धनंजय मिश्रा, नई दिल्ली। गणतंत्र दिवस के उत्साह में डूबे कर्तव्य पथ पर गुरुवार को कदमताल करते हुए जैसे ही गलवन के बलवानों ने दस्तक दी तो पूरा कर्तव्य पथ गदगद हो गया। सर्द हवाओं के बीच मार्च करते सेना के जवानों को देखकर हर शख्स गर्मजोशी से भर गया। बच्चों से लेकर बजुर्गों तक के चेहरे पर देश के गर्व का भान साफ देखा जा सकता था।
जवानों को लोगों ने दी सलामी
हर कोई जवानों की जांबाजी के साथ ही देश के प्रति उनके समर्पण को अपनी सलामी देता नजर आया। दर्शक दीर्घा में बैठे लोगों ने भारत माता की जय, बजरंग बली की जय जैसे नारे लगाकर जवानों का अभिवादन किया। यह बिहार रेजिमेंट की वही 12वीं बटालियन है जिसने गलवन घाटी में चीन के सैनिकों के मंसूबे को नाकाम कर दिया था।
विदेशी मेहमान बने गवाह
कर्तव्य पथ पर विदेशी मेहमानों और दर्शकों के बीच साहस और ताकत को प्रदर्शित करते हुए गुजर रहे बिहार रेजिमेंट की 12वीं बटालियन का नेतृत्व मेजर रत्नेश तिवारी कर रहे थे। कर्तव्य पथ पर इनके कदमों की आवाज दर्शकों के कानों तक पहुंची तो लोग अपनी सीट से खड़े होकर जवानों का अभिवादन करने लगे। यह बटालियन भारतीय प्रादेशिक सेना (आईटीएफ) यानी 11/19 हैदराबाद रेजिमेंट, वर्तमान में कुमांऊ रेजिमेंट से बनी है।
बिहार रेजिमेंट ने दिखाया शौर्य
वर्तमान में रेजिमेंट में 50 प्रतिशत बिहारी और 50 प्रतिशत आदिवासी शामिल हैं जो अधिकतर बिहार, ओडिशा, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पूर्वी उत्तर प्रदेश, बंगाल, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र के आदिवासी क्षेत्रों से हैं। बिहार रेजिमेंट के जवानों ने सबसे प्रतिकूल स्थिति में अदम्य साहस का परिचय देकर अपनी वीरता साबित की है। 15 जून, 2020 को गलवन घाटी में चीन की सेना के साथ हुई झड़प में बिहार रेजिमेंट के जवानों ने मुंहतोड़ जवाब दिया था।