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सिडबी ने तीरंदाज पूजा की ओर बढ़ाया मदद का हाथ, अब मिलेगी आर्चरी किट

दिव्यांग तीरंदाज पूजा के संघर्ष व जीवन की कहानी दैनिक जागरण ने 29 अगस्त को प्रकाशित की थी। इसके बाद 1 अक्टूबर बृहस्पतिवार को कनॉट प्लेस स्थित सिडबी बैंक के मुख्य कार्यालय में वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा पूजा को आर्चरी किट के लिए 414534 रुपये का चेक दिया जाएगा।

By Prateek KumarEdited By: Published: Mon, 28 Sep 2020 09:47 PM (IST)Updated: Mon, 28 Sep 2020 09:47 PM (IST)
सिडबी ने तीरंदाज पूजा की ओर बढ़ाया मदद का हाथ, अब मिलेगी आर्चरी किट
तीरंदाज पूजा सिलाई मशीन पर काम करती हुईं। फोटो- पुष्‍पेंद्र।

नई दिल्ली, पुष्पेंद कुमार। त्रिलोकपुरी निवासी पैरा एथलीट दिव्यांग तीरंदाज पूजा कुमारी (32) को देखकर सहसा विश्वास नहीं होता कि वह अपने जीवन में इतने दर्द व उलाहना सहकर आगे बढ़ रही होंगी। उदीयमान दिव्यांग तीरंदाज पूजा के संघर्ष व जीवन की कहानी दैनिक जागरण ने 29 अगस्त को प्रकाशित की थी। इसके बाद 1 अक्टूबर बृहस्पतिवार को कनॉट प्लेस स्थित भारतीय लघु उद्योग विकास (सिडबी) बैंक के मुख्य कार्यालय में वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा पूजा को आर्चरी किट के लिए 4,14,534 रुपये का चेक दिया जाएगा। इससे पहले भी कई संस्थाओं ने उनकी तरफ मदद का हाथ बढ़ाया है।

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गत वर्ष पैरा नेशनल तीरंदाजी प्रतियोगिता 2019 में स्वर्ण पदक विजेता पूजा कुमारी के पास अभ्यास के लिए रिकर्व बो (धनुष) तक नही था। अब तक लकड़ी के धनुष से ही अभ्यास किया करती थी और प्रतियोगिताओं में दोस्त अंजू के रिकर्व बो से खेलकर पदक हासिल करती थीं। साथ ही परिवार के पालन पोषण के लिए घर पर कपड़ों की सिलाई करती हैं। दैनिक जागरण में प्रकाशित समाचार पर संज्ञान लेते हुए भारतीय लघु उद्योग विकास (सिडबी) बैंक ने पूजा के लिए मदद का हाथ बढ़ाया है। अब उसके पास खुद का रिकर्व बो होगा, रिकर्व बो के लिए खुद सिडबी बैंक के वरिष्ठ अधिकारी पूजा को 4,14,534 रुपये भेंट करेंगे।

दिव्यांग तीरंदाज पूजा ने दैनिक जागरण समूह का तहेदिल से धन्यवाद किया है। वह त्रिलोकपुरी इलाके में परिवार के साथ रहती है। पिता विश्वनाथ दर्जी का काम किया करते थे लेकिन किसी कारण वह बीमार पढ़ गए, डॉक्टर ने आराम के लिए कहा है इसलिए वह घर पर ही रहते हैं। परिवार का खर्च पूजा और छोटा भाई संतोष मिलकर चलाते है।

पूजा के माता-पिता ने बताया कि पूजा को बचपन में ही पोलियो हो गया था। अब वह 32 वर्ष की हो गयी है और अभी तक शादी भी नहीं हो पाई है। शादी के लिए काफी अच्छे रिश्ते आए, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण कोई भी रिश्ता नहीं मिल पाया। हर माता-पिता बच्चों को काबिल बनाना चाहते है। हमारी हालत ऐसी है कि हम बेटी को रिकर्व बो तक नहीं दिला पाए। बिटिया ने लकड़ी के धनुष से अभ्यास शुरू किया। भारतीय लघु उद्योग विकास (सिडबी) बैंक को बेटी की मदद को आगे आने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद देते हैं और दैनिक जागरण परिवार के भी हम अभारी रहेंगे, जो बेटी के लिए फरिश्ता बनकर आगे आया।

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