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'सीएए पर लोगों को भड़काने में लगा है मुद्दाविहीन विपक्ष, विरोध से नहीं संवाद से निकलेगा हल'

सीएए पर विपक्ष लोगों को भड़काने का काम कर रहा है। उसके पास कोई मुद्दा नहीं है। जब-जब केंद्र ने इस बारे में लोगों से संवाद की कोशिश की तब-तब वे भाग खड़े हुए।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 28 Jan 2020 10:29 AM (IST)Updated: Tue, 28 Jan 2020 10:41 AM (IST)
'सीएए पर लोगों को भड़काने में लगा है मुद्दाविहीन विपक्ष, विरोध से नहीं संवाद से निकलेगा हल'

नई दिल्‍ली/नोएडा (अनीश कुमार उपाध्याय)। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर देश में जो माहौल बनाया गया है, यह सब विपक्षी दलों की विशुद्ध राजनीति मात्र है। एक खास वर्ग को भ्रमित कर या यूं कहें कि बरगलाकर और विदेशी ताकतों से की फंडिंग से शाहीन बाग आंदोलन को धार दी जा रही है। मुद्दाविहीन विपक्षी दलों कांग्रेस और वामपंथियों ने इसे खड़ा किया है। केंद्र सरकार और भाजपा ने जब कभी भी सीएए को लेकर इनको समझाने की कोशिश की, वे संवाद को तैयार नहीं हुए। जबकि हकीकत यही है कि इस मसले का हल आंदोलन से नहीं, सिर्फ और सिर्फ संवाद से ही निकलेगा।

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विपक्ष की गलत कोशिश 

उक्त बातें सोमवार को आयोजित ‘दैनिक जागरण’ की अकादमिक गोष्ठी जागरण विमर्श में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के प्रवक्ता यासिर जिलानी ने कहीं। उन्होंने देश में सीएए को लेकर खड़े आंदोलन पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने तीन तलाक का उदाहरण दिया और कहा कि इससे देश की एक बड़ी आधी आबादी को फायदा हुआ, तब भी विपक्ष ने विरोध की कोशिश की और विफल रहा। अब फिर सीएए को लेकर विपक्ष सक्रिय है। दिल्ली के जामिया मिल्लिया से हुई विरोध प्रदर्शन की शुरुआत धीरे-धीरे शाहीन बाग और देश के अन्य हिस्सों तक पहुंच गई। वास्तव में सीएए अल्पसंख्यकों का मददगार है, पर विपक्ष भय, भ्रम और बहकावे की राजनीति कर रहा है।

फैलाया जा रहा भ्रम 

भ्रम फैलाया जा रहा है कि इससे यहां के मुस्लिमों का रहना मुश्किल हो जाएगा। खासकर मुस्लिम समुदाय के दिमाग में यह डर पैदा किया जा रहा है। कांग्रेस ने शाहीन बाग में आंदोलनकारियों का साथ दिया। कांग्रेस के बड़े लीडर, जो अक्सर अपने विवादित बयानों को लेकर चर्चा में रहते हैं, वे पाकिस्तान के लाहौर से सीधे शाहीन बाग पहुंचते हैं। यहां वे मोदी सरकार के लिए असंवैधानिक शब्द तक बोल जाते हैं। आंदोलनकारियों को भड़काते हैं। केंद्र की मोदी सरकार के इस दूसरे कार्यकाल में विपक्ष भारत के सामाजिक तानेबाने और तहजीब को तोड़ने का प्रयास कर रहा है। इसकी जितनी भी भर्त्सना की जाए कम है। 

मुस्लिम देशों से भी अधिक सुरक्षित हैं हिन्दुस्तानी मुसलमान

यासिर जिलानी ने कहा कि सीएए का विरोध कर रहे आंदोलनकारियों का मकसद अराजकता फैलाना भर है। भारत की अस्मिता, अखंडता को खंडित करने की मंशा रखते हैं। रेल पटरियों को उखाड़ते हैं। देश के विरोध में नारे लगाते हैं। यहां मुस्लिम जितने सुरक्षित हैं, उतने पाकिस्तान जैसे मुस्लिम देशों में भी नहीं है। भ्रम फैलाया जा रहा है कि उन्हें निकालने की साजिश हो रही है। 

आखिर सख्ती क्यों नहीं बरत रही दिल्ली पुलिस

दिल्ली पुलिस के केंद्र के अधीन होने के बावजूद सख्ती न बरतने के सवाल पर यासिर जिलानी ने कहा कि सरकार आंदोलनकारियों को शत्रु के नजरिए से नहीं देखती है। थोड़ी सख्ती करती है, तो हंगामा खड़ा हो जाता है। उन्होंने सवाल किया कि अब उन पर सर्जिकल स्ट्राइक तो कर नहीं सकते? चूंकि इसे संगठित तरीके से संचालित किया जा रहा है, ऐसे में संवाद से ही हल का प्रयास हो रहा है। अब आंदोलन के चलते हम सारे घुसपैठियों को यहां की नागरिकता तो नहीं दे सकते। देश की आबादी क्या हम इन घुसपैठियों से ही बढ़ा लें। आखिर सीएए को मुस्लिम आंदोलन ही क्यों समझा जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी सैकड़ों बार कह चुके हैं, गृहमंत्री अमित शाह भी सफाई दे चुके हैं, पर मानने को तैयार नहीं है। यहां जिन्ना को चाहने वालों की नहीं, अब्दुल गफ्फार खां जैसी सोच रखने की जरूरत है। वैसे सरकार संवाद का भरपूर प्रयास कर रही है। 

केंद्र सरकार की हर पहल को किया नजरअंदाज

एक सवाल के जवाब में यासिर जिलानी ने कहा कि आंदोलन का पहला दिन था। जामिया से इसकी शुरुआत हुई थी। पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद विजय गोयल और दिल्ली भाजपा प्रमुख मनोज तिवारी संवाद के लिए आंदोलन स्थल पर पहुंचे। आंदोलनकारी संवाद करने के लिए तैयार ही नहीं हुए। सीएए पर चर्चा करते, तो वे मुद्दा ही बदल देते रहे। सीएए पर बात करो, तो एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण) पर बात करते हैं। यहां तक कि वे सर्वोच्च अदालत की बात को भी मानने को तैयार नहीं हैं। 

करोड़ों की विदेशी फंडिंग से हो रही आंदोलनकारियों की मदद

देशभर में फैल रहे सीएए विरोधी आंदोलन में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआइ) जैसे राष्ट्र विरोधी संगठनों की संलिप्तता के प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को पुख्ता सबूत मिले हैं। इन संगठनों को पिछले कुछ महीनों में करोड़ों रुपये की विदेशी फंडिंग हुई है। वास्तव में आंदोलन को लंबे समय तक जारी रखने के लिए एक सुनियोजित साजिश हो रही है। इसके पीछे संगठित विदेशी ताकतें काम कर रही हैं।

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