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जानें क्‍या है पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया जिसने सीएए पर कई राज्‍यों में भड़काई आग

नागरिकता संशोधन कानून को लेकर कई राज्‍यों में हुए हिंसक प्रदर्शनों के पीछे पीएफआई का हाथ होने की बात पिछले वर्ष ही सामने आ गई थी।

By Kamal VermaEdited By: Published: Mon, 27 Jan 2020 05:08 PM (IST)Updated: Mon, 27 Jan 2020 05:58 PM (IST)
जानें क्‍या है पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया जिसने सीएए पर कई राज्‍यों में भड़काई आग
जानें क्‍या है पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया जिसने सीएए पर कई राज्‍यों में भड़काई आग

नई दिल्‍ली जागरण स्‍पेशल। नागरिकता संशोधन कानून के नाम पर हुए हिंसक प्रदर्शनों के पीछे जब से पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (Popular Front of India) का नाम सामने आया है तब से हर राज्‍य और केंद्र की सुरक्षा एजेंसियां इसको लेकर काफी अलर्ट हो गई हैं। आपको बता दें कि इस कानून के विरोध में सबसे पहले असम के लोग खड़े हुए थे। उस वक्‍त माना जा रहा था कि कहीं न कहीं लोगों को इस कानून की सही जानकारी नहीं है, इसलिए ही वह अन्‍य लोगों के बहकावे में आकर सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन जैसे-जैसे इसकी कलई खुलती गई वैसे-वैसे इसकी सच्‍चाई भी सामने आती गई। बाद में सरकार ने भी साफ कर दिया कि विपक्ष इसको हवा दे रहा है और कुछ देश विरोधी संगठन भी इसमें लगे हुए हैं। इसके बाद असम और उत्तर प्रदेश के हिंसक प्रदर्शनों में पीएफआई जैसे संगठन के शामिल होने के खुलासे ने दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया था। इससे ये साफ हो गया था कि प्रदर्शन जैसा दिखाई दे रहा था दरअसल वो ऐसा था नहीं। कुछ लोग और संगठन उसको ऐसा बनाने पर आमादा थे। इस में पीएफआई के साथ प्रतिबंधित संगठन सिमी का भी हाथ था।  

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क्‍या है पीएफआई 

आपको बता दें कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) एक उग्र इस्लामी कट्टरपंथी संगठन है जिसे पिछले ही वर्ष झारखंड में प्रतिबंधित किया गया था। ये कदम राज्‍य सरकार ने इस संगठन के राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल होने की शिकायत के बाद उठाया था। इतना ही नहीं झारखंड सरकार ने माना था कि पीएफआई एक ऐसा संगठन है जो आतंकवादी संगठन आईएस से प्रभावित है। 

केरल ने ठुकराई थी प्रतिबंध करने की मांग 

राज्‍य सरकार को इस बात की भी जानकारी हासिल हुई थी कि इस संगठन से जुड़े कुछ लोग सीरिया समेत दूसरे आईएस प्रभाव वाले देशों में मौजूद हैं। केरल में भी इस संगठन को प्रतिबंधित करने को लेकर वर्ष 2018 में काफी बवाल हुआ था।  यह मांग एर्नाकुलम में एफएफआई से जुड़े एक छात्र की क्रूर हत्या के बाद उठी थी। हालां‍कि, राज्‍य व्‍यापी विरोध के बाद भी राज्‍य सरकार ने इस मांग को खारिज करते हुए पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने से साफ इनकार कर दिया था।  

2006 में बना था पीएफआई 

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का गठन वर्ष 2006 में नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट के सफल होने के बाद किया गया था।धीरे-धीरे इस संगठन से दूसरे कट्टरवादी सोच रखने वाले संगठन भी जुड़ते चले गए। वर्तमान में पीएफआई का असर 16 राज्यों में है और 15 से ज्यादा मुस्लिम संगठन इससे जुड़े हुए हैं। इस संगठन के सदस्‍यों की संख्‍या हजारों में पहुंच चुकी है। पीएफआई की एक महिला विंग भी है। यूपी और असम में हिंसक प्रदर्शनों में शामिल रहने से पहले भी यह संगठन कई तरह की गैर कानूनी गतिविधियों में शामिल रहा है। 

गिरफ्तारी के बाद उजागर हुई गई बातें 

असम और यूपी में इस संगठन से जुड़े लोगों की गिरफ्तारी ने भी काफी कुछ चीजें साफ कर दी थीं। असम में जहां पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के प्रमुख अमिनुल हक (PFI Assam chief Aminul Haque) और उसके प्रेस सचिव मुजीम हक की गिरफ्तारी हुई। वहीं, इसके बाद यूपी से भी इस संगठन के प्रमुख वसीम की गिरफ्तारी की गई। इन दोनों के अलावा भी कुछ और लोगों की गिरफ्तारी हुई जो इसी संगठन से जुड़े थे। गौरतलब है कि पश्चिमी यूपी में बीते वर्ष 19 दिसंबर को काफी उग्र प्रदर्शन हुआ था, जिसके आयोजन के पीछे वसीम का दिमाग काम कर रहा था। वसीम के अलावा यूपी पुलिस ने पीएफआई के कोषाध्‍यक्ष अश्‍फाक और दो सदस्‍यों नदीम और मोहम्‍मद शादाब को भी गिरफ्तार किया था। 

संगठन से जुड़ी कई सामग्री बरामद 

यूपी के उप मुख्‍यमंत्री दिनेश शर्मा ने भी माना था कि सीएए के नाम पर जो प्रदर्शन राज्‍य में हुए उसमें पीएफआई के अलावा सिमी का हाथ था। इनके अलावा असम के वित्‍त मंत्री ने भी हिंसक प्रदर्शनों में इस तरह के प्रतिबंधित संगठनों का हाथ होने का शक जाहिर किया था। यूपी पुलिस को इससे जुड़े लोगों की गिरफ्तारी के दौरान इस संगठन से जुड़े साहित्‍य, झंडे, पर्चे, बैनर, भी बरामद हुए थे। बीते वर्ष दिसंबर में हुए प्रदर्शनों के अलावा संगठन सीएए विरोध को सोशल मीडिया के तहत भी भड़काने का काम कर रहा था। इसकी जिम्‍मेदारी संगठन के नदीम और अश्‍फाक पर थी। गौरतलब है कि असम में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध के दौरान प्रदर्शनकारियों ने सरकारी संपत्ति को जमकर नुकसान पहुंचाया था। इनको खदेड़ने के लिए पुलिस को कुछ जगहों पर गोली तक चलानी पड़ी थी तो कुछ जगहों पर लाठी चार्ज करवाना पड़ा था। राज्‍य में कुछ दिनों के लिए मोबाइल इंटरनेट सेवा तक बंद करनी पड़ी थी। 

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