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Delhi: कोरोना से ठीक हुए मरीजों में फैल रहा नया संक्रमण, आंखों की रोशनी, नाक व जबड़े हो रहे खराब

एमआरआइ की गई तो पता चला कि मरीज के बायीं ओर के साइनस आंख ऊपरी जबड़े की हड्डी व मांसपेशियों का महत्वपूर्ण हिस्सा नष्ट हो चुका था। लिहाजा ईएनटी व नेत्र सर्जनों की टीम ने जख्मों को ठीक से साफ किया और नष्ट हो चुके टिश्यू को हटाया।

By Mangal YadavEdited By: Published: Mon, 14 Dec 2020 08:17 PM (IST)Updated: Mon, 14 Dec 2020 08:21 PM (IST)
Delhi: कोरोना से ठीक हुए मरीजों में फैल रहा नया संक्रमण, आंखों की रोशनी, नाक व जबड़े हो रहे खराब
मुकोर्माइकोसिस संक्रमण से पीड़ित होकर पहुंचे 15 से 18 मरीज

नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। कोरोना से ठीक हुए मरीजों में घातक फंगल मुकोर्माइकोसिस का संक्रमण देखा जा रहा है। काली फुफुंदी भी का जा रहा है। गंगराम अस्पताल में पिछले करीब दो सप्ताह में इसके संक्रमण से पीड़ित कर 15 से 18 मरीज इलाज के लिए पहुंच चुके हैं। इससे पीड़ित मरीजों आंख की रोशनी प्रभावित हो रही है। नाक व जबड़े खराब रहे हैं। वहीं पांच मरीजों की मौत हो गई। अस्पताल के डॉक्टर कहते हैं कि इस बीमारी में मृत्यु दर करीब 50 फीसद है।

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अस्पताल के वरिष्ठ ईएनटी सर्जन डॉ. मनीष मुंजाल ने कहा कि अंग प्रत्यारोपण के मरीजों, मधुमेह व लंबे समय तक किसी दवा का सेवन करने वाले लोगों में यह संक्रमण होने की आशंका अधिक रहती है। क्योंकि उनकी प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। वैसे यह संक्रमण बहुत कम लोगों में देखा जाता है। पहले हर साल 8-10 ऐसे मरीज देखे जाते थे लेकिन पिछले दो सप्ताह में ही 15 से 18 मरीज पहुंच गए। हैरान करने वाली बात यह है कि उन सभी को पहले कोरोना हुआ था। 50 साल से अधिक उम्र वाले लोगों में यह संक्रमण अधिक देखा जा रहा है।

वैसे पश्चिमी दिल्ली के 32 वर्षीय व्यवसायी में भी यह संक्रमण पाया गया। जिन्हें कोरोना हुआ था। कोरोना होने पर वह अस्पताल में भर्ती रहे और ऑक्सीजन भी दी गई थी। सात दिनों बाद रिपोर्ट निगेटिव आने पर उन्हें छुट्टी दे दी गई। इसके दो दिन बाद उनके नाक के बायीं तरह के हिस्से में अवरूद्ध शुरू हुआ। इसके बाद आंखों में सूजन हो गई। जिस पर एंटीबायोटिक व दर्द निवारक दवा का कोई असर नहीं हुआ। बल्कि आंखों की रोशनी कम होने लगी। बायें तरह का चेहरा सुन्न पड़ गया। तब वह अस्पताल की इमरजेंसी में पहुंचे।

नाक से सैंपल लेकर जांच करने पर फंगल संक्रमण का पता चला। इसके बाद एमआरआइ की गई तो पता चला कि मरीज के बायीं ओर के साइनस, आंख, ऊपरी जबड़े की हड्डी व मांसपेशियों का महत्वपूर्ण हिस्सा नष्ट हो चुका था। लिहाजा, ईएनटी व नेत्र सर्जनों की टीम ने जख्मों को ठीक से साफ किया और नष्ट हो चुके टिश्यू को हटाया। साथ ही एंटीफंगल दवा दी गई और दो सप्ताह तक आइसीयू में रखा गया। जल्द ही उन्हें अस्प्ताल से छुट्टी दे दी जाएगी।

शुरूआती लक्षण की पहचान जरूरी

डॉ. मुंजाल ने कहा कि मुकोर्माइकोसिस काली फुफुंदी होती है, जो गन्ने के खेतों में अधिक पाई जाती है। वैसे यह फुफुंदी हवा में मौजूद होती है। जो नाक के जरिये आंख व मस्तिष्क में प्रवेश कर जाती है। इसलिए नाक में किसी तरह की रुकावट, आंख व गाल में सूजन, आंख लाल हो और नाक पर काली सूखी परत दिखाई दे तो तुरंत बायोप्सी कर फंग्स संक्रमण की जांच करनी चाहिए। ताकि जल्दी इलाज हो सके। उन्होंने कहा कि चार मरीजों की आंख खराब होने से उसे निकालना पड़ा, उनमें से दो की मौत हो गई। कुछ मरीजों के नाक व जबड़े की हड्डी हटानी पड़ी। लेकिन कुछ मरीजों की आंख व नाक बचाने में कामयाब भी रहे।

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