Inspiring Story: 73 वर्ष के बुजुर्ग मुंशीराम के नाम है उपलब्धियों का शतक
बुजुर्ग मुंशीराम को रोज दौड़ लगाता देख अब इनकी कॉलोनी के बुजुर्गो में भी फिटनेस को लेकर होड़ मची रहती है। और तो और अब युवा भी फिटनेस से जुड़ी सलाह के लिए मुंशीराम से मिलने आते हैं।
नई दिल्ली, गौतम कुमार मिश्रा। 73 वर्ष के बुजुर्ग या 73 वर्ष के जवान। मुंशीराम शेखावत की उपलब्धियों को देखकर अधिकांश लोगों के मुंह से पहली बार में यही बात निकलती है। जिस उम्र में बुजुर्ग तीर्थो की राह पकड़ लेते हैं उस उम्र में मुंशीराम को तेज दौड़ लगाता देख हर कोई आश्चर्य करने लगता है। देश-विदेश में आयोजित होने वाली मास्टर्स एथेलेटिक्स प्रतियोगिताओं में कई पदक जीत चुके मुंशीराम न सिर्फ हमउम्र बुजुर्गो के लिए बल्कि युवाओं के लिए भी प्रेरणाश्रोत बन चुके हैं। 73 वर्ष की उम्र में भी युवाओं सा हौसला, फिटनेस व फुर्ती। कोई बीमारी भी नहीं। मास्टर्स एथेलेटिक्स के इस जाने- माने खिलाड़ी की झोली में 104 पदक हैं।
द्वारका मोड़ स्थित पटेल गार्डन कॉलोनी निवासी मुंशीराम शेखावत 16 वर्ष पूर्व यानि 2004 में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल में कमांडेंट के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद करीब पांच वर्षो तक घर में आम बुजुर्गो की तरह जीवनयापन करते रहे, लेकिन वर्ष 2009 में ही उनके एक मित्र ने उन्हें मास्टर्स एथलेटिक्स प्रतियोगिता के बारे में बताया।
इस प्रतियोगिता में 35 साल से अधिक के व्यक्ति ही हिस्सा लेते हैं। अधिकतम उम्र की कोई सीमा नहीं होती। इस बात ने मुंशीराम की दुनिया ही बदल दी। पहली बार हिसार में आयोजित राष्ट्रीय स्तर की मास्टर एथेलेटिक्स प्रतियोगिता में एक रजत पाने के बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। इस वर्ष फरवरी में मणिपुर की राजधानी इंफाल में आयोजित राष्ट्रीय प्रतियोगिता में इन्होंने एक स्वर्ण व दो रजत पदक अपने नाम किए थे।
कोरोना महामारी की दस्तक से पहले ये कनाडा में आयोजित होने वाले विश्व एथेलेटिक्स चैंपियनशिप की तैयारी में जुटे थे, लेकिन अब यह चैंपियनशिप अगले आदेश तक के लिए टाली जा चुकी है। ऐसे में इन दिनों मुंशीराम का सारा जोर खुद को फिट रखने पर है।
बुजुर्गो व युवाओं के लिए बने प्रेरणा
बुजुर्ग मुंशीराम को रोज दौड़ लगाता देख अब इनकी कॉलोनी के बुजुर्गो में भी फिटनेस को लेकर होड़ मची रहती है। और तो और अब युवा भी फिटनेस से जुड़ी सलाह के लिए मुंशीराम से मिलने आते हैं। कॉलोनी के कई लोगों का वजन इन्होंने अपनी सलाह से कम कर दिया है। अपने बचपन के शिक्षक मास्टर बहादुरमल को याद करते हुए मुंशीराम कहते हैं कि उनकी एक बात हमेशा मैं याद रखता हूं। वे कहते थे थकावट पैरों में नहीं मष्तिष्क में होती है। परमपिता परमात्मा ने हमें इतना उर्जावान बनाया है कि वह कभी खत्म नहीं होती।
Coronavirus: निश्चिंत रहें पूरी तरह सुरक्षित है आपका अखबार, पढ़ें- विशेषज्ञों की राय व देखें- वीडियो