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Delhi News: मुस्लिम बुद्धिजीवी बोले- मुगलों ने तोड़े थे मंदिर, मुस्लिम भाई बड़ा दिल दिखाकर हिंदू भाइयों को सौंप दें ज्ञानवापी और कृष्ण जन्मभूमि

Delhi News मुस्लिम विद्वानों ने ज्ञानवापी मामले को लेकर सौहार्द्रपूर्ण माहौल बनाए रखने के लिए कमेटी बनाई है। उन्होंने कहा कि यह हकीकत इतिहास में दर्ज है कि मुगलों और सुल्तानों ने कई मंदिर ध्वस्त कर उनपर मस्जिदें बनाईं।

By Geetarjun GautamEdited By: Published: Mon, 16 May 2022 09:33 PM (IST)Updated: Mon, 16 May 2022 09:33 PM (IST)
Delhi News: मुस्लिम बुद्धिजीवी बोले- मुगलों ने तोड़े थे मंदिर, मुस्लिम भाई बड़ा दिल दिखाकर हिंदू भाइयों को सौंप दें ज्ञानवापी और कृष्ण जन्मभूमि
मुस्लिम भाई बड़ा दिल कर हिंदू भाइयों को सौंप दें ज्ञानवापी और कृष्ण जन्मभूमि

नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। ज्ञानवापी में शिवलिंग मिलने के बाद यह साबित हो गया है कि मुगल आक्रांताओं ने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई थी। ऐसे में देश के मुस्लिम बुद्धिजीवियों की ओर से दिल बड़ाकर ज्ञानवापी को हिंदू भाइयों के हाथ सौंप देने की बात होने लगी है। उनका कहना है कि कोर्ट के बाहर आपसी सद्भाव से मथुरा व काशी के मामले हल हो सकते हैं।

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इस दिशा में सौहार्द्रपूर्ण तरीके से आगे बढ़ने के लिए उनके द्वारा वरिष्ठ मुस्लिमों का एक पैनल बनाया गया है, जो इतिहास की इस कटु सच्चाई से समाज को अवगत कराते हुए सद्भावना के रास्ते तलाशेगा। इस पैनल में हज कमेटी आफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष तनवीर अहमद, नागपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. एसएन पठान व हैदराबाद स्थित मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलाधिपति फिरोज बख्त अहमद शामिल हैं।

फिरोज बख्त अहमद ने कहा कि इस पैनल का ध्येय मुस्लिमों को यह बताना होगा कि यह मामला न्यायालय में है तो वे किसी भी प्रकार की विद्वेषपूर्वक बयानबाजी से परहेज करें। उन्होंने सर्वे में साक्ष्य मिलने वाली बात को हवाहवाई बताने तथा सर्वे के पहले दिन कोर्ट आयुक्त के काम में रुकावट डालने को गलत बताया।

उन्होंने अपील की कि इस मामले में मुस्लिमों को समाज में जहर उगलने और आग लगाने वाले नेताओं और राजनीतिक दलों से किनारा करना चाहिए, क्योंकि ये सत्ता का सुख भोगने के लिए इन्हें वोट बैंक के रूप में टिश्यू पेपर की तरह उपयोग कर रहे हैं। इन्हीं के कारण मुस्लिम कौम इतनी अशिक्षित, असुरक्षित और आर्थिक रूप से पिछड़ी हुई है।

फिरोज बख्त ने आगे कहा कि अगर मुस्लिम समाज मुगलों व सुल्तानों द्वारा ध्वस्त किए गए मंदिरों के लिए क्षमा याचना कर लें और अयोध्या, ज्ञानवापी व मथुरा की मस्जिदों के बाद उनकी किसी भी मस्जिद का विध्वंस न करने का आश्वासन ले लें तो यह मामला हंसी-खुशी निपट सकता है।

यह वास्तविकता है कि मुगलों और सुल्तानों ने इतिहास में हिंदू आस्था स्थलों को ध्वस्त कर उनपर मस्जिदें बनाई हैं। इसे नकारा नहीं जा सकता है। यह सब इतिहास की पुस्तकों में दर्ज है।

तनवीर अहमद ने कहा कि जिस प्रकार से मुस्लिम आस्था स्थल जैसे मक्का, मदीना, गौस-ए-आजम, हजरत अलीफ सानी आदि मुस्लिमों में अत्यंत महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं, उसी प्रकार से हिंदुओं में भी राम जन्मभूमि, काशी और मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि को अति आदरणीय माना जाता है। ऐसे में मुस्लिम तबके को दिल बड़ा करके इन्हें हिंदू भाइयों को सौंप देना चाहिए। ऐसा होता है तो भारत पुनः जन्नत-उल-फिरदौस बन जाएगा।

एसएन पठान ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पहले ही अल्लाह को हाजिर, नाजिर कर और दिल बड़ा कर मुस्लिम समाज हिंदू भाइयों को यह कहते हुए रामजन्म भूमि स्थान उपहार कर देता कि जैसा उनका मक्का वैसे ही राम जन्म भूमि है तो फिर क्या बात थी।

ऐसा करने से देश के साथ पूरे विश्व में सद्भावना का संचार होता, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उससे भी आगे बढ़कर नौ नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका लगाकर मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने और माहौल खराब किया। अब उस गलती को सुधारने का वक्त है।

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