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दिल्‍ली में हर दिन लापता होते बच्‍चों को ऐसे खोजती है दिल्‍ली पुलिस, मिल रही अच्‍छी सफलता

तस्‍कर बच्चों से भीख मंगवाने के अलावा नाबालिग बच्चियों से गलत काम तक करवाते हैं। लेकिन दिल्ली में इस तरह की घटना कम होती है। बावजूद इसके बच्चों के मामले में पुलिस की जांच में कोई कमी ना छोड़ी जाए इसके लिए पुलिस आयुक्त ने शख्त निर्देश दे रखा है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Wed, 14 Oct 2020 05:10 PM (IST)Updated: Wed, 14 Oct 2020 05:10 PM (IST)
दिल्‍ली में हर दिन लापता होते बच्‍चों को ऐसे खोजती है दिल्‍ली पुलिस, मिल रही अच्‍छी सफलता
बच्चों के गुमशुदगी के मामले पुलिस की प्राथमिकता पर है।

नई दिल्ली,संतोष शर्मा। दिल्ली से रोजाना बड़ी संख्या में बच्चे लापता होते हैं। लेकिन, एक तथ्य यह भी है कि ज्यादातर बच्चे कुछ ही दिनों में खुद वापस घर भी लौट आते हैं। बावजूद इसके बच्चे गलत हाथों में पड़ जाएं इसके लिए पुलिस खासी सर्तक है। बच्चों के गुमशुदगी के मामले पुलिस की प्राथमिकता पर है। घटना की सूचना मिलते ही बच्चों की तलाश के प्रयास शुरू कर दिए जाते हैं। इसमें तकनीकी मदद के साथ ही मुखबिरों की भी मदद ली जाती है।

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तकनीक की मदद से सरल हुई खोज की प्रकिया

तकनीकी मदद से हाल के दिनों में कई गुमशुदा बच्चों को पुलिस ने उनके परिजनों से मिलाया। दरअसल ज्यादातर बच्चे अपनी अनुचित मांग नहीं माने जाने, परीक्षा में कम अंक लाने, परिजनों की डांट अथवा अन्य कारणों से खुद घर छोड़कर चले जाते हैं। वहीं, कुछ मामले में ही बच्चों के अगवा करने के मामले में मानव तस्करों की भूमिका सामने आती है।

बच्‍चों से भीख मंगवाते हैं तस्‍कर

तस्‍कर बच्चों से भीख मंगवाने के अलावा नाबालिग बच्चियों से गलत काम तक करवाते हैं। लेकिन, दिल्ली में इस तरह की घटना कम होती है। बावजूद इसके बच्चों के मामले में पुलिस की जांच में कोई कमी ना छोड़ी जाए इसके लिए पुलिस आयुक्त ने अधिकारियों को शख्त निर्देश दे रखा है।

मुख्‍यालय के अलावा हर जिले में हैं एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग की टीम

गुमशुदा बच्चों की तलाश के लिए मुख्यालय में एक बड़ी टीम के अलावा हर जिले में एक एंटी ह्यूमन टैफिकिंग टीम का गठन किया गया है। वहीं, थाने के स्तर पर जांच अधिकारी मामले की छानबीन करते हैं। ह्यूमन ट्रैफिकिंग टीम में मौजूद 12 पुलिसकर्मी लगातार इस मामले पर नजर रखते हैं। बच्चे के लापता होने की सूचना मिलते ही फोटो और जानकारी दिल्ली पुलिस की जिप नेट (वेबसाइट) पर डाल दी जाती है।

शेल्‍टर होम में जाकर करती है पहचान

वहीं, पुलिस जिस स्थान से बच्चा लापता हुआ है वहां लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज के साथ ही मुखबिर की मदद से उसे ढूंढती है। यह जानकारी दूसरे राज्यों की पुलिस से भी साझा की जाती है। पुलिस जगह-जगह बेसहारा बच्चों के लिए बने शेल्टर होम में जाकर बच्चों की पहचान करती है।

क्या कहते हैं पुलिस अधिकारी

पुलिस की सतर्कता के कारण गत दिनों कई बच्चों को सकुशल बरामद किया गया। इस वर्ष 15 सितंबर तक दिल्ली में लापता हुए बच्चों के कुल 2869 मामले सामने आए। इनमें से 1949 बच्चे या तो खुद घर लौट आए अथवा पुलिस ने बरामद कर उन्हें परिजनों को सौंपा। ज्यादातर मामले में बच्चे खुद घर से भागे थे। वर्तमान में किसी भी मामले में मानव तस्करी अथवा अन्य गिरोह की संलिप्तता सामने नहीं आई है।

आरपी मीणा पुलिस उपायुक्त (दिल्ली पुलिस)

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