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सावधान! घोड़ों से रहें दूर, लग सकती है ये खतरनाक बीमारी

पशुपालन विभाग द्वारा अधिसूचना जारी कर तत्काल प्रभाव से घोड़ा पालकों को इनकी सार्वजनिक आवाजाही से बचने के लिए कहा गया है।

By Amit MishraEdited By: Published: Wed, 27 Dec 2017 03:18 PM (IST)Updated: Thu, 28 Dec 2017 07:14 AM (IST)
सावधान! घोड़ों से रहें दूर, लग सकती है ये खतरनाक बीमारी

नई दिल्ली [जेएनएन]। दिल्ली सरकार ने घोड़ों के किसी भी प्रकार के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। दिल्ली के घोड़ों में संक्रामक रोग ग्लेंडर्स का संक्रामक पाया गाया है, जो संपर्क में आने वाले मनुष्यों में भी तेजी से फैलता है। इसी के चलते सरकार ने इनके इस्तेमाल पर पाबंदी का फैसला लिया है।

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गत दिनों केंद्रीय कृषि मंत्रालय के हिसार स्थित राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र (एनआरसीइ) से दिल्ली में घोड़ों के ग्लेंडर्स संक्रमण से पीड़ित होने की पुष्टि हुई थी। इसके बाद दिल्ली सरकार ने घोड़ों के किसी प्रकार के प्रयोग पर अगले तीन महीने के लिए रोक लगा दी है।

13 सैंपल में से सात में संक्रमण

पशुपालन विभाग द्वारा 21 दिसंबर को अधिसूचना जारी कर तत्काल प्रभाव से घोड़ा पालकों को इनकी सार्वजनिक आवाजाही से बचने के लिए कहा गया है। इस संबंध में दिल्ली सरकार की विकास आयुक्त मनीषा सक्सेना ने एक अधिसूचना भी जारी की है। इसके अनुसार पश्चिमी दिल्ली के राजा गार्डन स्थित संजय गांधी पशुपालन केंद्र द्वारा एनआरसीई में जांच के लिए भेजे गए 13 सैंपल में से सात में संक्रमण की पुष्टि के बाद यह कदम उठाया गया है। दिल्ली में ग्लेंडर्स संक्रमण को घोड़ों में होने वाली संक्रामक बीमारी के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। 

ग्लेंडर्स का संक्रमण

बता दें कि दिल्ली में व्यवसायिक इस्तेमाल के लिए पाले गए घोड़ों एव अन्य पशुओं को संक्रामक रोगों के परीक्षण के लिए पश्चिमी दिल्ली स्थित संजय गांधी पशुपालन केंद्र में नियमित रूप से पशुपालकों को ले जाना होता है। इसके मद्देनजर सरकार ने ग्लेंडर्स के संक्रमण को इसी क्षेत्र में सीमित रखने के लिए पश्चिमी दिल्ली जिले को रोग के लिहाज से नियंत्रित सीमित क्षेत्र घोषित किया है।

क्या है ग्लेंडर्स संक्रमण

मैलियोमाइसीज मैलाई नाम के जीवाणु द्वारा होने वाला संक्रामक रोग बरखेलडेरिया मैलाई चौपाये जंतुओं में होने वाला एक भीषण रोग है। घोड़ों में यह बहुत तेजी से फैलता है और गांठों-ग्रंथियों को प्रभावित करने के कारण इसे ग्लेडर बरखेलडेरिया मैलाई कहा जाता है।

खास तथ्य

- घोड़ों (या चौपायों) से यह मनुष्य व अन्य स्तनधारियों में पहुंचता है।
- इसके जीवाणु का वाहक ऑक्सीजन है।
- इसका संक्रमण नाक और मुंह (सांस यानि ऑक्सीजन) के जरिए होता है।
- घोड़े, खच्चर, गधे की शरीर की गांठों में इन्फेक्शन फैलता है व पस पड़ जाती है।
- शरीर में सूजन व पीड़ा होने से पशु उठ नहीं पाता है, इसके बाद मृत्यु हो जाती है। 

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