किसान आंदोलन को विदेश से फंडिंग तो नहीं की जा रही है? खुफिया एजेंसियां हुईं सतर्क
पुलिस की मानें तो पिछले कुछ हफ्ते से दिल्ली दंगे की तरह जामिया मिल्लिया इस्लामिया व जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के वर्तमान व पूर्व छात्र भी किसान आंदोलन को समर्थन देने व उनके साथ बैठने की कोशिश कर रहे हैं।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली-यूपी और हरियाणा के बॉर्डर पर 19 दिनों से चल रहा किसान आंदोलन का रूप हिंसक नहीं होने पाए, इसके लिए पूरी सतर्कता बरती जा रही है। पुलिस व सुरक्षा एजेंसियों ने कई देश विरोधी तत्वों व गलत मंशा लेकर किसानों को भड़काने की कोशिश करने वाले विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के नेताओं को गोपनीय तरीके से रडार पर ले लिया है। उनकी हर गतिविधि पर पैनी नजर रखी जा रही है। पुलिस को शक है कि कहीं आंदोलन को पर्दे के पीछे से देश व विदेश से फंडिंग तो नहीं की जा रही है। पुलिस की मानें तो पिछले कुछ हफ्ते से दिल्ली दंगे की तरह जामिया मिल्लिया इस्लामिया व जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के वर्तमान व पूर्व छात्र भी किसान आंदोलन को समर्थन देने व उनके साथ बैठने की कोशिश कर रहे हैं।
रविवार को कुछ छात्र-छात्राएं गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों के आंदोलन में शरीक होने पहुंचे थे, जिन्हें वहां से किसानों ने भगा गया। पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआइ) पर भी दिल्ली पुलिस व सुरक्षा एजेंसियां नजर रख रही है। हाल के महीने में दिल्ली दंगे व हाथरस कांड के मामले में पीएफआइ की संदिग्ध भूमिका सामने आई। इससे पीएफआइ के अधिकारी व सदस्यों को भी पुलिस ने अपने रडार पर ले रखा है।
जिस तरह से दिल्ली दंगे के मामले में तीन महीने पहले से साजिश रचे जाने की बात सामने आई थी उसी तरह किसान आंदोलन के रुख को देखते हुए पुलिस व सुरक्षा एजेंसियां को शक है कि किसान आंदोलन की आड़ में भी माहौल बिगाड़ने की कोशिश हो सकती है। इसके मद्देनजर दिल्ली पुलिस को पूरी तरह अलर्ट कर दिया गया है। सभी थाना पुलिस को कहा गया है कि वे अपने-अपने इलाके में रहने वाले नेताओं की हर गतिविधियों पर नजर रखें। माहौल बिगाड़ने की कोशिश करने पर उन्हें तुरंत हिरासत में ले लिया जाए।
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