साइकिलिंग में सात सेंचुरी बनाकर प्रस्तुत किया गुरु शिष्य परंपरा का सुंदर उदाहरण
शास्त्री पार्क बुलंद मस्जिद स्थित सर्वोदय बाल विद्यालय के शिक्षक व गंगा विहार में रहने वाले बसंत मलिक व उनके विद्यार्थी चेतन ने साथ मिलकर रोजाना दुर्गापुरी चौक से लेकर ग्रेटर नोएडा परी चौक और फिर वापस दुर्गापुरी चौक आते थे।
नई दिल्ली [रितु राणा]। गुरु केवल ज्ञान ही नहीं, बल्कि अपने शिष्य के भीतर प्राण शक्ति को भी जगाते हैं। जिस प्रकार महाभारत काल में गुरु द्रोणाचार्य ने अपने शिष्य अर्जुन को धनुर्विद्या दी, इसी तरह वर्तमान युग में शिक्षक बसंत मलिक ने अपने शिष्य चेतन को साइकिल चलाना सिखाया। सिर्फ साइकिल चलाना ही नहीं बल्कि उन्होंने चेतन को अपने साथ लेकर सात दिन में 700 किलोमीटर साइकिलिंग कर सात सेंचुरी पूरी की। जोकि आज के युग में गुरु शिष्य परंपरा का बहुत ही सुंदर उदाहरण है।
शास्त्री पार्क बुलंद मस्जिद स्थित सर्वोदय बाल विद्यालय के शिक्षक व गंगा विहार में रहने वाले बसंत मलिक व उनके विद्यार्थी चेतन ने साथ मिलकर रोजाना दुर्गापुरी चौक से लेकर ग्रेटर नोएडा परी चौक और फिर वापस दुर्गापुरी चौक आते थे। बसंत ने बताया कि कोरोना काल में स्वास्थ्य व पर्यावरण की चिंता में ही उन्होंने अगस्त से साइकिलिंग शुरू की। पहले वह मोटर साइकिल से स्कूल जाते थे लेकिन अब स्कूल भी साइकिल से ही जाते हैं। उन्हें देखकर दो और शिक्षकों ने अब साइकिल से स्कूल आना शुरू किया है। साथ ही अब कई शिक्षक व विद्यार्थी साइकिलिंग के लिए प्रेरित हुए हैं।
यूं हुई सेंचुरी बनाने की शुरुआत
बसंत ने बताया कि वह फिटनेस प्रेमी हैं और लॉकडाउन से पहले क्रिकेट खेलते थे। वह क्रिकेट खेलने पूर्वी दिल्ली नगर निगम क्रिकेट क्लब जाते थे। लेकिन कोरोना के चलते वह बंद हो गया। इसके बाद उनके एक मित्र के सुझाव पर उन्होंने फिटनेस और प्रकृति प्रेम के चलते साइकिल थाम ली। शुरुआत में 20-25 किलोमीटर साइकिल चलाई। इसके बाद उनके अंदर साइकिल चलाने का जुनून सवार हो गया। उन्होंने लक्ष्य बना लिया था कि वह एक हफ्ते में सात सेंचुरी बनाएंगे। वह वट्सएप पर साइकिल के साथ स्टेटस लगाते थे, जिस देखकर चेतन ने भी साइकिल चलाने की इच्छा जताई। फिर उन्होंने चेतन को भी साइकिल चलाना सिखाया और अपने साथ सेंचुरी बनाने के लिए तैयार किया।
बसंत ने बताया कि पहले वह डीडीए फ्लैट्स लेनी रोड स्थित स्कूल में पढ़ाते थे। चेतन उसी स्कूल में 11वीं कक्षा में पढ़ता है। उन्होंने चेतन को नौवीं और 10 कक्षा में पढ़ाया था। तभी से चेतन उनका काफी अच्छा व आज्ञाकारी शिष्य रहा है। उन्होंने कहा कि वह दूसरे स्कूल में चले गए बावजूद इसके चेतन हमेशा उनके संपर्क में रहा। इसी तरह उनका रिश्ता मजबूत हुआ और आज यह सात सेंचुरी बनाने में उसने उनका साथ दिया।
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