इलाज के नाम पर लूट, फोर्टिस अस्पताल के ब्लड बैंक का लाइसेंस निलंबित
फोर्टिस अस्पताल का जवाब नियमों के अनुसार संतोषजनक नहीं मिला, जिसके चलते अस्पताल के ब्लड बैंक का लाइसेंस निलंबित कर दिया गया है।
गुरुग्राम [जेएनएन]। हरियाणा फूड एवं ड्रग्स विभाग कमिश्नर डॉ. साकेत कुमार के आदेश पर गुरुग्राम फोर्टिस अस्पताल के ब्लड बैंक का लाइसेंस निलंबित कर दिया गया है। इस बाबत शनिवार को आदेश जारी किए गए। स्टेट ड्रग्स कंट्रोलर नरेंद्र आहुजा का कहना है कि 7 वर्षीय बच्ची आद्या की डेंगू से हुई मौत की जांच के बाद अस्पताल को नोटिस दिया गया था, जिसमें अस्पताल का जवाब नियमों के अनुसार संतोषजनक नहीं मिला, जिसके चलते अस्पताल के ब्लड बैंक का लाइसेंस निलंबित कर दिया गया।
गलती से ज्यादा रेट लिखे गए
आहुजा ने कहा कि ब्लड व प्लेटलेट्स के ज्यादा रेट लिए गए थे और जब अस्पताल प्रबंधन से जवाब मांगा गया तो प्रबंधन की तरफ कहा गया कि बिल में गलती से ज्यादा रेट लिखे गए। आहुजा ने कहा कि ब्लड बैंक में 32 कमियां पाई गईं थीं, लेकिन मुख्य कारण ज्यादा रेट लेने का था। यही कारण है कि ब्लड बैंक का लाइसेंस निलंबित किया गया है। फोर्टिस अस्पताल का ड्रग्स लाइसेंस भी निलंबित कर दिया गया है।
दवाओं के रेट ज्यादा लिए गए
आद्या के परिजनों का अस्पताल प्रबंधन पर आरोप था कि दवाओं के ज्यादा रेट लगाए गए हैं। जांच के बाद पाया गया था कि दवाओं के रेट ज्यादा लिए गए और इस संबंध में अस्पताल प्रबंधन को नोटिस दिया था और अस्पताल की तरफ से संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर कॉस्मेटिक एक्ट 1945 के तहत अस्पताल का लाइसेंस निलंबित कर दिया गया है। जिला ड्रग्स ऑफिसर संदीप जलान ने कहा कि अस्पताल प्रबंधन को इससे अवगत करा दिया गया है।
सात वर्षीय बच्ची आद्या की मौत
दरअसल सात वर्षीय बच्ची आद्या को डेंगू की शिकायत होने पर 31 अगस्त को फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया था। 14 सितंबर को छुट्टी दे दी गई थी। उसी रात आद्या की मौत हो गई। पिता का आरोप है कि फोर्टिस अस्पताल के डॉक्टरों की लापरवाही से उनकी बेटी की मौत हुई।
यही नहीं इलाज के नाम पर गलत तरीके से 16 लाख रुपये वसूले गए। इसको लेकर आद्या के पिता जयंत सिंह ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को ट्वीट कर घटना की जानकारी दी थी। हरियाणा स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने इस मामले की जांच कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग के दो डायरेक्टर समेत पांच सदस्य टीम का गठन किया था, जिसमें अस्पताल प्रबंधन दोषी पाया गया था।
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