Road Safety: पुलिस की गैरमौजूदगी में लालबत्ती पर वाहन चालक नहीं करते नियमों का पालन
दिल्ली के कन्हैया नगर मेट्रो स्टेशन के पास लाल बत्ती के दौरान गलत दिशा में बिना हेल्मेट जाता बाइक सवार तथा सड़क पर फर्राटा भरता जुगाड़ वाहन जिस पर यातायात कर्मी की निगाह नहीं पड़ती। ऐसे वाहनों को दिल्ली पुलिस द्वारा जब्त किए जाने के आदेश है। ध्रुव कुमार
राहुल चौहान, नई दिल्ली। सड़कों की खामियों और जल्दबाजी में लालबत्ती पर नियमों का उल्लंघन करने से अधिकतर सड़क हादसे होते हैं। इसके बावजूद भी लोग लापरवाही से बाज नहीं आते। सर्दी के मौसम में जब कोहरा पड़ना शुरू होता है तो लोगों की यही लापरवाही ज्यादा खतरनाक हो जाती है। ऐसे में बात हाइवे की हो या फिर राजधानी की अन्य सड़कों की, कोहरे के समय जगह-जगह वाहन चालकों के लिए खतरे के निशान हैं। इनमें स्थान तो आए दिन होने वाले हादसों की वजह से खतरनाक स्थान (ब्लैक स्पॉट) बन चुके हैं।
सड़कों की खामियों की बात करें तो पूर्वी दिल्ली में आनंद विहार से कड़कड़डूमा की ओर जाने वाली सड़क (रोड नंबर 57) टूटी हुई है। इस पर कई ऐसे खतरनाक गड्ढे हैं कि अगर उन पर गाड़ी फिसल जाए या जंप हो जाए तो सड़क हादसा होना तय है। इस सड़क पर कई जगह सीवर के मैनहोल भी ऊबड़-खाबड़ हैं। साथ ही इस सड़क पर सफेद पट्टी भी मिट चुकी है। इसके साथ ही कई और सड़कों पर सफेद पट्टी, ब्रेकर पर पेंट और तमाम तरह की खामियां हैं, जो अंधेरे में सड़क हादसे का कारण बन सकती हैं। विकास मार्ग से अक्षरधाम, नोएडा और गाजियाबाद की ओर जाने वाले रास्ते पर तीव्र मोड़ होने के बावजूद यहां सड़क और ब्रेकर दोनों ही क्षतिग्रस्त हैं, जो कभी भी हादसे का कारण बन सकते हैं। इसके साथ ही अक्षरधाम के सामने से एनएच-9 को जोड़ने वाले रास्ते पर लाइटें खराब हैं। साथ ही यहां गड्ढा भी है। ये किसी भी समय दुर्घटना का कारण बन सकते हैं। कड़कड़ी मोड़ फ्लाईओवर के ऊपर से गांधी नगर की ओर जाने वाले पुश्ता रोड मोड़ के साथ दिशासूचक नहीं है।
वहीं बाहरी दिल्ली में बाहरी रिंग रोड बुराड़ी बाइपास व भलस्वा के बीच स्थित मुकुंदपुर चौक तीन मुख्य मार्गों से जुड़ा है। साथ ही यह राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या एक, रिंग रोड से भी जुड़ा है। मुकुंदपुर चौक से आजादपुर की तरफ जाने वाली इंटरसेक्शन रोड जहां रिंग रोड से जुड़ जाती है, तो मुकरबा चौक के पास यह राष्ट्रीय राजमार्ग एक से भी जुड़ रहा है। चारों तरफ से यातायात के दबाव के कारण यहां सड़क हादसे ज्यादा होते हैं। इनमें पैदल व साइकिल वाले यात्रियों की संख्या सबसे ज्यादा होती है। इनके लिए न साइकिल ट्रैक है और न ही सड़क पार करने के लिए कोई फुट ओवर ब्रिज या सब-वे। हालांकि, यहां फ्लाईओवर बनने के बाद हादसों में कमी आई है। इसके साथ ही राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या एक पर बकौली के समीप शनिदेव मंदिर चौराहा भी खतरनाक है।
पल्ला-बख्तावरपुर व अलीपुर की तरफ आने-जाने के लिए इसी चौराहे को पार करना पड़ता है। यहां राजमार्ग के किनारे ही दोनों तरफ कई मैरिज हॉल हैं, जहां आये दिन आयोजन होते रहते हैं। ऐसे में इस चौराहे पर वाहनों का अतिरिक्त दबाव भी रहता है। यहां लालबत्ती होने के बावजूद लोग लापरवाही करते हैं, जिसके कारण महीने में औसतन चार से पांच लोगों की हादसे से मौत होती है। इन समस्याओं को खत्म करने के लिए लोक निर्माण विभाग ने फुट ओवर ब्रिज और अंडरपास बनाने की योजना बनाई, लेकिन वह अभी तक जमीन पर नहीं उतरी है। पंजाबी बाग गोल चक्कर के समीप ट्रांसपोर्ट नगर होने के कारण बड़ी संख्या में भारी वाहनों की आवाजाही रहती है। रात के समय वाहन चालक मनमाने तरीके से वाहन चलाते हैं। रात को नो एंट्री खुलने के बाद वाहनों के भारी दवाब के बीच से जल्दबाजी में गुजरने वाले लोग अक्सर हादसे का शिकार होते हैं। दक्षिणी दिल्ली के संगम विहार में बत्र अस्पताल के पास टूटी सड़क कभी भी हादसे कारण बन सकती है।
केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान के मुख्य वैज्ञानिक डॉ एस वेलमुरूगन ने बताया कि अधिकतर दुर्घटनाएं लोगों की लापरवाही और सड़क पर सुरक्षित यातायात के साधनों की कमी के कारण होती हैं। इनमें सुधार के लिए जिम्मेदार विभागों में अधिक समन्वय की जरूरत है। अगर विभाग मिलकर समस्या उत्पन्न होते ही समाधान करें तो हादसों को कम किया जा सकता है। इसके लिए सड़कों पर समय से सफेद पट्टी, ब्रेकर, संकेतकों, स्ट्रीट लाइटों और लालबत्ती को दुरुस्त रखने पर ध्यान देना जरूरी है।
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