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साइबर सिटी की आबो-हवा सुधारने के लिए बनेगा ग्रीन प्लान, बदलेंगे हालात

जीएमडीए के अधिकारियों के मुताबिक शहर में मौजूद हरियाली के क्षेत्र और पर्यावरण संरक्षण के लिए मौजूद संसाधनों पर एक स्टडी की जाएगी।

By Amit MishraEdited By: Published: Fri, 20 Apr 2018 05:01 PM (IST)Updated: Sun, 22 Apr 2018 08:37 AM (IST)
साइबर सिटी की आबो-हवा सुधारने के लिए बनेगा ग्रीन प्लान, बदलेंगे हालात

गुरुग्राम [संदीप रतन]। साइबर सिटी की आबो-हवा सुधारने के लिए गुरुग्राम डेवलपमेंट अथॉरिटी ग्रीन प्लान (जीएमडीए) तैयार करेगी। इसके लिए जीएमडीए द्वारा फिलहाल बोर्ड की मीटिंग में ग्रीन प्लान का प्रस्ताव मंजूरी के लिए रखा जाएगा। स्वीकृति की मुहर लगने के बाद ग्रीन प्लान को अमलीजामा पहनाने के लिए काम शुरू किया जाएगा।

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हरियाली बढ़ाने की योजना पर काम 

जीएमडीए के अधिकारियों के मुताबिक शहर में मौजूद हरियाली के क्षेत्र और पर्यावरण संरक्षण के लिए मौजूद संसाधनों पर एक स्टडी की जाएगी। जरूरत के मुताबिक हरियाली बढ़ाने और प्रदूषण को कम करने के लिए योजना पर पर काम किया जाएगा।

हरियाली के लिए अलग से बजट का प्रावधान

बता दें कि शहर में पिछले सालों में अचानक आबादी काफी बढ़ गई है और इस लिहाज से पेड़ों की संख्या बढ़ने की बजाय घटती जा रही है। अभी तक दो सरकारी एजेंसियों हुडा और नगर निगम पर शहर के विकास सहित पर्यावरण संरक्षण का जिम्मा था, लेकिन हरियाली के लिए अलग से बजट के प्रावधान के बावजूद इस पर ध्यान नहीं दिया गया। नतीजन पार्क, ग्रीन बेल्ट, बांध, रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की स्थिति बदहाल है। ताऊ देवीलाल पार्क, लेजर वैली पार्क, ताऊ देवीलाल बायोडायवर्सिटी एवं बॉटेनिकल गार्डन सहित कई बड़ी ग्रीन बेल्ट हुडा से जीएमडीए में ट्रांसफर होने से सुधार की उम्मीद है।

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फिलहाल ये है स्थिति

पार्क

आरडब्ल्यूए को सौंपे गए 405 पार्कों के लिए नगर निगम की ओर से दो साल में करीब 6.41 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि पार्कों के रखरखाव और सुधार के लिए दी जा चुकी है। लेकिन शहर के पार्क और ग्रीन बेल्ट बदहाल स्थिति में है।

रेन वाटर हास्टिंग सिस्टम

शहर में 100 से ज्यादा रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बने हुए हैं। लेकिन सफाई और मेंटीनेंस नहीं होने के कारण चालू हालत में नहीं है। ग्राउंड वाटर रिचार्ज नहीं हो पा रहा है।

तालाब

शहरी क्षेत्र के गांवों और निगम एरिया में कुल 126 तालाब गायब हो गए हैं। केवल 18 से 20 तालाब ही बचे हैं और उनमें भी सीवर का डिस्चार्ज होने से पानी गंदा है।

बांध

झाड़सा बांध सहित शहर के अन्य बांधों की ग्रीन बेल्ट डस्टबिन के रूप में तब्दील हो चुकी है। आसपास के लोग इनमें कूड़ा फेंकते हैं।

ट्यूबवेल

ग्राउंड वाटर रिचार्ज नहीं होने के कारण नगर निगम करीब 650 ट्यूबवेल में से कई ट्यूबवेल सूखने लगे हैं। खांडसा गांव में सिर्फ दो बोरवैल ही चालू हालत में है।

जीएमडीए के  एडिशनल सीईओ एमडी सिन्हा ने बताया कि जीएमडीए के दायरे में पर्यावरण संरक्षण के लिए प्लान बनाया जाएगा। इसमें अभी करीब एक माह का वक्त लगेगा। इस प्लान को पहले मंजूरी के लिए बोर्ड की मीटिंग में रखा जाएगा।

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