बुराड़ी फांसीकांडः क्या 11 लोगों की हत्या को आत्महत्या बनाने की साजिश हुई?
जान गंवाने वालीं नारायण देवी के सबसे बड़े बेटे दिनेश सिंह चुंडावत ने मीडिया रिपोर्ट्स और पुलिस की जांच पर सवाल उठाए हैं।
नई दिल्ली/उदयपुर (जेएनएन)। दिल्ली के बुराड़ी इलाके में हुई एक ही परिवार के 11 सदस्यों की मौत में रोज नई-नई बातें सामने आ रही हैं। इस बीच तथाकथित मोक्ष अनुष्ठान में जान गंवाने वालीं नारायण देवी के सबसे बड़े बेटे दिनेश सिंह चुंडावत ने मीडिया रिपोर्ट्स और पुलिस जांच पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि परिवार के 11 सदस्यों की मौत के पीछे कोई बड़ी साजिश है। उन्होंने कहा कि इसमें न तो कोई अंधविश्वास है और न ही कुछ और। दिनेश ने हैरानी जताई है कि ये रजिस्टर एक के बाद एक पुलिस की जांच टीम को क्यों मिले। कहा जा रहा है कि ये रजिस्टर 10 साल से लिखे जा रहे हैं, मेरा भी जाना होता था बुराड़ी के उस घर में, मुझे तो कभी दिखे ये रजिस्टर।
धार्मिक था परिवार, अंधविश्वास नहीं
पेशे से ठेकेदार दिनेश की मानें तो उनका परिवार शिक्षित था। प्रियंका की सगाई जून में ही हुई थी वह भी एमबीए थी। दिनेश ने बताया कि वे 16 जून को दिल्ली में ही थे और अगले दिन उसकी सगाई थी। इस दौरान ऐसा कुछ नहीं था, जैसा कि बताया जा रहा है। वहीं, दिनेश ने यह जरूर माना कि उनका परिवार काफी धार्मिक था और रोज़ सुंदरकांड का पाठ और हनुमान चालीसा का पाठ करता था।
11 पाइप को लेकर खोला राज
वेंटिलेशन पाइप मेरे सुझाव पर रखे गए थे, क्योंकि हमारे घर के पास एक खाली प्लॉट था इसलिए थोड़ी हवा और रोशनी के लिए मैंने उन्हें यह सुझाव दिया था।
दिनेश का सवाल, दरवाजा खोलकर क्यों की गई आत्महत्या
वहीं, 11 रजिस्टर में लिखी बातों के बारे में पूछे जाने पर दिनेश ने बताया कि वास्तव में इस तरह कुछ मन में था तो उन्हें पता चल जाता जब वह जून में दिल्ली गए थे।
आत्महत्या करता तो दरवाजे बंद करके
दिनेश ने पुलिस की थ्योरी पर सवाल उठाते हुए कहा कि कोई भी अगर आत्महत्या करता है या मरने की योजना बनाता है बंद दरवाज़े में अंजाम देता है, लेकिन दरवाज़ा खुला पाया गया। इसके पीछे ज़रूर कोई साजिश है।
परिवार की सदस्य का दावा... तो हम लोगों को क्यों नहीं मिले रजिस्टर
मृतकों में से एक की पोती विशाखा चुंडावत की मानें तो उनके परिवार का उपनाम भाटिया नहीं, बल्कि सिंह चुंडावत है। उन्होंने कहा कि 11 लोगों में केवल दो प्रियंका और उसकी मां प्रतिभा ही भाटिया थीं। विशाखा ने कहा कि हम अपने नाम के पीछे सिंह चुंडावत लिखते हैं। मेरे चाचा का नाम ललित सिंह चुंडावत था न कि ललित भाटिया। उन्होंने भी तंत्र-मंत्र में विश्वास संबंधी बातों को खारिज करते हुए कहा कि प्रियंका की शादी को लेकर सभी खुश थे और मोक्ष संबंधी उल्लेख वाले रजिस्टरों जैसी चीजों को लेकर उनके बीच कभी कोई चर्चा नहीं हुई।
यहां पर बता दें कि दिल्ली में अब तक की सबसे बड़ी सनसनीखेज घटना में बुराड़ी स्थित एक घर में एक जुलाई की सुबह एक ही परिवार के 11 लोग संदिग्ध हालात में मृत पाए गए थे। मृतकों में सात महिलाएं व चार पुरुष थे, जिनमें दो नाबालिग थे। एक महिला का शव रोशनदान से तो नौ लोगों के शव छत से लगी लोहे की ग्रिल से चुन्नी व साड़ियों से लटके मिले। एक बुजुर्ग महिला का शव जमीन पर पड़ा मिला था। नौ लोगों के हाथ-पैर व मुंह बंधे हुए थे और आंखों पर रुई रखकर पट्टी बांधी गई थी।
बुराड़ी-संत नगर मेन रोड से सटे संत नगर की गली नंबर दो में बुजुर्ग महिला नारायण का मकान है। इसमें वह दो बेटों भुवनेश व ललित, उनकी पत्नियों, पोते-पोतियों व विधवा बेटी संग रहती थीं। ये लोग मूलरूप से राजस्थान के निवासी थे और 22 साल पहले यहां आकर बसे थे। बुजुर्ग महिला के तीसरे बेटे दिनेश सिविल कांटेक्टर हैं और राजस्थान के चित्ताैड़गढ़ में रहते हैं। बुजुर्ग महिला के दोनों बेटों की भूतल पर एक परचून व दूसरी प्लाईवुड की दुकान है। ऊपर पहली व दूसरी मंजिल पर परिवार रहता था।
रोज सुबह ललित घर के सामने रहने वाले दिल्ली पुलिस से सेवानिवृत्त तारा प्रसाद शर्मा के साथ मार्निग वॉक पर जाते थे। उससे पहले शर्मा ललित की दुकान से दूध लेते थे। रविवार सुबह दुकान नहीं खुली तो शर्मा दरवाजा खटखटाने गए, पर दरवाजा खुला था तो वह ऊपर चले गए। ऊपर का दरवाजा भी खुला था। आगे जाने पर उनकी रूह कांप गई। बरामदे वाले हिस्से में दस लोगों के शव लटके थे, जबकि एक महिला का शव कमरे में पड़ा था।
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