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MCD Election 2022: अप्रैल तक फंसेगा दिल्ली महापौर के चुनाव का पेंच! केंद्र के पास पूरी शक्ति; क्या होगा आगे?

Delhi Mayor Election दिल्ली नगर निगम के चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब महापौर चुनाव को लेकर पेंच फंस गया है। अब सारी शक्ति केंद्र सरकार के पास हैं वह इस पर निर्णय लेगी कि महापौर का चुनाव कब कराया जाना है।

By Nihal SinghEdited By: GeetarjunPublished: Fri, 09 Dec 2022 12:14 AM (IST)Updated: Fri, 09 Dec 2022 12:14 AM (IST)
MCD Election 2022: अप्रैल तक फंसेगा दिल्ली महापौर के चुनाव का पेंच! केंद्र के पास पूरी शक्ति; क्या होगा आगे?
अप्रैल तक फंसेगा दिल्ली महापौर के चुनाव पेंच! केंद्र सरकार के पास पूरी शक्ति; क्या होगा आगे?

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली नगर निगम के चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब महापौर चुनाव को लेकर पेंच फंस गया है। अब सारी शक्ति केंद्र सरकार के पास हैं, वह इस पर निर्णय लेगी कि महापौर का चुनाव कब कराया जाना है। वर्तमान निगम एक्ट के अनुसार तो अप्रैल माह में होने वाली सदन की पहली बैठक में ही महापौर और उप महापौर पद चुनाव होना होता है।

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निगम एक्ट में महापौर के चुनाव की प्रक्रिया से लेकर चुनाव कब होगा यह स्पष्ट लिखा हुआ है। निगम एक्ट के अनुच्छेद तीन में निगम के गठन को लेकर नियम बताए गए हैं। इसमें महापौर का चुनाव अप्रैल माह की पहली बैठक में होने की बात कही गई है। जब तक की केंद्र सरकार कोई आदेश नहीं निकाल देती तब तक महापौर के चुनाव को लेकर पेंच फंस सकता है।

नगर निगम के एक्ट में अप्रैल में होगा चुनाव

निगम में मुख्य विधि अधिकारी रहे अनिल कुमार बताते हैं कि दिल्ली नगर निगम एक्ट के अनुच्छेद 35 कहा गया है कि महापौर का चुनाव हर वर्ष होगा। अब साल का अर्थ क्या होगा यह जानकारी भी एक्ट की विभिन्न परिभाषाएं निर्धारित करने की जानकारी भी एक्ट में दी गई है। एक्ट में वर्ष का अर्थ बताया गया है कि जो कि एक अप्रैल से ही शुरू होगा।

अप्रैल होना संभव है चुनाव

ऐसे में वर्तमान परिस्थिति में तो निर्वाचित होकर आए सदस्यों का चुनाव अप्रैल में ही होना संभव है। गुप्ता ने बताया तीनों निगमों को एक करने के बाद निगम ने एक्ट में संशोधन करके यह भी प्रविधान किया गया है कि जिसमें कहा गया है कि इस एक्ट को लागू करने में अगर कोई भी दिक्कत आती है तो केंद्र सरकार एक आदेश निकालकर उस दिक्कत को दूर कर सकती है।

इसके लिए एक्ट में संशोधन की आवश्यकता नहीं होगी। दो साल तक केंद्र सरकार के पास यह शक्ति है। हालांकि इन आदेशों को लोकसभा और राज्यसभा में पेश करना होगा।

आगे क्या होगा?

राज्य चुनाव आयोग से जीते हुए प्रत्याशियों की अधिसूचना जारी करके दिल्ली नगर निगम के आयुक्त को भेजेगा। आयुक्त इसे निगम सचिव को भेजेंगे। निगम सचिव इस सूची के साथ एक पत्र उपराज्यपाल को लिखेंगे। जिसमें कहा जाएगा कि यह सदस्य जीतकर आए हैं। कृपया सदन की बैठक की तारीख और महापौर का चुनाव कराने के लिए पीठासीन अधिकारी नियुक्त करें। निगम के पूर्व मुख्य विधि अधिकारी अनिल गुप्ता बताते हैं कि इसी समय उपराज्यपाल एक्ट के अनुसार देखेंगे कि क्या वह शपथ की तारीख घोषित कर सकते हैं या नहीं।

चूंकि एक्ट अप्रैल माह की पहली बैठक में ही महापौर और उप महापौर के चुनाव कराने की अनुमति देता है तो इस पर वह केंद्र सरकार से सलाह लेकर इस पर निर्णय ले सकते हैं।

कौन-कौन होता है निगम का सदस्य

निर्वाचित पार्षद: 250

विधायक: 13

लोकसभा सांसद: 7

राज्यसभा सदस्य: 3

मनोनीत सदस्य: 10

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बैठक होने से पहले जारी होगी महापौर-उपमहापौर पद के नामांकन की तारीख

जब भी उपराज्यपाल सदन बुलाने की तारीख बताएंगे, उससे कम से कम दस दिन पूर्व निगम सचिव कार्यालय महापौर और उपमहापौर पद के प्रत्याशियों के नामांकन की तारीखों की घोषणा करेगा।

ऐसे होता है महापौर का चुनाव

दिल्ली नगर निगम के महापौर का चुनाव में निर्वाचित 250 पार्षदों के साथ ही 13 विधायक सात दिल्ली के लोकसभा सांसद, तीन राज्यसभा सदस्य मतदान कर सकते हैं। जिसके पास बहुतम होता हैं वहीं, जीत जाता है।

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विधायक ऐसे बनते हैं सदस्य

दिल्ली विधानसभा के कुल सदस्यों का पांचवे हिस्से के बराबर सदस्य दिल्ली नगर निगम के सदस्य बनाए जाते हैं। इनकी नियुक्ति का अधिकार विधानसभा के स्पीकर के पास है। वह इन सदस्यों के नाम दिल्ली नगर निगम को भेजते हैं। दिल्ली नगर निगम क्षेत्र में 68 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। ऐसे में 13 सदस्य पूर्व में निगम के सदस्य रहे हैं। इन सदस्यों को महापौर व उप महापौर के चुनाव में मतदान करने का अधिकार होता है।

उपराज्यपाल जारी करते हैं सदस्यों की अधिसूचना

निगम चुनाव के बाद उपराज्यपाल दिल्ली की सात लोकसभा क्षेत्रों के सदस्यों को निगम सदस्य नियुक्त करते हैं। इसी प्रकार राज्यसभा सदस्यों को सदस्य घोषित किया जाता है। इसकी घोषणा उपराज्यपाल अधिसूचना जारी करके करते हैं।

मनोनीत सदस्यों को नहीं है मतदान का अधिकार

25 वर्ष से अधिक आयु के विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ सदस्यों को उपराज्यपाल मनोनीत करते हैं। ऐसे अभी तक दस सदस्य मनोनीत किए जाते रहे हैं। इन सदस्यों को निगम सदन में महापौर चुनाव से लेकर निगम के किसी भी मुद्दे पर मतदान का अधिकार नहीं होता है। जबकि वार्ड कमेटी में यह सदस्य मतदान कर सकते हैं। वर्ष 2017-2022 के कार्याकाल में मनोनीत सदस्य स्थायी समिति के उपाध्यक्ष तक रहे हैं।


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