली को दहलाने के लिए पांच महत्वपूर्ण जगहों की रेकी की थी।
पाकिस्तान से सटे इलाके में है जैश का बेस
आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद का बेस पाकिस्तान के सीमावर्ती इलाकों में है। इसके आतंकी काफी प्रशिक्षित होते हैं और सुरक्षाकर्मियों को अक्सर निशाना बनाते हैं। अन्य आतंकी संगठन जैसे लश्कर, आइएस, अलकायदा, इंडियन मुजाहिदीन, जेकेआइएस आदि शहरों में घुसकर रिहायशी क्षेत्रों में हमला करने में माहिर होते हैं। जैश शहर के अंदर अकेले किसी वारदात को अंजाम नहीं देता है, इसके लिए वह छोटे आतंकी संगठनों की मदद लेता है। पठानकोट हमला व उससे पहले मुंबई में 26/11 की घटनाओं को जैश ने अंजाम दिया था। 26/11 की घटना को आइएस के साथ मिलकर अंजाम देने की बात सामने आई थी।
पुलवामा में हुए आतंकी हमले के खिलाफ लोगों में खासा रोष देखा जा रहा है। बृहस्पतिवार शाम को सदर बाजार के 12 टूटी चौक पर पाकिस्तान के खिलाफ नारेबाजी की। साथ ही मोमबत्ती जलाकर शहीदों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। दिल्ली भाजपा के उपाध्यक्ष जय प्रकाश ने हमले को निंदनीय और पाकिस्तान की कायराना हरकत करार दिया। उन्होंने कहा कि यह पाकिस्तान की बौखलाहट दिखाता है। केंद्र सरकार शहीदों का बलिदान बेकार नहीं जाने देगी। पाकिस्तान को उसकी भाषा में ही जवाब दिया जाएगा। स्थानीय निवासी विपिन ने कहा कि पाकिस्तान बक्शा नहीं जाना चाहिए। इस दौरान स्थानीय आरडब्ल्यूए के लोग भी मौजूद रहे।