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संतों महात्माओं से मिली गो सेवा की प्रेरणा, महाराज 24 सालों से कर रहे नेक काम

महाराज बेहद खुशी जताते हुए बताया कि उनकी यह मुहिम काफी हद तक सफल हो रही है कोरोना संकट के चलते भी लोग एक दूसरे से शारीरिक दूरी बनाकर गाय को रोटी दे रहे हैं।

By Prateek KumarEdited By: Published: Sun, 20 Sep 2020 10:15 PM (IST)Updated: Sun, 20 Sep 2020 10:15 PM (IST)
संतों महात्माओं से मिली गो सेवा की प्रेरणा, महाराज 24 सालों से कर रहे नेक काम

नई दिल्ली, पुष्पेंद्र कुमार। हमें बचपन से ही हमारे गुरु संतों ने यही सिखा है कि गाय हमारी माता है, इन्हें नियमित प्रात: उठकर प्रणाम करना चाहिए। ऐसे में अगर कोई इन्हें नुकसान पहुंचता है तो मन विचलित होना लाजमी है, लेकिन यहां क्रोध करने से किसी को कोई लाभ नहीं मिल सकता है। बल्कि अगर गाय माता के लिए कुछ करना है तो उनके संरक्षण व बेहतर भरण पोषण का इंतजाम करने के प्रयास करो। कुछ इसी तरह के शब्दों का प्रयोग कर अपनी गो भक्ति को परिभाषित करते हैं अखंड परमधाम मंदिर दिलशाद गार्डन के 63 वर्षीय आचार्य स्वामी अनुभूतानंद गिरी महाराज।

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महाराज बताते हैं कि क्षेत्र में अखंड परम धाम गोशाला की 1997 में शुरुआत की। इन 24 सालों में अपनी गो भक्ति से समाज के सामने मिसाल कायम की। वर्तमान समय में वह गाय की सेवा से संबंधित बहुत सी योजनाओं से जुड़े हैं और उनकी गो भक्ति देखकर उन्हें अखिल भारतीय संत समिति का अध्यक्ष भी बनाया गया है। उन्होंने बताया कि बचपन से संत महाराजों व संतों के साथ रहा हूं, उनकी सारी पढ़ाई हरिद्वार में अवधूत मंडल परमार्थ आश्रम तथा ऋषिकेश परमार्थ निकेतन में उच्चतम शिक्षा आश्रम में ही हुई है।

संतों से मिला गो पालन पोषण का ज्ञान

महाराज ने बताया कि आश्रम के संध्या में धार्मिक भक्ति की भावना से सभी संतों द्वारा गो की सेवा व पालन पोषण का ज्ञान मिला। सर्वदेवमयी हमारी गौ माता ऐसा तीर्थ है जहां सब भगवत स्वरूपों के दर्शन हो जाते हैं। श्रद्धा व विश्वास के साथ गौ माता की पूजा अर्चना करने व भोग अर्पण करने से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष अर्थात चारों पुरूषार्थों की प्राप्ति हो जाती हैं। कहा कि समाजसेवा का भाव तो उनके संस्कारों में ही था, मगर उन्हें प्रेरणा आश्रमों में निस्वार्थ भाव से सेवा करने वाले संतों से मिली। जब वह शहर आए और देखा कि कई पिछड़े हिस्सों में गायों की दुर्दशा को देखकर व पॉश कॉलोनियों में लोग पार्कों में गाय के लिए रोटी रख दिया करते थे। उन्हें लगा कि कहीं न कहीं लोगों में आज भी गाय माता के प्रति श्रद्धा का भाव है, जो कि वह उसके लिए पहली रोटी निकालकर पार्कों के किनारे रख रहे हैं मगर लोगों की यह कोशिश व्यर्थ जाते देख और इसकी वजह से पार्कों में गंदगी को देखते हुए यह सेवा शुरू करने का मन बनाया। इसका काम हर एक घर से गाय के लिए निकाली जाने वाली पहली रोटी को एकत्रित कर गोशाला तक पहुंचाना और अधिक से अधिक लोगों को गो रक्षा व उसके संरक्षित के लिए ऐसा करने को प्रेरित करना है।

बढ़ती गई गो सेवा तो जुटने लगे हाथ

महाराज बेहद खुशी जताते हुए बताया कि उनकी यह मुहिम काफी हद तक सफल हो रही है, कोरोना संकट के चलते भी लोग एक दूसरे से शारीरिक दूरी बनाकर सुबह के समय अपने घर की पहली रोटी निकालकर गोशाला में गायों को देने आते है। साथ ही क्षेत्र के कुछ लोग ऐसे है जो अपनी दिनचर्या से समय निकालकर सेवा के रूप में गायों पालन करते है। जो लोग पहले ऐसा करना तो चाहते थे, लेकिन भाग दौड़ भरी जिदंगी में नहीं कर पाते थे, यह महाराज की धार्मिक सोच एवं गो भक्ति का ही नतीजा है कि वर्तमान में लोग गो सेवा के लिए समय निकाल रहे। उनकी इस मुहिम को देखकर क्षेत्र के तमाम लोग जुटने लगे।

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