अधूरी तैयारी के साथ लागू हो रहा ऑड-इवेन, बढ़ेगी AAP सरकार की मुश्किल
स्कूल बंद होने पर डीटीसी को 300 बसें भी मिली थीं, लेकिन इस बार स्कूल खुले होने पर स्कूल मालिक शायद ही परिवहन विभाग को अपनी बसें दें।
नई दिल्ली (जेएनएन)। वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के कई उपायों में से एक ऑड-इवन को 13 नवंबर से लागू करने का फैसला लिया गया है, लेकिन इस बार हालात अलग हैं और स्थितियां बदल गई हैं। इसके चलते ऑड-इवन को सफल बनाना सरकार के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा।
ऑड-इवन के दौरान सरकारी कार्यालयों, स्कूल, कॉलेज खुले रहने के दौरान डीटीसी और मेट्रो पर 50 से 75 लाख लोगों को गंतव्य तक पहुंचाने की जिम्मेदारी होगी।
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पिछली बार ऑड-इवेन के दौरान डीटीसी ने अपनी और पर्यावरण बसों के माध्यम से लगभग 38 लाख और मेट्रो से 28 लाख यात्रियों को गंतव्य तक पहुंचाकर वाहवाही लूटी थी।
अब डीटीसी के बेड़े से करीब एक हजार बसें कम हो गई हैं। मेट्रो का किराया करीब दोगुना हो गया है। पिछली बार ऑड-इवेन के दौरान स्कूल भी बंद थे, जिसके चलते सड़कों पर वाहन कम थे।
स्कूल बंद होने पर डीटीसी को 300 बसें भी मिली थीं, लेकिन इस बार स्कूल खुले होने पर स्कूल मालिक शायद ही परिवहन विभाग को अपनी बसें दें।
सरकार ने इस बार 500 अतिरिक्त बसें शामिल करने का लक्ष्य रखा है। गत वर्ष जनवरी और अप्रैल में लागू इस फॉर्मूले के बाद दावा किया जा रहा था कि दिल्ली में हर महीने 15 दिन तक ऑड-इवन लागू किया जा सकता है।
तत्कालीन परिवहन मंत्री गोपाल राय ने कहा था कि ऑड-इवन का तीसरा चरण लागू करने से पहले काफी सोच विचार किया जाएगा।
पहले व दूसरे चरण में लागू ऑड-इवेन का नतीजा जानने के लिए सरकार ने छह सदस्यीय कमेटी बनाई थी। कमेटी की रिपोर्ट के अध्ययन के बाद भविष्य के लिए कोई फैसला लेने की बात कही गई थी, लेकिन वर्तमान के हालात को देखते हुए सरकार को आनन-फानन में फैसला लेना पड़ा।