CBI DIG के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्रवाई शुरू करने की मांग, हाई कोर्ट में याचिका
न्यायालय अधिनियम की धारा 15 (2) के अनुसार अधीनस्थ अदालत के किसी भी आपराधिक अवमानना के मामले में हाई कोर्ट अधीनस्थ अदालत द्वारा किए गए संदर्भ पर या अधिवक्ता द्वारा किए गए प्रस्ताव पर कार्रवाई कर सकता है।
नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। एक लोक अभियोजक को मुक्का मारने के आरोप में केंद्रीय जांच एजेंसी ( सीबीआइ) के उप महानिरीक्षक (डीआईजी) राघवेंद्र वत्स के खिलाफ आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करने की सहमति देने के लिए एक अधिवक्ता ने दिल्ली सरकार के स्टैंडिंग काउंसल को प्रतिवेदन भेजा है। अधिवक्ता अमित साहनी ने दिल्ली सरकार के स्थायी वकील (अपराधी) राहुल मेहरा को भेजे गए पत्र में कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट्स एक्ट के तहत उनकी सहमति मांगी है।
यह मामला सरकारी वकील सुनील कुमार वर्मा से जुड़ा है जिन्होंने एक निचली अदालत को बताया था कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पूर्व निजी सचिव राजेन्द्र कुमार से जुड़े एक मामले में आरोप तय करने के मामले में तेजी से कार्रवाई न होने पर डीआइजी वत्स ने उन्हें मुक्का मारा था और उन्होंने वत्स के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई है। निचली अदालत ने डीआइजी को तलब किया है, वहीं सीबीआइ ने अभियोजक के आरोपों की तथ्यात्मक जांच शुरू कर दी है।
साहनी ने कहा कि राजनीतिक मजबूरियां किसी भी सीबीआइ अधिकारी को इस बात के लिए बाध्य नहीं कर सकती हैं कि वह अधिवक्ता या लोक अभियोजक को पीटने की हिम्मत करे। उन्होंने कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट बार एसोसिएशन और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के एक जिम्मेदार सदस्य होने के नाते वह आइपीएस अधिकारी के खिलाफ आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करना चाहते हैं। न्यायालय अधिनियम की धारा 15 (2) के अनुसार अधीनस्थ अदालत के किसी भी आपराधिक अवमानना के मामले में हाई कोर्ट अधीनस्थ अदालत द्वारा किए गए संदर्भ पर या अधिवक्ता द्वारा किए गए प्रस्ताव पर कार्रवाई कर सकता है। साहनी ने सीबीआइ के सरकारी वकील पर हुए हमले के बारे में उचित कार्रवाई करने के लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआइ) को भी लिखा है।
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