GRAP को चाहिए ‘आक्सीजन’, नियमों पर लापरवाही की धूल; आयोग की सख्ती से निकलेगा समाधान
गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने बताया कि गौतमबुद्ध नगर में वायु प्रदूषण को बढ़ावा देने वाले कई कारक हैं। विभागीय अधिकारी लगातार वायु प्रदूषण को कम करने का प्रयास कर रहे हैं। निर्माण स्थलों बिल्डरों के अलावा घर स्वामियों पर भी शिकंजा कसा जा रहा है।
नई दिल्ली, जेएनएन। जिम्मेदारियां काम के प्रति गंभीर और क्रियाशील बनाती हैं। जब पता हो कि इसके सार्थक परिणाम न आने पर जवाबदेही और जिम्मेदारी उसी की तय होनी है तो हरसंभव प्रयास कर बेहतर करने की कोशिश की जाती है, लेकिन जब किसी योजना को धरातल पर लाने के लिए कई विभागों और एजेंसियों की फाइलों से होकर उसे गुजरना पड़े तब उसकी स्थिति क्या होती है, प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए लागू ग्रेडेड रेस्पांस एक्शन प्लान यानी ग्रेप के नियमों से समझा जा सकता है।
बीते तीन साल से दिल्ली-एनसीआर की आबोहवा को साफ बनाने और सांस लेने लायक बनाने के लिए ग्रेप लागू किया जा रहा है, लेकिन तीन साल में जो बदलाव होने चाहिए वे अभी तक देखने को नहीं मिल रहे हैं। बहुनिकाय व्यवस्था में जिम्मेदारी तय नहीं होने से ग्रेप लागू होने के बाद भी लोग खुलेआम कूड़ा जला रहे हैं। सड़कों पर धूल का गुबार लोगों को सांसें रोकने को मजबूर कर रहा है। डीजल चालित वाहन और जनरेटर से निकलता धुआं आंखों में मिर्च की मानिंद जलन पैदा कर रहा है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब ग्रेप लागू कर प्रदूषण को बढ़ावा देने वाले कारकों पर पाबंदी की बात कही जा रही है तो फिर उसके पालन में विभागीय लापरवाही क्यों हैं? सजा का प्रावधान होने के बावजूद नियम तोड़ने वाले बेखौफ कैसे हैं? लोग अपने ही प्रति इतने गैर जिम्मेदार क्यों हैं? इन्हीं कारणों की पड़ताल करना हमारा आज का मुद्दा है :
नियमों पर लापरवाही की धूल
हमारे देश में सुधार की दिशा में बने नियमों की कमी नहीं है। सवाल यही रह जाता है कि उसका पालन करने और कराने की नीयत नहीं है। लोग नियम तोड़ने में अपनी ही फिक्र नहीं करते। प्रदूषण की खराब स्थिति को देखते हुए इस बार भी 15 अक्टूबर से दिल्ली-एनसीआर में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) लागू है। बावजूद इसके अलग-अलग कारकों से प्रदूषण का ग्राफ निरंतर बढ़ता ही जा रहा है। पखवाड़े भर में कार्रवाई भी हुईं फिर भी परिणाम बहुत सुखद नहीं दिखे। कैसे हैं हालात, कहां हो रही लापरवाही जाने आंकड़ों की जुबानी :
ग्रेप के नियम कायदे
पहला स्तर : खराब (जब हवा में प्रदूषक तत्व पीएम 2.5 का इंडेक्स 91 से 120 तक या पीएम 10 का स्तर 251 से 350 के बीच हो) एक्शन प्लान
- कूड़ा जलाने पर रोक लगेगी और ऐसा करने वाले पर भारी जुर्माना होगा
- ईंट भट्टों और कोयला आधारित विद्युत संयंत्रों पर प्रदूषण नियंत्रण के नियम कड़ाई से लागू किए जाएंगे
- किसी भी वाहन से धुआं निकलने पर भारी जुर्माना होगा
- निर्माण स्थल पर धूल रोकने का नियम कड़ाई से लागू होगा
- सुचारु ट्रैफिक के लिए चिन्हित स्थानों पर ट्रैफिक पुलिस की तैनाती
- दिल्ली में सन 2005 के बाद के पंजीकृत ट्रक ही प्रवेश कर सकेंगे
- इंटरनेट मीडिया, मोबाइल एप से जनता को प्रदूषण के स्तर की जानकारी दी जाएगी
दूसरा स्तर : बहुत खराब (जब पीएम 2.5 का इंडेक्स 121 से 250 तक या या पीएम 10 का स्तर 351 से 430 के बीच हो) इन पर लगेगी पाबंदी
- डीजल जेनरेटर सेट बंद किए जाएंगे
- पार्किंग शुल्क 4 गुना बढ़ा दिया जाएगा
- बस व मेट्रो की र्सिवस बढ़ाई जाएगी
- होटल और खुले में खानपान के स्थानों पर कोयला और लकड़ी का प्रयोग बंद होगा
- आरडब्लूए और स्थानीय निवासी सुरक्षा गार्डों को बिजली के हीटर देंगे ताकि वे लोग आग न जलाएं
- अखबार और टीवी पर जनता को सलाह जारी की जाएगी कि सांस की बीमारी से ग्रसित लोग प्रदूषित जगहों पर न जाएं
तीसरा स्तर: गंभीर स्थिति (जब पीएम 2.5 का इंडेक्स 250 से ऊपर या पीएम 10 का स्तर 430 से ऊपर चला जाए) नहीं है अनुमति
- ईंट भट्टे, हाट मिक्स प्लांट व स्टोन क्रशर होंगे बंद
- थर्मल बिजली संयंत्रों को भी कम करने या गैस से चलाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा
