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आइआइटी दिल्ली ने 1948 की बीटल को इलेक्ट्रिक कार में बदला, पूरी खबर पढ़कर आप भी हो जाएंगे खुश

आइआइटी दिल्ली से जुड़ पदाधिकारियों ने बताया कि 1948 में बनी एक बीटल कार को इलेक्ट्रिक कार में बदला गया है। एक बार फुल चार्ज करने पर यह 70 किलोमीटर तक चल सकती है। जरूरत के हिसाब से बड़ी या छोटी बैटरी लगवाई जा सकती है।

By JP YadavEdited By: Published: Wed, 18 Nov 2020 08:15 AM (IST)Updated: Wed, 18 Nov 2020 08:32 AM (IST)
आइआइटी दिल्ली ने 1948 की बीटल को इलेक्ट्रिक कार में बदला, पूरी खबर पढ़कर आप भी हो जाएंगे खुश
दिल्ली स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-दिल्ली की फाइल फोटो।

नई दिल्ली [संजीव कुमार मिश्र]। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-दिल्ली (आइआइटी दिल्ली) ने बीटल कार को इलेक्ट्रिक कार में बदला है। आइआइटी दिल्ली पदाधिकारियों ने बताया कि 1948 में बनी एक बीटल कार को इलेक्ट्रिक कार में बदला गया है। एक बार फुल चार्ज करने पर यह 70 किलोमीटर तक चल सकती है। हालांकि, जरूरत के हिसाब से बड़ी या छोटी बैटरी लगवाई जा सकती है।

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2 महीने में पेट्रोल-डीजल की गाड़ी से इलेक्ट्रिक वाहन में तब्दील हो सकती है

इस परियोजना के समन्वयक हेमंत कौशल ने बताया कि पेट्रोल या डीजल कार को इलेक्ट्रिक कार में तब्दील करने में करीब 2 महीने का वक्त लगता है। इसकी लागत 4 से 5 लाख रुपये तक है। वहीं, आइआइटी दिल्ली के निदेशक प्रो. वी रामगोपाल राव ने कहा कि पिछले 50 सालों में हमने प्रदूषण से जलवायु को हो रहे नुकसान को देखा है। अब समय आ गया है कि इसको रोका जाए और प्रदूषण के खिलाफ अन्य विकल्पों पर काम किया जाए। इलेक्ट्रिक वाहन इसका एक बेहतर विकल्प हैं।

सर्वश्रेष्ट शोधपत्र के लिए मिला सम्मान

आइआइटी दिल्ली की शोधार्थी दिव्या कौशिक को सर्वश्रेष्ठ शोधपत्र के लिए सम्मानित किया गया है। दिव्या कौशिक को अमेरिका के लॉस वेगास में आयोजित की गई मैग्नेटिज्म एंड मैग्नेटिक मैटेरियल कांफ्रेंस, 2019 में न्यूरल नेटवर्क इंप्लीमेंटेशन विषय पर सर्वश्रेष्ठ शोधपत्र प्रकाशित करने के लिए प्रथम स्थान मिला है। यह कांफ्रेंस अमेरिकन भौतिक विज्ञान संस्थान की तरफ से आयोजित किया गया था।

आइआइटी पदाधिकारियों ने बताया कि दिव्या ने यह शोध पत्र 2019 में प्रस्तुत किया था, लेकिन आयोजन का परिणाम अब घोषित किया गया है। दिव्या आइआइटी के असिस्टेंट प्रो. देबंजन भौमिक के निर्देशन में शोध कर रही हैं। पहला स्थान मिलने पर उन्हें 3500 डॉलर की ईनाम राशि व 2500 डॉलर यात्रा दिए जाने की घोषणा की गई है। इस कांफ्रेंस में 54 देशों के प्रतिभागियों द्वारा कुल 1,842 शोध पत्र प्रस्तुत किए थे।

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