सात साल की उम्र में ली धोनी से प्रेरणा, 20 साल में मोक्ष मुरगई बने प्रोफेशनल खिलाड़ी
दिल्ली के रहने वाले मोक्ष मुरगई महज 7 साल की उम्र से ही क्रिकेट के सितारे महेंद्र सिंह धोनी से प्रेरित होकर अपने पेशेवर क्रिकेट कॅरियर की शुरुआत कर दी थी।
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। जब भीड़ में अपनी अलग पहचान बनाने का जुनून सवार हो तो कोई भी रुकावट मायने नहीं रखती। कड़े से कड़ा संघर्ष आपके हौसले नहीं तोड़ सकती और इसकी मिसाल पेश की है मोक्ष मुरगई ने। मोक्ष ने महज सात साल की उम्र में क्रिकेट को अपना सबकुछ मान लिया था। मोक्ष ने अपने खेल से सबको प्रभावित कर क्रिकेट में अपनी अलग पहचान बनाई है।
दिल्ली के रहने वाले मोक्ष मुरगई महज 7 साल की उम्र से ही क्रिकेट के सितारे महेंद्र सिंह धोनी से प्रेरित होकर अपने पेशेवर क्रिकेट कॅरियर की शुरुआत कर दी थी। थोड़े दिन पहले ही दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ का खेल अध्यक्ष भी इन्हें नियुक्त किया गया था।
20 साल की उम्र में बनाई अलग पहचान उन्होंने अपने कॉलेज टीम की कप्तानी भी की है, जिसमें टीम को कई जीत भी दिलाई है। वहीं मोक्ष ने सब जूनियर (अंडर 14), जूनियर (अंडर 16) और सीनियर्स (अंडर 19) सभी श्रेणियों में राष्ट्रीय भूमिका निभाई है। पिछले सीजन में ही मोक्ष मुरगई की शानदार बल्लेबाजी का नजारा देखने को मिला था, जहां उन्होंने 1200 से अधिक रन बनाए थे।
मोक्ष दाएं हाथ के बल्लेबाज और ऑफ स्पिनर हैं। क्रिकेट को लेकर मोक्ष का संकल्प कुछ इस तरह मजबूत था कि उन्हें 2019-20 में मेरठ के एसएच स्पोर्ट्स अनुबंध करने का मौका मिला। इसके अलावा मोक्ष मुरगई ने रेलवे रणजी ट्रॉफी और अंडर-23 कैंप में भी हिस्सा लिया है और लखनऊ में साल 2019 में आयोजित एक टूर्नामेंट में भारत का प्रतिनिधित्व भी कर चुके हैं।
मोक्ष के पास अब तक घरेलू क्षेत्र में 250 से ज्यादा विकेट के साथ 30 से अधिक शतक और 50 से अधिक अर्ध शतक का रिकॉर्ड है। मोक्ष ने रेलवे की रणजी ट्रॉफी और अंडर 23 कैंप में भी हिस्सा लिया है। मोक्ष के मुताबिक उनके परिवार ने पूरे करियर में उनका साथ दिया। उनके उतार चढ़ाव के पलों में भी उनके परिजन आधार स्तंभ रहे हैं।
मोक्ष के मुताबिक वह छत पर ही रोजाना 4-5 घंटे से ज्यादा वर्क आउट को वक्त देते हैं। इसमें उसके फिटनेस सत्र, नेट सत्र, क्षेत्ररक्षण सत्र और कूल डाउन सत्र शामिल होते है। हालांकि इस दौरान मोक्ष को पीठ की एक गंभीर समस्या से भी जूझना पड़ा लेकिन बावजूद इसके उन्होंने हार नहीं मानी।
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