देश में सबसे अधिक सड़क हादसों की वजह ओवर स्पीडिंग मगर ये कारण भी हैं जिम्मेदार
देश में सबसे ज्यादा हादसे तेज रफ्तार यानी ओवरस्पीडिंग के कारण होते हैं लेकिन सड़क किनारे बेतरतीब पार्किंग ओवरलोडिंग व खटारा वाहन भी हादसों की बड़ी वजह हैं। हालांकि सतर्कता और नियमों के समुचित अनुपालन के जरिये इन हादसों को रोका जा सकता है।
नई दिल्ली, जेएनएन। हादसों के प्रमुख कारणों में वाहन चालकों की अकुशलता, सड़कों की खराब स्थिति, यातायात नियमों का ठीक से अनुपालन न होना व तत्काल चिकित्सा सुविधा उपलबध न हो पाना आदि शामिल हैं। देश में सबसे ज्यादा हादसे तेज रफ्तार यानी ओवरस्पीडिंग के कारण होते हैं, लेकिन सड़क किनारे बेतरतीब पार्किंग, ओवरलोडिंग व खटारा वाहन भी हादसों की बड़ी वजह हैं। हालांकि, सतर्कता और नियमों के समुचित अनुपालन के जरिये इन हादसों को रोका जा सकता है।
ओवरलोडिंग
वाहनों में क्षमता से अधिक सामान लादने के कारण हर साल हजारों हादसे होते हैं। बड़ी संख्या में लोग मारे जाते हैं। सबसे खतरनाक होते हैं सरिया आदि लादकर चलने वाले ट्रक। इनमें लदे सरिये का आधा हिस्सा गाड़ी के बाहर होता है। इंडीकेटर भी नहीं लगे होते। इसके कारण पीछे से आने वाले वाहन सरिया से टकरा जाते हैं।
रिफलेक्टर
मोटर वाहन कानून के तहत बड़े वाहनों में जगह-जगह रेट्रो रिफलेक्टिव टेप लगाना अनिवार्य है। हालांकि, ज्यादातर वाहन ऐसा नहीं करते। अगर बड़े वाहन समुचित रिफलेक्टिव टेप
का इस्तेमाल करें तो सड़क किनारे पार्किंग के कारण होने वाले हादसों पर अंकुश लग सकता है।
बेतरतीब पार्किंग
हाईवे किनारे ढाबों और पेट्रोल पंपों के करीब बेतरतीब पार्किंग भी हादसों की बड़ी वजह है। कोहरा व धुंध की स्थिति में इन वाहनों से टक्कर का खतरा और बढ़ जाता है। पुलिस प्रशासन को अवैध पार्किंग पर रोक लगानी चाहिए, लेकिन ऐसा हो नहीं पाता।
खटारा व अवैध वाहन
अक्सर देखने में आता है कि वाहन का पुर्जा-पुर्जा हिल चुका होता है, फिर भी वह हाईवे पर फर्राटा भर रहा होता है। ऐसे वाहन भी हादसों की वजह बनते हैं। हालांकि, इनसे भी खतरनाक होते हैं जुगाड़ व उन जैसे वाहन जिनमें न तो मानकों का पालन होता है न ही उन्हें चलाने वाले दक्ष होते हैं। भैंसा बुग्गी, बैलगाड़ी व ठेले भी सड़क हादसों की बड़ी वजह हैं।
चिकित्सा सुविधा
हाईवे के किनारे ट्रॉमा सेंटर खोलने और एंबुलेंस की व्यवस्था करने की घोषणा बहुत पहले की गई थी। हालांकि, आज भी बहुत कम एंबुलेंस उपलब्ध हैं और कम
ही ट्रॉमा सेंटर कारगर हैं।
खराब सड़क
जर्जर व डिजाइन की खामी वाली सड़कों के कारण 60 हजार से ज्यादा हादसे होते हैं। इनमें करीब 20 हजार लोगों की जान चाली जाती है।
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