हर साल 21.35 लाख टन प्रदूषक तत्वों को रोकेगी रैपिड रेल, होंगे ये फायदे
रैपिड रेल के दौड़ने के बाद 46 फीसद लोग यातायात के इसी साधन का उपयोग करना पसंद करेंगे। सड़कों से 26 फीसद कार और मोटरसाइकिल का बोझ कम हो जाएगा।
गाजियाबाद [आशीष गुप्ता]। रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) प्रदूषण के कहर को काफी हद तक कम कर देगा। दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ रूट पर इसका संचालन शुरू होने से वायुमंडल में प्रतिवर्ष 21.35 लाख टन प्रदूषक तत्वों की कमी आएगी। यह दावा नेशनल कैपिटल रीजन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (एनसीआरटीसी) ने किया है।
लोग खुल कर सांस ले सकेंगे
रैपिड रेल का संचालन शुरू होने पर पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग 37 से बढ़ कर 63 फीसद हो जाएगा। सड़क पर दौड़ने वाले वाहनों की संख्या घटेगी। जिससे वातावरण प्रदूषित करने वाले तत्वों में भारी कमी आएगी। एनसीआरटीसी की माने तो सबसे ज्यादा कमी कार्बन मोनोऑक्साइड और हाइड्रोकार्बन में आएगी। जिससे लोग खुल कर सांस ले सकेंगे।
सड़को पर कम होगा बोझ
एनसीआरटीसी ने आरआरटीएस को लेकर ओपिनियन सर्वे कराया है। उसकी रिपोर्ट सुखद है। सर्वे के मुताबिक रैपिड रेल के दौड़ने के बाद 46 फीसद लोग यातायात के इसी साधन का उपयोग करना पसंद करेंगे। सड़कों से 26 फीसद कार और मोटरसाइकिल का बोझ कम हो जाएगा। सर्वे में रेलवे के लिए भी अच्छी खबर है। ट्रेनों पर बढ़ रहा बोझ भी कम होगा। रेल पर 17 फीसद यात्रियों की निर्भरता कम हो जाएगी।
समय ज्यादा कीमती
सर्वे में लोगों ने समय को तरजीह दी है। लोगों से पूछा गया था कि क्या वह समय की बचत के लिए ज्यादा कीमत चुकाने को तैयार हैं। इस पर लोगों ने अपनी राय दी कि रैपिड रेल में टिकट थोड़ी अधिक भी लगे तो मंजूर होगा। समय की बचत महत्वपूर्ण हैं। आने-जाने में जितना कम समय लगेगा, काम निपटाने के लिए उतना ही अधिक वक्त मिलेगा। खासतौर पर उद्यमी और व्यापारी वर्ग इस पक्ष में है। आम लोगों का भी इससे काफी समय बचेगा। इससे उनमें खुशी है।
रैपिड रेल का संचालन पर्यावरण के लिए बेहतर
एनसीआरटीसी के प्रवक्ता सुधीर शर्मा ने कहा कि रैपिड रेल का संचालन पर्यावरण के लिए बेहतर है। इसके शुरू होने के बाद सड़कों पर कार और दुपहिया वाहनों की संख्या कम होगी। उनसे निकलने वाले प्रदूषण तत्व भी कम हो जाएंगे। ऐसे में 21 लाख टन प्रदूषण तत्व प्रति वर्ष वायुमंडल में कम हो जाएंगे।
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रैपिड रेल परियोजना पर एक नजर
92.6 किलोमीटर का होगा रुट होगा पूरा रूट
73.40 किलोमीटर का रूट एलिवेटिड होगा
19.2 किलोमीटर रूट जमीन के नीचे से जाएगा, जिस पर पांच स्टेशन होंगे
रेल की अधिकतम स्पीड 160 किलोमीटर प्रति घंटा तक होगी, न्यूनतम 100 किलोमीटर
इस प्रोजेक्ट पर 34500 करोड़ रुपय की लागत आएगी
उत्तर प्रदेश सरकार 4300 करोड़ का अंशदान देगी
2024 तक पहले फेज निर्माण हो पाएगा पूरा
जुलाई 2018, टेंडर और विभिन्न विभागों से एनओसी की प्रक्रिया जारी होगी