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2.90 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी में कंपनी का पूर्व निदेशक व उसका भाई गिरफ्तार

ईओडब्ल्यू के ज्वाइंट कमिश्नर ओपी मिश्रा ने बताया कि सिल्वर जुबली ट्रेड प्राइवेट लिमिटेड द्वारा विकासपुरी थाने में वर्ष 2015 में अपने पूर्व निदेशक और उसके भाई के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया गया था। इस मामले को वर्ष 2018 में ईओडब्ल्यू में स्थानांतरित किया गया था।

By Prateek KumarEdited By: Published: Tue, 29 Sep 2020 05:05 PM (IST)Updated: Tue, 29 Sep 2020 05:05 PM (IST)
धोखाधड़ी में कंपनी का पूर्व निदेशक व उसका भाई गिरफ्तार। फोटो- जागरण।

नई दिल्ली, संतोष शर्मा। आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने 2.90 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी में एक कंपनी के पूर्व निदेशक अमित पाल और उसके भाई नीरज कुमार को गिरफ्तार किया है। निदेशक के पद से हटाने के बाद उसने अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता के अपने अधिकार का प्रयोग कर वर्ष 2015 में धोखाधड़ी की थी। वारदात के बाद से ही आरोपित और उसका भाई फरार चल रहे थे। ईओडब्ल्यू के ज्वाइंट कमिश्नर ओपी मिश्रा ने बताया कि सिल्वर जुबली ट्रेड प्राइवेट लिमिटेड द्वारा विकासपुरी थाने में वर्ष 2015 में अपने पूर्व निदेशक और उसके भाई के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया गया था। इस मामले को वर्ष 2018 में ईओडब्ल्यू में स्थानांतरित किया गया था।

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शिकायत के मुताबिक पूर्व निदेशक अमित पाल ने कंपनी को 2.90 करोड़ का चूना लगाने का प्रयास किया था। अमित को वर्ष 2011 में सिल्वर जुबली ट्रेड प्राइवेट लिमिटेड का निदेशक बनाया गया था। कंपनी ने अपने बैंक खातों के लिए निदेशक को ही हस्ताक्षरकर्ता अधिकृत कर रखा था। हालांकि, एक अप्रैल वर्ष 2015 में अमित से इस्तीफा ले लिया गया था।

इस्तीफा देने के बावजूद वह कंपनी में कर्मचारी के रूप में काम कर रहा था। वहीं, कंपनी ने अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता का अधिकार उससे वापस नहीं लिया था। इसका फायदा उठाते हुए अमित पाल ने धोखे से जून 2015 में कंपनी के आईडीबीआई बैंक के खाते से 2.90 करोड़ रुपये अपने भाई के स्वामित्व वाली कंपनी निर्मल राइस एंटरप्राइजेज के बैंक खाते में स्थानांतरित कर दिए थे।

इसकी जानकारी जब जुबली ट्रेड प्राइवेट लिमिटेड के अधिकारियों को लगी तो उनके अनुरोध पर बाद में बैंक ने उक्त राशि कंपनी को वापस कर दी थी। शिकायतकर्ता के मुताबिक अमित पाल कंपनी की मोटरसाइकिल भी नहीं लौटा रहा था। उधर घटना के बाद से ही अमित पाल और उसका भाई नीरज कुमार फरार चल रहे थे। ईओडब्ल्यू ने छानबीन में पाया कि दोनों आरोपित विकासपुरी स्थित अपने घर में नहीं है। बाद में अलग-अलग श्रोतों से सूचना जुटाकर पुलिस की टीम ने पहले 18 अगस्त को विकासपुरी इलाके से आरोपित निदेशक के भाई नीरज कुमार को और 25 सितंबर को अमित पाल को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस अधिकारी ने बताया कि निदेशक कंपनी की प्रणाली से अच्छी तरह से परिचित था और उसकी पहुंच कंपनी के खातों तक थी।

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