पीएचडी छात्रों के परिसर प्रवेश पर जेएनयू ने खड़े किए हाथ
जेएनयू के रजिस्ट्रार डॉ प्रमोद कुमार ने कहा कि दिल्ली सरकार के दिशानिर्देशों का इंतजार है क्योंकि कोविड 19 के बढ़ते मामलों को देखते हुए छात्रों को कैंपस लाैटने के इंतजाम नहीं है।
नई दिल्ली, संजीव कुमार मिश्रा। अनलॉक-4 में चरणबद्ध तरीके से पीएचडी छात्रों को विश्वविद्यालयों में वापस बुलाने की बात कही गई। दिल्ली विश्वविद्यालय ने इस पर अमल भी किया लेकिन जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय ने अब तक पीएचडी छात्रों के लिए अपने प्रवेश द्वार बंद ही कर रखे हैं। वहीं छात्र संगठन बार-बार छात्रों को परिसर में वापस बुलाने की मांग कर रहे हैं। इसके लिए छात्र संघ ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री से लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री तक को पत्र लिखा है।
जेएनयू के रजिस्ट्रार डॉ प्रमोद कुमार ने कहा कि दिल्ली सरकार के दिशानिर्देशों का इंतजार है, क्योंकि कोविड 19 के बढ़ते मामलों को देखते हुए छात्रों को कैंपस लाैटने के इंतजाम नहीं है। जेएनयू में पढ़ने वाले 80 फीसद छात्र यहीं छात्रावास में रहते हैं। यदि छात्र आना शुरू करते हैं तो आइसोलेशन में रखेंगे कहां? हमारे लिए यह किसी चुनौती से कम नहीं होगा, क्योंकि व्यवस्था सीमित है।
वहीं एबीवीपी ने छात्रों की वापसी के लिए पांच चरण बताएं हैं। जिसमें पहले चरण के तहत प्रयोगशालाओं में जाने वाले पीएचडी छात्रों को बुलाने की बात कही गई है। दूसरे चरण में अन्य शोधार्थियों को बुलाया जाए, जिन्हें प्रयोगशाला की जरूरत न हों। तीसरे चरण में पीएचडी अंतिम वर्ष के समस्त छात्रों, चौथे चरण में एमए, एमएससी आदि के छात्रों समेत पांचवें चरण में बाकि अन्य पाठयक्रमों के छात्रों को बुलाने की बात कही गई है।
चुनाव खर्चे को लेकर हमलावर छात्रसंघ
जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष आइषी घोष लगातार दूसरे दिन चुनाव खर्च को लेकर हमलावर रहीं। आइषी ने कहा कि प्रशासन की तरफ से फंड रोकना गैर जायज है। यह फंड छात्रों की फीस से बनता है। जिसमें प्रत्येक छात्र छात्रसंघ की मद में 15 रुपये वार्षिक चुकाता है। छात्रसंघ चुनावों के दौरान खर्च के लिए धनराशि मिलती है। जिसके तहत चुनाव की शुरुआत में विवि प्रशासन ने चुनाव समिति को 50 हजार के आसपास रकम थी, लेकिन उसके बाद कोई भी रकम विवि प्रशासन को नहीं दी गई है। अब समिति पर विभिन्न विक्रेताओं का एक लाख रुपये का बकाया है, लेकिन विवि प्रशासन कई प्रयास के बाद भी फंड जारी नहीं कर रहा है।
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