Move to Jagran APP

संभव है कैंसर के एडवांस स्टेज का इलाज, 'हाइपैक तकनीक' से मरीजों को मिल रही जिंदगी

म्स में सर्जरी व हाइपैक तकनीक के संयुक्त इस्तेमाल से पेट से संबंधित विभिन्न तरह के एडवांस स्टेज के कैंसर पीड़ितों को भी जिंदगी मिल पा रही है।

By Amit MishraEdited By: Published: Mon, 05 Mar 2018 10:42 AM (IST)Updated: Mon, 05 Mar 2018 11:48 AM (IST)
संभव है कैंसर के एडवांस स्टेज का  इलाज, 'हाइपैक तकनीक' से मरीजों को मिल रही जिंदगी
संभव है कैंसर के एडवांस स्टेज का इलाज, 'हाइपैक तकनीक' से मरीजों को मिल रही जिंदगी

नई दिल्ली [जेएनएन]। कैंसर के ज्यादातर मरीज एडवांस स्टेज आने पर ही डॉक्टर के पास इलाज के लिए पहुंचते हैं। सुविधाओं के अभाव या जागरुकता नहीं होने के कारण ऐसा होता है। कैंसर जब एडवांस स्टेज में पहुंच जाए तो यह मान लिया जाता है कि मरीज का बच पाना मुश्किल है। लेकिन, एम्स में सर्जरी व हाइपैक (हाइपरथेर्मिक इंट्रापेरिटोनियल कीमोथेरेपी) तकनीक के संयुक्त इस्तेमाल से पेट से संबंधित विभिन्न तरह के एडवांस स्टेज के कैंसर पीड़ितों को भी जिंदगी मिल पा रही है।

prime article banner

बढ़ सकती है मरीज की जिंदगी 

एम्स कैंसर सेंटर के सर्जिकल आंकोलॉजी और यूरोपियन सोसायटी ऑफ सर्जिकल आंकोलॉजी के साझे में आयोजित सम्मेलन में इलाज की इस तकनीक और नतीजों पर डॉक्टरों ने चर्चा की। इसमें यह बात सामने आई कि कैंसर के गंभीर मरीजों को सर्जरी के दौरान ऑपरेशन टेबल पर ही यदि कीमो दी जाए तो मरीज की जिंदगी चार से पांच साल तक बढ़ सकती है।

एम्स में हाइपैक मशीन उपलब्ध नहीं थी

एम्स के सर्जिकल आंकोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. एसवीएस देव ने कहा कि संस्थान में अब तक इस तकनीक से करीब 100 मरीजों का इलाज हो चुका है। इस दौरान यह देखा गया है कि करीब 40 फीसद मरीजों में परिणाम बहुत अच्छे रहे। उन्होंने कहा कि वर्ष 2012 में इस तकनीक से एम्स में पहली सर्जरी की गई थी। तब एम्स में हाइपैक मशीन उपलब्ध नहीं थी। उस वक्त वैकल्पिक तौर पर हार्ट लंग मशीन इस्तेमाल कर मरीज को सर्जरी के दौरान कीमो दी गई थी। वर्ष 2014 में मशीन उपलब्ध होने के बाद नियमित तौर पर पेट के एडवांस स्टेज के कैंसर पीड़ितों का इस तकनीक से इलाज किया जा रहा है। डॉ. देव ने कहा कि अभी देश में 10-11 अस्पतालों में ही इसकी सुविधा है। इसमें ज्यादातर निजी अस्पताल हैं। 

 

सर्जरी के दौरान मरीज को कीमो दी जाती है

सर्जिकल आंकोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सुनील कुमार ने कहा कि इस तकनीक से पेट के अंदर की सतह के कैंसर, ओवरी, बड़ी आंत, रेक्टम कैंसर व अपेंडिक्स के कैंसर से पीड़ित मरीजों का इलाज किया जाता है। इस तकनीक में सर्जरी के दौरान ही मरीज को कीमो दी जाती है। ताकि कैंसर के बचे हुए सेल को नष्ट किया जा सके। इस तकनीक से यह विश्वास दिला पा रहे हैं कि एडवांस स्टेज के कैंसर पीड़ितों का उपचार सिर्फ लक्षण तक या दर्द से राहत देने तक सीमित नहीं है। बल्कि बीमारी का निदान हो पा रहा है।

शुरुआती स्टेज में कैंसर की पहचान जरूरी

एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. एमडी रे ने कहा कि साइटोरिडक्टिव सर्जरी व हाइपैक तकनीक में सर्जरी के दौरान मरीज को गर्म कीमो दी जाती है। ताकि कीमो कैंसर के सेल पर जल्दी असर करे। उन्होंने कहा कि शुरुआती स्टेज में कैंसर की पहचान जरूरी है। शुरुआती स्टेज में इसकी पहचान होने पर सर्जरी के परिणाम बेहतर होते हैं। 

यह भी पढ़ें: अब ई-कारें भरेंगी रफ्तार, वायु प्रदूषण पर होगा करारा वार, खर्च भी होगा कम


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.