Farmers Protest: जानिए किसान आंदोलन के दौरान दिल्ली-एनसीआर में पूरे दिन कहां क्या-क्या हुआ
राष्ट्रीय राजमार्ग एक से लेकर सिंघु बॉडर यानी धरना स्थल तक आम नागरिकों के साथ साथ मीडिया के प्रवेश को भी बंद कर दिया गया है। इस बीच हरियाणा के जींद जिले में हुई महापंचायत में राकेश टिकैत ने एक और कई बड़ा एलान कर दिया है।
नई दिल्ली/सोनीपत/गाजियाबाद, जागरण टीम। तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में सिंघु बॉर्डर पर चल रहा धरना-प्रदर्शन बुधवार को 70वें दिन में प्रवेश कर गया। सिंघु बॉर्डर पर सुरक्षा व्यवस्था को और सख्त कर दिया गया है।
राष्ट्रीय राजमार्ग एक से लेकर सिंघु बॉडर यानी धरना स्थल तक आम नागरिकों के साथ साथ मीडिया के प्रवेश को भी बंद कर दिया गया है। इस बीच हरियाणा के जींद जिले में हुई महापंचायत में राकेश टिकैत ने एक और कई बड़ा एलान कर दिया है। उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार को तीनों केंद्रीय कृषि बिलों को रद करना ही पड़ेगा। बताया जा रहा है कि जींद से लौटने के बाद राकेश टिकैत यूपी बॉर्डर पर चल रहे किसानों के धरना-प्रदर्शन की कमान संभाल लेंगे।
चाक चौबंद की जा रही सुरक्षा व्यवस्था
किसानों के चक्का जाम करने की बात कहने के बाद पुलिस ने सुरक्षा इंतजाम में कुछ और बढ़ोतरी करनी शुरू कर दी है। सिंघु बार्डर पर सड़क पर कील लगाने के लिए खोदाई हुई शुरू उसके बाद बैरिकेड्स लगाकर बनाई गई दीवार पर भी कंटीले तार बांधे गए। सीमेटेंड जर्सी बैरियर और लोहे के बैरिकेड तो हजारों की संख्या में यहां पहुंचा दिए गए हैं।
इसके अलावा टीकरी बार्डर पर नुकीले जरिये की पट्टी बिछाने के अब कंक्रीट के ढांचे पर प्लास्टिक का जाल लगाने की चल रही तैयारी। इसके लिए पुलिसकर्मियों का कहना है यदि आंदोलनकारियों ने इस ओर पत्थरबाजी की तो जाल के कारण वो बचे रहेंगे, पत्थर सीधे आकर उनको नहीं सकेगा।
जींद में किसान महापंचायत का मंच टूटने से गिर गए टिकैत
हरियाणा के जींद जिले के कंडेला गांव में आयोजित किसान महापंचायत में मंच टूटने से भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत और अन्य किसान गिर गए। मंच टूटने के बाद राकेश टिकैत और पंजाब के किसान नेता बलबीर सिंह राजेवााल सहित कई नेता मंच के साथ नीचे गिर गए। गनीमत रही कि किसी को गंभीर चोट नहीं लगी। बड़ी संख्या में लोगों के मंच पर चढ़ जाने के कारण यह टूटा।
मंडी हाउस के पास वाम दलों का प्रदर्शन
मंडी हाउस पर लाल किला और दिल्ली हिंसा के गुनाहगारों को रिहा करने की मांग को लेकर वाम संगठनों का विरोध प्रदर्शन किया गया। ये लोग मंडी हाउस से संसद तक कूच करने की तैयारी में थे लेकिन दिल्ली पुलिस ने धारा 144 का हवाला देते हुए किसी भी प्रकार के विरोध प्रदर्शन या मार्च को गलत ठहराया है और यहां से जगह खाली करने की अपील की। यहां भी सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।
देशभर में होगा चक्का जाम
आगामी 6 फरवरी को देशभर में होने वाले चक्का जाम को लेकर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा है कि वह दिल्ली-एनसीआर में चक्का जाम नहीं करेंगे। साथ ही 6 फरवरी को चक्का जाम को लेकर राकेश टिकैत ने बयान दिया कि दिल्ली-एनसीआर के पास ऐसा कुछ नहीं होगा।
उन्होंने कहा है कि किसान अपनी-अपनी जगहों पर सड़क बंद करेंगे और प्रशासन को ज्ञापन भी देंगे। इस बीच दिल्ली पुलिस ने 26 जनवरी को लाल किला हिंसा में आरोपित दीप सिद्धू, जुगराज सिंह, गुरजंत सिंह, गुरजंत सिंह, जगबीर सिंह, बुटा सिंह, सुखदेव सिंह और इकबाल सिंह पर इनाम घोषित किया है।
सिंघु के साथ टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर मिलाकर हजारों की संख्या में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से आए किसान तीनों कृषि बिल वापस लेने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं, 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के दिन ट्रैक्टर और मोटरसाइकिल पर सवार करीब 300 उपद्रवियों ने लाल किला के अंदर जमकर उत्पात मचाया था। उपद्रवियों के आते ही लाल किले का लाहौरी गेट बंद कर दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर 26 जनवरी को हजारों की संख्या में कृषि कानून विरोधियों ने ट्रैक्टर रैली निकाली थी। रैली के दौरान दिल्ली की सड़कों पर हिंसा फैल गई। कई जगह प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के अवरोधकों को तोड़ दिया, वाहनों में तोड़ फोड़ की और लाल किले पर झंडा फहरा दिया। प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यन की पीठ ने इन याचिकाओं पर सुनवाई किया और केस सुनने से इन्कार कर दिया।
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