Delhi Air Pollution: कूड़े में लग रही आग दिल्ली के वायु प्रदूषण में कर रही इजाफा
ग्रेप के नियमानुसार इस समय कूड़े अथवा पत्तों में आग लगाने की सख्त मनाही है। ऐसा करने पर जुर्माने का भी प्रावधान है। लेकिन इस पर ईमानदारी से रोक लग नहीं पा रही है। चोरी छिपे एवं रात के अंधेरे में अभी भी खूब आग लगाई जा रही है।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। पराली का धुआं थमने के बावजूद दिल्ली की हवा में प्रदूषण बरकरार है तो इसके पीछे कई स्थानीय कारक जिम्मेदार हैं। सबसे बड़ा कारक जहां- तहां कूड़े में आग लगाना और ठोस कचरा प्रबंधन का कोई इंतजाम ना होना है। प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा जारी ग्रीन दिल्ली एप पर भी सर्वाधिक शिकायतें इसी को लेकर दर्ज हो रही हैं।
गौरतलब है कि दिल्ली के प्रदूषण में पराली का धुआं एक अस्थायी कारक है। इसके चलते अक्टूबर और नवंबर में ही मुख्यतया हवा दूषित होती है। प्रदूषण के स्थायी कारकों में वाहनों और औैद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला धुआं और सड़क किनारे व निर्माण स्थलों पर उड़ने वाली धूल है। सर्दियों के दिनों में इससे निपटने के लिए ही ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) लागू किया जाता है। इसके तहत 15 अक्टूबर से 15 मार्च तक ऐसी अनेक गतिविधियों पर प्रतिबंध रहता है जिनसे वायु प्रदूषण में इजाफा होता है। प्रदूषण का स्तर बढ़ने पर प्रतिबंध भी बढ़ जाते हैं।
ग्रेप के नियमानुसार इस समय कूड़े अथवा पत्तों में आग लगाने की सख्त मनाही है। ऐसा करने पर जुर्माने का भी प्रावधान है। लेकिन इस पर ईमानदारी से रोक लग नहीं पा रही है। चोरी छिपे एवं रात के अंधेरे में अभी भी खूब आग लगाई जा रही है। दूसरी तरफ ठोस कचरा प्रबंधन का पुख्ता इंतजाम न होने के कारण लैंडफिल साइट तो क्षमता से कहीं ज्यादा भर ही चुकी है, डलाव घर भी भरे रहते हैं। इन दोनों कारणों से भी दिल्ली की हवा में महीन प्रदूषक तत्व पीएम 2.5 और पीएम 1 की वृद्धि होती है।
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के मुताबिक ग्रीन दिल्ली एप पर भी इन्हीं दो कारकों से जुड़ी शिकायतें ज्यादा आ रही हैं। इस एप पर 19 नवंबर तक 6,963 शिकायतें दर्ज हुई हैं। सर्वाधिक शिकायतें उत्तरी दिल्ली नगर निगम क्षेत्र से संबंधित हैं। ज्यादातर शिकायतें सड़क किनारे खाली भूमि में कचरा डालने या अवैध डंपिंग की है। इसके अलावा बाॅयोमास कचरा-प्लास्टिक जलाने व ध्वस्तीकरण समेत अलग-अलग तरह की शिकायतें भी शामिल हैं।
डीपीसीसी अधिकारियों का कहना है कि औद्योगिक इकाइयों का धुआं दिल्ली में अब नहीं के बराबर है। कारण, सभी इकाइयों को स्वच्छ ईंधन पीएनजी पर शिफ्ट किया जा चुका है। रात के अंधेरे में भी अगर कहीं लापरवाही होती है तो सख्त कार्रवाई की जा रही है। सड़कों की धूल थामने के लिए पानी का छिड़काव किया जा रहा है तो सभी बड़े निर्माण स्थलों पर एंटी स्मॉग गन लगा दी गई हैं। ऐसे में अगर नगर निगम ठोस कचरा प्रबंधन का पुख्ता इंतजाम कर दे। साथ ही कचरा जलाने सहित अवैध डंपिंग जैसी समस्याओं का समाधन भी कर दे तो वायु प्रदूषण के स्ता में और राहत मिल सकती है।
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