- सार्वजनिक परिवहन में अलग अलग स्तर की किराया प्रणाली अपनाई जाएगी। कम व्यस्त घंटों में यात्रा करने को प्रोत्साहन दिया जाएगा
- धूल भरी सड़कें चिन्हित कर वहां मशीनों से सफाई व पानी के छिड़काव का क्रम बढ़ाया जाएगा
चौथा स्तर : अति गंभीर या आपात स्थिति (जब पीएम 2.5 का इंडेक्स 300 या या पीएम 10 का स्तर 500 से ऊपर चला जाए) यहां दिखेगा एक्शन
- आवश्यक वस्तुओं को छोड़कर दिल्ली में डीजल ट्रकों का प्रवेश रोक दिया जाएगा
- भवन निर्माण कार्य को रोक दिया जाएगा
- टास्क फोर्स स्कूल बंद करने या कोई और अतिरिक्त कदम उठाए जाने के बारे में फैसला कर सकती है
एनसीआर में टूट रहे नियम
- औद्योगिक नगरी में धड़ल्ले से जल रहा है कूड़ा
- कूड़ा जलाने और सड़कों पर मलबा डालने से लोग नहीं आ रहे बाज
- निर्माण कार्यों पर धूल उड़ रही है, नहीं किया जाता पानी का छिड़काव
- जर्जर सड़क व ट्रैफिक दबाव के कारण हो रहा है वायु प्रदूषण
- बेधड़क चल रहे डीजल आटो
- ग्रेप लागू होने के बाद भी नहीं हो रहा कोई असर
- बीते एक सप्ताह से रेड जोन में होने के बावजूद गाजियाबाद में खुले में हो रहा है निर्माण कार्य
- हाइवे व सड़क निर्माण के कारण उड़ती रहती है धूल
- रिहायशी इलाकों में प्लास्टिक को पिघला कर खिलौने बनाने वाली अवैध फैक्ट्रियां हो रही हैं संचालित
आयोग की सख्ती से निकलेगा समाधान : समस्या से निपटने के लिए ईपीसीए को खत्म कर 18 सदस्यीय एक नया आयोग बनाया जा रहा है। ऐसे में उम्मीद है कि इस समस्या का समाधान भी निकल आएगा साथ ही ग्रेप का दायरा भी बढ़ जाएगा, क्योंकि आयोग का अधिकार क्षेत्र सिर्फ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र ही नहीं, सीमावर्ती वे सभी इलाके होंगे जो दिल्ली की हवा को प्रभावित करते हैं। आयोग को काफी शक्तियां भी दी गई हैं। ग्रेप के प्रावधानों का पालन नहीं होने की स्थिति में सख्त कार्रवाई अत्यंत आवश्यक है।
पांच निकायों का पेंच : दिल्ली ग्रेप के नियमों का पालन बहु निकाय व्यवस्था में उलझ कर रह गया है। इसकी निगरानी के लिए न तो कोई एक एजेंसी है और न ही कार्रवाई की व्यवस्था। यही वजह है कि दिल्ली सरकार से लेकर नगर निगमों के अधिकारियों और कर्मचारियों की जवाबदेही तय नहीं हो पाती। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी (डीपीसीसी) के अधिकारियों की यह शिकायत रहती है कि नगर निगमों को भेजी गई शिकायतों पर समय रहते कार्रवाई नहीं होती और न ही उनकी तरफ से समय रहते कोई जवाब आता है।
सबसे बड़ी दिक्कत यह भी है कि दिल्ली में एक-दो नहीं, बल्कि पांच-पांच स्थानीय निकाय हैं। ऐसे में एक भी निकाय ने अगर लापरवाही की तो इसका भुगतान पूरी दिल्ली को भुगतना पड़ता है। दिल्ली में पूर्वी-दक्षिणी और उत्तरी निगम हैं तो दिल्ली कैंट और नई दिल्ली नगर पालिका परिषद् (एनडीएमसी) भी है। सब के दावे हैं कि वे प्रदूषण पर नियंत्रण और ग्रेप के नियमों का पालन के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं, पर कार्रवाई के लिए किसी एक एजेंसी के जिम्मेदार न होने से नियमों का उल्लंघन करने वालों को बचने का मौका मिल जाता है।
गुरुग्राम के उपायुक्त अमित खत्री ने बताया कि ग्रेप के अनुपालन पर प्रशासन का जोर है। सड़कों पर पानी का छिड़काव किया जा रहा है। प्रदूषण की वजह बन रहे लोगों व वाहन चालकों को चालान थमाए जा रहे हैं। उन्हीं इकाइयों को जेनरेटर चलाने दिया जा रहा है जिन्हें अनुमति मिली हुई है। किसानों को पराली न जलाने को लेकर जागरूक किया जा रहा है।
फरीदाबाद के जिला उपायुक्त यशपाल यादव ने बताया कि संबंधित विभागों के अधिकारियों संग बैठक हो चुकी है। नियमों का उल्लंघन करने वालों के चालान करने के निर्देश दिए गए हैं। नगर निगम की टीमें चालान कर रही हैं, जबकि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीमें दिन-रात निगरानी कर रही हैं। पराली न जलाने को लेकर किसानों को जागरूक किया जा रहा है।
गाजियाबाद के जिलाधिकारी अजय शंकर पांडेय ने बताया कि सभी संबंधित विभागों को निर्देश दिए गए हैं कि वे सख्ती से प्रदूषण से निपटने के लिए जारी दिशा निर्देशों का पालन कराएं। प्रदूषण के बढ़ते हुए स्तर पर काबू पाने के लिए प्रशासन प्रतिबद्ध है। प्रदूषण फैलाने वालों के खिलाफ लगातार कार्रवाई भी की जा रही है।
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