Delhi News: इलाज में ट्रेनिंग को AI मददगार, मेडिकल के छात्र-छात्राएं एआइ आधारित डमी पर कर रहे अभ्यास
Delhi Latest News कोबोटिक्स सेंटर (एमसीसी) का 22 सितंबर को भारत सरकार में एसईआरबी के सचिव व डीएसटी के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. अखिलेश गुप्ता ने उद्घाटन किया था। सेंटर में स्वास्थ्य विभाग के छात्र छात्राएं शोधकर्ता आपातकालीन स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के निदान के लिए एआइ आधारित डमी पर अभ्यास कर रहे हैं जोकि वास्तविक स्थिति की तरह की शारीरिक स्थित को उत्पन्न करके अभ्यास में मदद करता है।
रजनीश कुमार पाण्डेय, दक्षिणी दिल्ली। ओखला स्थित इंद्रप्रस्थ इंस्टीट्यूट आफ इंफार्मेशन टेक्नोलाजी (आइआइआइटी) दिल्ली परिसर में खुले मेडिकल कोबोटिक्स सेंटर ने चिकित्सा जगत में बड़े बदलाव उम्मीद जगाई है।
सेंटर में स्वास्थ्य विभाग के छात्र छात्राएं, शोधकर्ता आपातकालीन स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के निदान के लिए एआइ आधारित डमी पर अभ्यास कर रहे हैं जोकि वास्तविक स्थिति की तरह की शारीरिक स्थित को उत्पन्न करके अभ्यास में मदद करता है।
22 सितंबर को हुआ था सेंटर का उद्घाटन
बता दें कि कोबोटिक्स सेंटर (एमसीसी) का 22 सितंबर को भारत सरकार में एसईआरबी के सचिव व डीएसटी के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. अखिलेश गुप्ता ने उद्घाटन किया था।
यह केंद्र आइआइआइटी-दिल्ली का टेक्नोलाजी इनोवेशन हब (आइहब) अनुभूति-आइआइआइटीडी फाउंडेशन और आइआइटी दिल्ली के आइहब फाउंडेशन फार कोबोटिक्स (आइएचएफसी) के संयुक्त प्रयासों से स्थापित किया गया है।
इसको भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा एनएमआईसीपीएस मिशन के तहत आर्थिक मदद दी जा रही है।
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सिलिकान की गुड़िया पर कर सकेंगे बच्चों के इलाज का अभ्यास
सिलिकान से तैयार की गई 2500 ग्राम की नवजात बच्ची लूसी को सांस लेते और उसके धड़कते दिल को देखकर किसी को भी संशय हो सकता है कि यह पुतला है या जिंदा बच्ची। यह एक नियोनेटल लंग सिमुलेटर सिलिकान बेबी है जो चिकित्सकों व छात्रों के प्रशिक्षण के काम आयेगी।
आइआइआइटी में रखे गए सिलिकान के सिमुलेशन के माध्यम से मेडिकल के छात्रों को गंभीर मरीज को वेंटिलेटर लगाने, उनका आक्सीजन स्तर नियंत्रित करने और दिल की धड़कनों को नियंत्रित करने का प्रशिक्षण दिया जायेगा। गंभीर मरीजों को वेंटिलेटर लगाने की प्रक्रिया काफी जटिल होती है।
नवजात बच्चों के मामले में यह और भी मुश्किल होता है। ऐसे में चिकित्सक बच्चों को वेंटिलेटर देने का अभ्यास सीधे बच्चों पर नहीं कर सकते हैं। उन्हें इसके लिए काफी परफेक्ट होना पड़ता है। अभी तक यह अभ्यास प्लास्टिक के पुतले पर किया जाता था, लेकिन उसमें समस्या यह होती थी कि बच्चे को एकदम ओरिजिनल रूप दे पाना मुश्किल था।
यह सब भी जान सकेंगे चिकित्सक
- एप्लीकेशन का एनसीपीएपी
- हाइ फ्लो आक्सीजन थेरेपी
- इनवेसिव वेंटीलेशन
- हाइ फ्रीक्वेंसी वेंटीलेशन
- इफेक्ट आफ सर्फेक्टेंट थेरेपी
- वेंटिलेटर डाटा का इंटरप्रिटेशन
- वेंटिलेटर अलार्म सेटिंग
- इंटरप्रिटेशन का वाइटल साइन
लूसी को अभी फेफड़े और हृदय संबंधी बीमारी के लिए कस्टमाइज करके तैयार किया गया है। इसकी मदद से विभिन्न हालत में किस तरह से इलाज किया जाए और उसका क्या परिणाम आता है इसका डाटा तैयार कर सकेंगे। प्रोग्रामिंग के माध्यम से कैसे को संशोधित कर सकेंगे और उनको दोबारा से टेस्ट कर सकेंगे।
लूसी के जैसे अन्य कई सिमुलेटरों को कोबोटिक्स सेंटर में स्थापित किया गया है जिनमें विभिन्न वास्तविक आपात स्थितियों को उत्पन्न करके अभ्यास के लिए उपयोग में लाया जा रहा है।