जानिए क्यों दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा- कौन रोकेगा मुझे, अगर हंसते-हंसते सच कह जाऊं तो?
सिसोदिया ने सोमवार को दिल्ली सांस्कृतिक नीति सलाहकार समिति की पहली ऑनलाइन बैठक में की। सिसोदिया ने कहा कि सच को सच कहने की सबसे ज्यादा ताकत कला संस्कृति में ही है और हम इस सांस्कृतिक नीति के जरिये शहर के सोचने का मिजाज बदलना चाहते हैं।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सोमवार को कहा है कि समाज को नफरत और चारित्रिक पतन के खिलाफ खड़ा करने में कला और संस्कृति को अपनी भूमिका निभानी होगी। आज के दौर में हिंसा और नफरत बढ़ रही है तथा चौतरफा पतन दिख रहा है। ऐसे में कला संस्कृति का सार्थक योगदान हो, इसके लिए दिल्ली सरकार एक समग्र सांस्कृतिक नीति बना रही है। सिसोदिया ने सोमवार को यह बात दिल्ली सांस्कृतिक नीति सलाहकार समिति की पहली ऑनलाइन बैठक में कही। सिसोदिया ने कहा कि सच को सच कहने की सबसे ज्यादा ताकत कला संस्कृति में ही है और हम इस सांस्कृतिक नीति के जरिये शहर के सोचने का मिजाज बदलना चाहते हैं।
दिल्ली के लोगों के पास सांस्कृतिक कार्यक्रमों में जाने के कई विकल्प होंगे
उपमुख्यमंत्री ने चर्चित नाटक मसखरा मौलियर का उदाहरण दिया। इसमें मसखरा कहता है-'कौन रोकेगा मुझे, अगर हंसते-हंसते सच कह जाऊं तो? उन्होंने कहा कि हम दिल्ली में ऐसा सांस्कृतिक माहौल बनाना चाहते हैं, जहां हर दिन कुछ अच्छी गतिविधियां हों। जिस तरह लोग अपने मेहमानों को सिनेमा घर और रेस्टोरेंट ले जाते हैं, उसी तरह अब दिल्ली के लोगों के पास सांस्कृतिक कार्यक्रमों में जाने के कई विकल्प होंगे।
स्कूलों में थियेटर शिक्षा लागू करे दिल्ली सरकार
बैठक में उपस्थित अभिनेता मनोज वाजपेयी ने कहा कि लंबे समय से मेरा सपना है कि अगर किसी सरकार से नजदीकी रिश्ता हो तो स्कूलों में थियेटर की शिक्षा लागू करने की सलाह दूं। वाजपेयी ने स्कूलों के साथ ही स्लम और चौराहों के बच्चों को भी थियेटर शिक्षा के माध्यम से मुख्यधारा में लाने की सलाह दी। सिसोदिया ने कहा कि पेरिस में हर चौक-चौराहे और मेट्रो के समीप तरह-तरह के नृत्य संगीत के कार्यक्रम होते रहते हैं। वाजपेयी ने दिल्ली में भी कलाकारों को कला प्रदर्शन के लिए जगह मुहैया कराने का सुझाव दिया ताकि दिल्ली को सांस्कृतिक राजधानी के तौर पर और ऊपर लाया जा सके।
दिल्ली सबकी है, पूरे देश की संस्कृति दिखेगी दिल्ली में
सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली सबकी है, इसलिए दिल्ली में पूरे देश का सांस्कृतिक माहौल दिखना चाहिए। कश्मीर या बिहार या किसी अन्य राज्य की सरकार अपने राज्य की भाषा और संस्कृति पर केंद्रित रह सकती है, लेकिन दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी होने का गौरव है। इसलिए देश के जिस भी हिस्से के लोग यहां आते हों, उन्हें यहां अपनी संस्कृति की झलक दिखाई पड़े। दिल्ली को कला और संस्कृति का जीवंत केंद्र बनाने की दिशा में सरकार तेजी से काम कर रही है। सिसोदिया ने कहा कि यह एक बड़ा सपना है। इसे साकार करने के लिए एक सांस्कृतिक नीति बनाई जा रही है। इसके लिए दिल्ली सरकार के कला संस्कृति और भाषा विभाग ने पंद्रह सदस्यीय समिति सलाहकार समिति बनाई है। यह दो माह के भीतर अपनी रिपोर्ट देगी।
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