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'वंदे मातरम' को 'जन गण मन' के बराबर दर्जा, केंद्र ने दिल्ली हाई कोर्ट को दिया याचिका का जवाब

Delhi News केंद्र सरकार ने उस याचिका का जवाब दिया है जिसमें राष्ट्रगान और राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम को समान सम्मान और दर्जा देने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने के लिए अपील की गई थी। केंद्र ने कहा कि दोनों के प्रति बराबर सम्मान जताना चाहिए।

By Jagran NewsEdited By: Abhishek TiwariPublished: Sat, 05 Nov 2022 01:32 PM (IST)Updated: Sat, 05 Nov 2022 01:32 PM (IST)
'वंदे मातरम' को 'जन गण मन' के बराबर दर्जा, केंद्र ने दिल्ली हाई कोर्ट से कहा

नई दिल्ली, एजेंसी। केंद्र सरकार ने कहा है कि राष्ट्रगान-जन गण मन और राष्ट्रगीत-वंदे मातरम् को बराबर का दर्जा मिला हुआ है। प्रत्येक नागरिक को दोनों का समान सम्मान करना चाहिए। केंद्र सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट में लंबित एक याचिका के सिलसिले में हलफनामा दाखिल कर यह बात कही है।

समय-समय पर आए आदेशों का दिया हवाला

केंद्र सरकार ने वकील अश्विनी उपाध्याय की जनहित याचिका में की गई मांग का जवाब देते हुए राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत के बारे में कानूनों तथा समय-समय पर आए आदेशों का हवाला दिया है। हलफनामे में कहा गया है कि भारत की संविधान सभा के अध्यक्ष ने 24 जनवरी, 1950 को जन गण मन को भारत के राष्ट्रगान के रूप में अपनाया। राष्ट्रगान बजाने और गाने की परिस्थितियों और प्रक्रिया के बारे में निर्देश जारी हुए।

वर्ष 1971 में राष्ट्रगान में बाधा पहुंचाने को दंडनीय अपराध बनाया गया। इसके लिए प्रिवेंशन आफ इन्सल्ट टू नेशनल आनर एक्ट लाया गया। हालांकि, वंदे मातरम् के संबंध में सरकार ने ऐसा कोई दंडनीय प्रविधान नहीं बनाया है। न ही राष्ट्रगीत गाने व बजाने की परिस्थितयों को लेकर कोई निर्देश ही जारी किया है। लेकिन, दोनों को एक जैसा सम्मान मिलना चाहिए।

सरकार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका में राष्ट्रगीत पर विचार करने के बाद 17 फरवरी, 2017 को फैसला दिया था। इसमें कहा कि संविधान का अनुच्छेद 51ए(ए) राष्ट्रगीत के संबंध में नहीं है। इसमें सिर्फ राष्ट्रगान और राष्ट्रध्वज की बात की गई है।

यह अनुच्छेद कहता है कि प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करे। सरकार ने कहा है कि दिल्ली हाई कोर्ट में गौतम आर मोरारका की एक जनहित याचिका 2016 से लंबित थी। इसमें वंदे मातरम् गाने के बारे में दिशानिर्देश तय करने की मांग की गई थी।

हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के 17 फरवरी, 2017 के फैसले को देखते हुए मोरारका की याचिका उसी साल 17 अक्टूबर को खारिज कर दी थी। हाई कोर्ट ने फैसले में कहा था कि इस बात मे कोई विवाद नहीं है कि वंदे मातरम् भी सम्मान का हकदार है। सरकार ने इसे माना भी है और सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में इसे नोट किया है। सरकार ने कहा है कि वह सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के समय-समय पर दिए गए आदेशों को मानती है।

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