Delhi AIIMS: फौजी में धड़केगा बीएसएफ के सेवानिवृत जवान का दिल, अंगदान से तीन लोगों को मिली नई जिंदगी
Delhi AIIMS Newsबृहस्पतिवार देर रात हादसे के शिकार हुए बीएसएफ के सेवानिवृत 52 वर्षीय जवान राकेश कुमार का एम्स ट्रामा सेंटर में अंगदान हुआ। उनके अंगदान से जिंदगी के लिए संघर्ष कर रहे तीन मरीजों को जीवनदान मिला।
नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (नोटो) और एम्स के प्रयास से इस साल दिल्ली एनसीआर में अंगदान बढ़ा है। बृहस्पतिवार देर रात हादसे के शिकार हुए बीएसएफ के सेवानिवृत 52 वर्षीय जवान राकेश कुमार का एम्स ट्रामा सेंटर में अंगदान हुआ। उनके अंगदान से जिंदगी के लिए संघर्ष कर रहे तीन मरीजों को जीवनदान मिला। उनके अंगदान में मिला हृदय धौला कुआं स्थित आर्मी अस्पताल में डाक्टरों ने सेना के 49 वर्षीय एक जवान को प्रत्यारोपित किया है।
इस फौजी में अब बीएसएफ के सेवानिवृत जवान का दिल धड़केगा। दोनों कार्निया एम्स के राष्ट्रीय नेत्र बैंक में सुरक्षित रख लिया गया है। राकेश मूलरूप से उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद के रहने वाले थे। उनके भांजा और एम्स के इमरजेंसी मेडिसिन के रेजिडेंट डाक्टर राहुल ने बताया कि वह फिरोजाबाद में ही चार अक्टूबर को कुछ काम करते वक्त करीब 15 फीट की ऊंचाई से गिर गए थे।
इस वजह से सिर में गंभीर चोट लगने के कारण उसी दिन शाम को उन्हें दिल्ली लाकर एम्स ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया था लेकिन डाक्टर उन्हें बचा नहीं पाए। बृहस्पतिवार रात उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया। एम्स ट्रामा सेंटर के डाक्टरों व आर्बो (आर्गन रिट्रिवल बैंकिंग आर्गेनाइजेशन) की टीम ने परिजनों को अंगदान के लिए प्रेरित किया। जिसमें अंग प्रत्यारोपण संयोजक बलराम भी शामिल थे।
एम्स के आर्बो (आर्गन रिट्रिवल बैंकिंग आर्गेनाइजेशन) के अनुसार परिजनों ने हृदय, लिवर, दोनों किडनी व कार्निया दान करने की स्वीकृति दी थी। नोटो ने हृदय आर्मी अस्पताल, लिवर व एक किडनी एम्स और दूसरी किडनी सफदरजंग अस्पताल को आवंटित किया। एम्स से धौला कुआं तक ग्रीन कारिडोर बनाकर हृदय आर्मी अस्पताल ले जाया गया, जहां डाक्टरों ने हृदय की बीमारी से पीड़ित एक जवान को हृदय प्रत्यारोपित किया। एम्स में किडनी 35 वर्षीय एक युवक को प्रत्यारोपित की गई।
वहीं सफदरजंग अस्पताल में 68 वर्षीय महिला को किडनी प्रत्यारोपित की गई। लिवर प्रत्यारोपण के योग्य नहीं होने के कारण उसका इस्तेमाल नहीं हो सका।एम्स में पहली बार वर्ष 1994 में ब्रेन डेड मरीज का पहला अंगदान हुआ था। इसके बाद वर्ष 2015 में एम्स में सबसे ज्यादा अंगदान हुआ था। इस बार छह माह में ही एम्स में 13 लोगों का अंगदान हो चुका है, जिससे करीब 50 लोगों को जीवन मिला है।
ये भी पढ़ें- Delhi News: सरकारी व निजी स्कूलों में फेल नहीं होंगे आठवीं के छात्र, शिक्षा निदेशालय ने जारी की गाइडलाइन
एम्स इस साल सर्वाधिक अंगदान का रिकार्ड बनाने की ओर अग्रसर है। नोटो के अनुसार एम्स में हुए अंगदान को मिलाकर दिल्ली एनसीआर में इस बार 23 ब्रेन डेड मरीजों का अंगदान हो चुका है, जिससे सौ मरीजों का जीवन बचा है। यह दिल्ली एनसीआर में अब तक सर्वाधिक अंगदान का रिकार्ड है। आर्मी अस्पताल में इस साल सेना के छह जवानों को हृदय प्रत्यारोपण हुआ है। वहीं एम्स में भी छह मरीजों को हृदय प्रत्यारोपण व तीन मरीजों को फेफड़ा प्रत्यारोपण हुआ है।