कोरोना से हो रही मौतों पर हाई कोर्ट ने पूछा, अब तक क्या कर रही थी दिल्ली सरकार
अदालत ने कहा कि एक नवंबर से आप देख रहे हैं कि कोरोना मरीजों की मौत में वृद्धि हो रही है लेकिन आपने कुछ नहीं किया। जब भी अदालत ने 11 नवंबर को सवाल उठाया तो सरकार कछुए की चाल से काम करना शुरू किया।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। कोरोना महामारी के कारण राजधानी दिल्ली में हो रही मौतों पर दिल्ली हाई कोर्ट ने बृहस्पतिवार को दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए पूछा कि बीते 18 दिनों से सरकार क्या कर रही थी। न्यायमूर्ति हिमा कोहली एवं न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने पूछा कि संक्रमण रोकने को लेकर सरकार ने अभी तक कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाया है।
अदालत ने कहा कि एक नवंबर से आप देख रहे हैं कि कोरोना मरीजों की मौत में वृद्धि हो रही है, लेकिन आपने कुछ नहीं किया। जब भी अदालत ने 11 नवंबर को सवाल उठाया तो सरकार कछुए की चाल से काम करना शुरू किया। एक नवंबर से 11 नवंबर तक सरकार क्या कर रही थी। आखिर आपने शादी में मेहमानों की संख्या घटाकर 50 करने का फैसला लेने में 18 दिन क्यों लगा दिया। क्या आपको पता है कि इन दौरान कितने लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी और क्या जिन्होंने अपने करीबियों को खोया है उन्हें आप जवाब दे सकते हैं।
याचिकाकर्ता राकेश मल्होत्रा की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान पीठ ने दिल्ली सरकार के मंत्रियों द्वारा मीडिया में कोरोना की संख्या कम करने के बयान पर भी सवाल उठाया और कहा कि सरकार के दावे हर दिन सामने अा रहे काेरोना मरीजाें की संख्या से अलग दिखाई दे रहे हैं। इससे पहले 11 नवंबर को पीठ ने सार्वजनिक स्थलों पर लोगों के एकत्रित होने व निकलने को लेकर कोरोना नियम में छूट देने पर दिल्ली सरकार की खिंचाई की थी।
हाई कोर्ट ने पूछा क्या पर्याप्त हैं अंतिम संस्कार की व्यवस्था
पीठ ने इस दौरान रिकॉर्ड पर लिया कि श्मशान घाट में ज्यादा संख्या में शव पहुंच रहे हैं और अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी रात चल रही है। पीठ ने इस पर दिल्ली सरकार की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता संदीप सेठी व दिल्ली सरकार के एडिशनल स्टैंडिंग काउंसल सत्यकाम से पूछा कि कोरोना महामारी से मरने वालों का अंतिम संस्कार करने के लिए पर्याप्त व्यवस्था की गई है। पीठ ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि 26 नवंबर को होने वाली अगली सुनवाई पर स्थिति रिपोर्ट पेश करें। इसमें अंतिम संस्कार करने को लेकर की गई व्यवस्था और अस्पतालों में बढ़ाए गए बेड की जानकारी दी जाए।
एंटीजेन के बजाए करें ज्यादा आरटी-पीसीआर टेस्ट
अदालत ने इसके साथ ही दिल्ली सरकार से कहा कि उसे रैपिड एंटीजेन टेस्ट पर अपना भरोसा कम करना चाहिए और बगैर संक्रमण के भी बड़ी संख्या में पॉजिटिव आ रहे मामलों को देखते हुए ज्यादा से ज्यादा आरटी-पीसीआर टेस्ट करना चाहिए। पीठ ने कहा कि दिल्ली सरकार को इस पर सजग रहने की जरूरत है कि रैपिड एंटीजेन टेस्ट प्रभावी साबित नहीं हो रहे हैं। पीठ ने कहा कि वही आरटी-पीसीआर ज्यादा प्रभावी है और टेस्ट की रिपोर्ट सही देने में कारगर है।
शारीरिक दूरी के नियमों की निगरानी से असंतुष्ट अदालत
अदालत सुनवाई के दौरान मास्क पहनने से लेकर शारीरिक दूरी के नियमों का पालन करने को लेकर दिल्ली सरकार द्वारा की जा रही निगरानी पर भी अंतुष्ट दिखाई दी। कुछ जिलों की तुलना में नियमों के उल्लंघन पर कार्रवाई में काफी अंतर है। पीठ ने कहा कि किस तरह की निगरानी आप कर रहे हैं। आपने न्यूयाॅर्क जैसे शहरों को पीछे छोड़ दिया है।
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