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हाई कोर्ट ने कहा - पीने का पानी प्राप्त करना जीवन का मौलिक अधिकार, जल बोर्ड को दिया निर्देश

कालोनी के निवासियों ने याचिका दायर कर कहा कि सरकार ने 1970 में खानपुर व खिड़की गांव में उन्हें जमीन आवंटित की थी जिसे डिफेंस सर्विस एन्क्लेव का नाम दिया गया लेकिन 50 साल बाद भी न तो कालोनी में बुनियादी सुविधाएं हैं और न ही नियमित किया गया है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Tue, 12 Jan 2021 04:10 PM (IST)Updated: Tue, 12 Jan 2021 04:10 PM (IST)
हाई कोर्ट ने कहा - पीने का पानी प्राप्त करना जीवन का मौलिक अधिकार, जल बोर्ड को दिया निर्देश
पीठ ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि कालोनी में पानी मुहैया कराने को लेकर योजना तैयार करें।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। 50 वर्ष से भी अधिक समय से पीने के पानी की समस्या से जूझ रहे डिफेंस सर्विस एन्क्लेव के मामले को गंभीरता से लेते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने जल बोर्ड को अहम निर्देश दिए हैं। 1970 में सशस्त्र बलों के अलंकृत अधिकारियों व वीरांगनाओं के लिए बनी कालोनी में पानी मुहैया कराने के लिए हाई कोर्ट ने नौ महीने का समय दिया। न्यायमूर्ति जयंत नाथ की पीठ ने कहा कि पीने का पानी प्राप्त करना जीवन का मौलिक अधिकार है। पीठ ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि कालोनी में पानी मुहैया कराने को लेकर योजना तैयार करें। वहीं, रक्षा मंत्रालय को निर्देश दिया कि कालोनी को नियमित करने के लिए एक कमेटी का गठन करे।

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कालोनी के निवासियों ने याचिका दायर कर कहा कि सरकार ने 1970 में खानपुर व खिड़की गांव में उन्हें जमीन आवंटित की थी, जिसे डिफेंस सर्विस एन्क्लेव का नाम दिया गया, लेकिन 50 साल बाद भी न तो कालोनी में बुनियादी सुविधाएं हैं और न ही इसे नियमित ही किया गया है। याचिका पर सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि लोगों को सिर्फ इसलिए उनके मौलिक अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है कि यह एक अनधिकृत कालोनी है।

कालोनी में फिलहाल चार नलकूपों के माध्यम से पानी की आपूर्ति की जाती है। पीठ ने कहा कि सभी याचिकाकर्ता सेवानिवृत्त रक्षा कर्मी हैं और उन्होंने अपने जीवन का अधिकांश समय देश की रक्षा में समर्पित किया है। पीठ ने रक्षा मंत्रालय सचिव को निर्देश दिया कि शहरी विकास मंत्रालय और दिल्ली के मुख्य सचिव शामिल को शामिल करते हुए एक कमेटी का गठन करें, जोकि चार सप्ताह में कालोनी को नियमित करने पर फैसला ले। पीठ ने इससे पहले दक्षिणी दिल्ली के सैनिक फार्म क्षेत्र में अनधिकृत निर्माण से संबंधित एक अन्य याचिका पर भी ऐसा निर्देश दिया था।

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