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कोरोना जांच में कमी से भयावह हुई दिल्ली की स्थिति : भाजपा

प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा कि संक्रमितों की संख्या कम दिखाने के लिए जांच में कमी की गई है। सरकार की इस लापरवाही की वजह से कई लोगों की मौत हो गई और कई गंभीर रूप से बीमार हैं। कामगार पलायन करने को मजबूर हो गए।

By Prateek KumarEdited By: Published: Fri, 21 May 2021 05:23 PM (IST)Updated: Fri, 21 May 2021 05:23 PM (IST)
कोरोना जांच में कमी से भयावह हुई दिल्ली की स्थिति : भाजपा
आप सरकार की गलत राजनीति के शिकार हुए हैं दिल्लीवासीः आदेश गुप्ता

नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। भाजपा ने दिल्ली में कोरोना जांच कम होने पर आम आदमी पार्टी (आप) सरकार को आड़े हाथों ने लिया है। उसका कहना है कि जांच में कमी और जांच रिपोर्ट में देरी होने से दिल्ली में कोरोना संक्रमण की स्थिति बेकाबू हुई है। यदि समय रहते संक्रमितों की पहचान कर ली जाती तो स्थिति भयावह नहीं होती। सरकार की लापरवाही से कई लोगों की जान चली गई। बावजूद इसके सरकार का रवैया नहीं बदला है। जांच की संख्या लगातार कम हो रही है। इससे एक बार फिर से स्थिति बिगड़ने का खतरा है।

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पार्टी कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा कि संक्रमितों की संख्या कम दिखाने के लिए जांच में कमी की गई है। सरकार की इस लापरवाही की वजह से कई लोगों की मौत हो गई और कई गंभीर रूप से बीमार हैं। कामगार पलायन करने को मजबूर हो गए। दिल्ली के लोग आप सरकार की गलत राजनीति के शिकार हुए हैं। उन्होंने कहा कि जांच में कम करने से संक्रमितों की संख्या में आश्चर्यचकित करने वाली गिरावट भी देखने को मिली। कम जांच के लिए हाई कोर्ट ने भी दिल्ली सरकार को फटकार लगाया है। उन्होंने कहा कि जांच रिपोर्ट में देरी से गंभीर रूप से बीमार कई लोगों का समय पर इलाज नहीं हो सका जिससे उनकी मृत्यु हो गई।

विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि मोहल्ला क्लीनिक कोरोना जांच केंद्र के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता था। उन्होंने कहा कि अभी भी कोरोना जांच में लापरवाही हो रही है। जांच बढ़ाकर कोरोना संक्रमण के मामले कम किए जा सकते हैं।

निजी लैब की मनमानी पर नहीं लगी रोक, ज्यादा पैसे वसूलेः गौतम गंभीर

पूर्वी दिल्ली के सांसद गौतम गंभीर ने कहा कि यदि जांच केंद्रों की संख्या बढ़ाई जाती तो लोगों को जांच कराने के लिए भटकना नहीं पड़ता। लोग निजी लैब में मनमाने लूट के भी शिकार हुए। लोगों को आरटी-पीसीआर जांच के लिए 24 सौ रुपये और एंटीजेन जांच के लिए 13 सौ रुपये तक देने पड़े। सरकारी जांच केंद्रों पर घंटों लाइन में खड़े रहनेके बाद लोग वापस चले जाते थे। समय रहते संक्रमितों की पहचान नहीं हुई और मामले बढ़ते चले गए।

उत्तर-पश्चिम दिल्ली के सांसद हंसराज हंस ने कहा कि पिछले साल मुख्यमंत्री केजरीवाल ने जोर शोर से कोरोना महामारी से लड़ने के लिए फाइव टी (टेस्टिंग, ट्रेसिंग, ट्रीटमेंट, टीम-वर्क और ट्रैकिंग) योजना पर काम करने की घोषणा की थी। लेकिन, उस पर अमल नहीं हुआ। कंटेनमेंट जोन में भी कोरोना जांच करके संक्रमितों की पहचान करने पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

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